रीवा में गांजा गैंगवार से दहला पाउपखार: गोलियों और आगजनी से मचा हड़कंप, पुलिस पर उठे गंभीर सवाल saval Aajtak24 News

रीवा में गांजा गैंगवार से दहला पाउपखार: गोलियों और आगजनी से मचा हड़कंप, पुलिस पर उठे गंभीर सवाल saval Aajtak24 News 

रीवा  - जिले के मनगवां थाना क्षेत्र का पाउपखार गांव बुधवार तड़के गोलियों और लाठियों की आवाज़ से उस समय थर्रा उठा, जब नशीले पदार्थों के अवैध कारोबारियों के बीच हुई गैंगवार ने एक वाहन को आग के हवाले कर दिया। सुबह करीब 3 बजे हुई इस वारदात ने इलाके में गहरा डर और चिंता पैदा कर दी है। ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने गोली चलने की आवाज़ें सुनीं और एक वाहन को पलटकर जला दिया गया, जो सीधे तौर पर क्षेत्र में बढ़ते नशे के कारोबार के खूनी अंजाम की ओर इशारा कर रहा है।

दहला देने वाला मंज़र: गोलियां, आग और अफवाहें

गर्मी के चलते सुबह जल्दी जागने वाले ग्रामीण जब नदी और पुल की ओर बढ़े, तो उन्होंने दिल दहला देने वाला मंज़र देखा: एक चारपहिया वाहन धू-धू कर जल रहा था, जबकि एक और गाड़ी पास में खड़ी थी। आग की लपटें इतनी तेज़ थीं कि टायरों के फटने से जोरदार धमाके हो रहे थे, जिससे पूरे गांव में बम विस्फोट की अफवाहें फैल गईं और लोग दहशत में आ गए। सूचना मिलने पर मनगवां थाने की पुलिस मौके पर पहुंची और जले हुए वाहन को अपने कब्जे में ले लिया। हालांकि, घटना के कई घंटे बीत जाने के बाद भी, शाम 6 बजे तक पुलिस या किसी भी उच्च अधिकारी ने यह स्पष्ट नहीं किया कि यह वाहन किसका था, इसमें आग किसने लगाई और क्या यह वाकई में गांजा या नशीले पदार्थों की तस्करी से जुड़ा मामला है। पुलिस की यह रहस्यमयी चुप्पी कई गंभीर सवाल खड़े कर रही है।

गांजा गैंगवार का गहरा शक: पैसे के लेनदेन में खूनी खेल?

स्थानीय सूत्रों और ग्रामीणों के बीच ज़ोर-शोर से चल रही चर्चाओं के अनुसार, यह खूनी झड़प गांजा और नशीली कफ सिरप व गोलियों के अवैध व्यापार में पैसे के लेनदेन को लेकर हुई है। माना जा रहा है कि अपराधियों के दो गुटों के बीच अपने वर्चस्व को स्थापित करने और हिसाब-किताब चुकाने के लिए यह हिंसक टकराव हुआ, जिसका परिणाम आगजनी और गोलीबारी के रूप में सामने आया। यदि यह आशंका सही है, तो यह दर्शाता है कि रीवा जिले में नशे के कारोबार ने अब खुलेआम गैंगवार का रूप ले लिया है, जो कानून-व्यवस्था के लिए एक बड़ी चुनौती है।

रीवा: नशे के सौदागरों का नया सुरक्षित ठिकाना?

ग्रामीणों का दावा है कि मनगवां थाना क्षेत्र और इसके आसपास के कई गांवों में नशीले पदार्थों का अवैध कारोबार लंबे समय से धड़ल्ले से चल रहा है। यह एक संगठित नेटवर्क है जो छत्तीसगढ़-सीधी-रीवा सीमा से होकर उत्तर प्रदेश तक फैला हुआ है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि इस अवैध धंधे को कुछ स्थानीय सफेदपोशों और अधिकारियों का संरक्षण प्राप्त होने की भी अटकलें लगाई जा रही हैं। हालांकि, पुलिस ने इस संबंध में कोई भी ठोस प्रमाण या बयान जारी नहीं किया है, जिससे इन आरोपों की सत्यता पर पर्दा पड़ा हुआ है।

स्थानीय लोगों का मानना है कि रीवा जिला धीरे-धीरे नशीली दवाओं, गांजा और ब्राउन शुगर जैसे मादक पदार्थों के अपराधियों के लिए एक सुरक्षित ठिकाना बनता जा रहा है। इन अपराधियों के पास संसाधनों की कोई कमी नहीं है, और यही कारण है कि उनके बीच अक्सर वर्चस्व की लड़ाई होती रहती है, जिसका खामियाजा अंततः आम जनता को भुगतना पड़ता है।

पुलिस-प्रशासन पर गंभीर सवाल: क्या सिर्फ खानापूर्ति हो रही है?

इस घटना ने एक बार फिर पुलिस और प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगा दिए हैं। अक्सर यह देखा गया है कि पुलिस द्वारा बड़े-बड़े अभियानों की रिपोर्टिंग में केवल कुछ शराब की बोतलों या गांजे की छोटी मात्रा की जब्ती दिखा दी जाती है, जबकि इन अवैध पदार्थों की आपूर्ति की असली जड़ों तक पहुंचने का कोई ठोस प्रयास नहीं किया जाता। यह भी स्पष्ट नहीं हो पाया है कि ये नशीले पदार्थ किस विक्रेता, मेडिकल स्टोर या बड़े सप्लायर से आ रहे हैं। इस घटना ने साबित कर दिया है कि यदि अवैध कारोबार पर गंभीरता से लगाम नहीं लगाई गई, तो ऐसी गैंगवार की घटनाएं भविष्य में और भी विकराल रूप ले सकती हैं, जिससे कानून-व्यवस्था की स्थिति पूरी तरह से चरमरा सकती है। अब सवाल यह उठता है कि क्या रीवा पुलिस इस मामले की गहराई से जांच कर, इन खतरनाक अवैध कारोबारियों पर नकेल कस पाएगी, या यह घटना भी सिर्फ एक आंकड़े बनकर रह जाएगी? प्रशासन को इस गंभीर चुनौती से निपटने के लिए क्या ठोस कदम उठाने चाहिए?



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