पाकिस्तान की बढ़ेगी मुसीबत! सैलाब के बाद भारत का 'गाद ब्रह्मास्त्र', बांध होंगे जाम jam Aajtak24 News

 

पाकिस्तान की बढ़ेगी मुसीबत! सैलाब के बाद भारत का 'गाद ब्रह्मास्त्र', बांध होंगे जाम jam Aajtak24 News 

नई दिल्ली/इस्लामाबाद - भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव की पृष्ठभूमि में, नई दिल्ली ने इस्लामाबाद पर दबाव बनाने के लिए एक और रणनीतिक कदम उठाया है। सिंधु जल संधि को रद्द करने के बाद, भारत अब अपनी पश्चिमी नदियों पर बने बांधों से गाद (सिल्ट) बहाने की तैयारी कर रहा है। इस प्रक्रिया, जिसे 'फ्लशिंग' कहा जाता है, से पाकिस्तान के बांधों की जल भंडारण क्षमता गंभीर रूप से प्रभावित हो सकती है, जिससे पड़ोसी मुल्क में जल संकट और गहराने की आशंका है।

पाकिस्तान, जो पहले ही भारत द्वारा अचानक पानी छोड़े जाने से आई बाढ़ की मार झेल रहा है, अब इस नए 'गाद ब्रह्मास्त्र' से और अधिक मुश्किलों में घिर सकता है। फ्लशिंग एक सामान्य इंजीनियरिंग प्रक्रिया है जिसमें बांध के जलाशयों में जमा रेत, मिट्टी और अन्य तलछट को तेज गति से पानी छोड़कर बाहर निकाला जाता है। यह गाद समय के साथ जलाशयों की भंडारण क्षमता को कम कर देती है और पनबिजली टरबाइनों की दक्षता को घटाती है, जिससे बिजली उत्पादन प्रभावित होता है। नियमित फ्लशिंग बांधों की कार्यक्षमता और दीर्घायु बनाए रखने के लिए आवश्यक है।

हालांकि, सिंधु जल संधि (IWT), 1960 के तहत, पाकिस्तान अतीत में भारत की फ्लशिंग गतिविधियों पर लगातार आपत्ति जताता रहा है। इस्लामाबाद का तर्क है कि फ्लशिंग के दौरान बड़ी मात्रा में पानी छोड़ने से निचले इलाकों में अचानक बाढ़ आ सकती है और जलाशय को फिर से भरने की प्रक्रिया में बाद में पानी की उपलब्धता कम हो सकती है, जिससे कृषि और अन्य क्षेत्रों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

लेकिन, 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने कड़ा रुख अपनाते हुए 1960 के सिंधु जल समझौते को रद्द कर दिया। इस फैसले के साथ ही, पाकिस्तान के हिस्से वाली सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों के पानी की गारंटी भी समाप्त हो गई। भारत ने स्पष्ट रूप से कहा है कि संधि के स्थगन के बाद पाकिस्तान के साथ जल संबंधी कोई भी जानकारी साझा नहीं की जाएगी, और न ही फ्लशिंग जैसी गतिविधियों से पहले उसे सूचित किया जाएगा।

हाल के दिनों में, भारत ने चिनाब और झेलम नदियों पर बने अपने बांधों से अप्रत्याशित रूप से पानी छोड़ा था, जिसके कारण पाकिस्तान के कई निचले इलाकों में बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई थी। इस 'वॉटर स्ट्राइक' से पाकिस्तान की सरकार और कट्टरपंथी धार्मिक नेता दोनों ही खौफजदा हैं। मौलाना फजलुर रहमान जैसे नेताओं की हालिया बयानबाजी भारत के इस कदम पर उनकी गहरी चिंता को दर्शाती है। उन्होंने यहां तक कहा कि कोई भी ताकत पाकिस्तान के पानी को नहीं रोक सकती और अब भारत के हिस्से की नदियों पर भी चर्चा होनी चाहिए।

भारत का यह नया कदम, गाद बहाने की तैयारी, पाकिस्तान के लिए एक और बड़ा झटका साबित हो सकता है। यदि भारत नियमित रूप से फ्लशिंग करता है और पाकिस्तान को इसकी पूर्व सूचना नहीं देता है, तो इससे पाकिस्तानी बांधों में गाद जमा होने की दर बढ़ सकती है, जिससे उनकी जल भंडारण क्षमता कम हो जाएगी और सिंचाई व बिजली उत्पादन पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा। विशेषज्ञ इसे भारत की ओर से पाकिस्तान पर दबाव बनाने की एक सोची-समझी रणनीति के रूप में देख रहे हैं, ताकि वह सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देना बंद करे और भारत के साथ सामान्य संबंध स्थापित करे।

सिंधु जल संधि के रद्द होने के बाद, भारत अपनी जल नीतियों को अपने राष्ट्रीय हितों के अनुसार स्वतंत्र रूप से तय करने की स्थिति में है। गाद बहाने की यह रणनीति, पानी छोड़ने के विकल्प के साथ मिलकर, पाकिस्तान के लिए एक शक्तिशाली 'गैर-सैन्य' हथियार साबित हो सकती है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि पाकिस्तान इस नई चुनौती का सामना कैसे करता है और क्या यह दोनों देशों के बीच पहले से ही तनावपूर्ण संबंधों को और अधिक बिगाड़ता है। फिलहाल, पाकिस्तान में इस संभावित 'गाद ब्रह्मास्त्र' को लेकर खलबली मची हुई है और सरकार इस स्थिति से निपटने के लिए रणनीति बनाने में जुटी हुई है।

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