रीवा हुजूर तहसील में लोकायुक्त का 'ऑपरेशन क्लीन': ₹3000 रिश्वत लेते बाबू दबोचा, कलेक्ट्रेट में रिश्वत की 'चेन' टूटी tuti Aajtak24 News


रीवा हुजूर तहसील में लोकायुक्त का 'ऑपरेशन क्लीन': ₹3000 रिश्वत लेते बाबू दबोचा, कलेक्ट्रेट में रिश्वत की 'चेन' टूटी tuti Aajtak24 News

रीवा - संभागीय मुख्यालय रीवा में भ्रष्टाचार के खिलाफ लोकायुक्त पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए हुजूर तहसील में चल रही रिश्वत की 'चेन' को तोड़ डाला है। मंगलवार को लोकायुक्त टीम ने एक प्रकरण में स्टे देने के एवज में ₹3000 की रिश्वत लेते हुए चैनमैन विनोद शुक्ला को रंगे हाथों धर दबोचा। यह घटना उस समय हुई जब संभागीय आयुक्त और कलेक्टर जैसे वरिष्ठ अधिकारी भी उसी परिसर में बैठते हैं, जिससे प्रशासनिक व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।

क्या है पूरा मामला?

राजेश कुमार पांडे (48), निवासी ग्राम गंगहरा, ने 6 जून 2025 को लोकायुक्त कार्यालय रीवा में शिकायत दर्ज कराई थी। उनकी शिकायत के अनुसार, उन्होंने अपने गांव में आराजी 245/1/3 और आराजी 24/4 के बीच एक बंद किए जा रहे रास्ते पर निर्माण कार्य रुकवाने के लिए तहसीलदार कार्यालय, हुजूर में स्टे का आवेदन दिया था। इस मामले में स्टे ऑर्डर दिलवाने के एवज में चैनमैन, राजस्व निरीक्षक कार्यालय, नायब तहसीलदार, वृत्त बनकुईया के विनोद शुक्ला (57) रिश्वत की मांग कर रहे थे।

शिकायत की पुष्टि के बाद, लोकायुक्त संभाग रीवा के पुलिस अधीक्षक योगेश्वर शर्मा के निर्देशन में एक टीम गठित की गई। मंगलवार को शिकायतकर्ता के साथ टीम को तहसील हुजूर भेजा गया। जैसे ही चैनमैन विनोद शुक्ला ने कलेक्ट्रेट परिसर में नायब तहसीलदार, वृत्त बनकुईया के कक्ष में शिकायतकर्ता से ₹3000 की रिश्वत की रकम ली, लोकायुक्त टीम ने उन्हें तत्काल गिरफ्तार कर लिया। चैनमैन के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है।

कलेक्ट्रेट में भ्रष्टाचार की जड़ें गहरी

यह कार्रवाई एक बार फिर इस बात को उजागर करती है कि रीवा के कलेक्ट्रेट परिसर में भी भ्रष्टाचार की जड़ें कितनी गहरी हैं। जहां से पूरे जिले का प्रशासन संचालित होता है, उसी जगह पर आए दिन रिश्वतखोरी की घटनाएं सामने आती हैं। लोकायुक्त पुलिस ने पूर्व में भी जिला पंजीयक कार्यालय से लेकर कलेक्ट्रेट शाखा और नजूल शाखा तक में कई बार ट्रैप की कार्रवाई की है।

मौजूदा घटना यह दर्शाती है कि आम जनता के लिए सरकारी विभागों में बिना 'सेवा शुल्क' या 'शिष्टाचार भेंट' के काम करवाना कितना मुश्किल हो गया है। सामाजिक कार्यकर्ता और आम जनता लगातार इस बात पर सवाल उठा रहे हैं कि 20 साल से भाजपा सरकार के 'सुशासन' के दावों के बावजूद प्रदेश के लगभग हर जिले में और हर विभाग में लोकायुक्त की कार्रवाई क्यों हो रही है। यह स्थिति प्रशासनिक उदासीनता और अधिकारियों की मिलीभगत की ओर इशारा करती है। इस कार्रवाई में ट्रैपकर्ता अधिकारी संदीप सिंह भदौरिया (निरीक्षक) और ट्रैप दल के सदस्यों में प्रवीण सिंह परिहार (उप पुलिस अधीक्षक) एवं उनकी टीम शामिल रही।

Post a Comment

Previous Post Next Post