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संभल जामा मस्जिद विवाद: ASI सर्वे का रास्ता साफ, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज की ki Aajtak24 News |
प्रयागराज - उत्तर प्रदेश: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संभल की ऐतिहासिक जामा मस्जिद में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा सर्वे कराए जाने के खिलाफ दायर मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज कर दिया है। इस महत्वपूर्ण न्यायिक फैसले के बाद अब मस्जिद परिसर के पुरातात्विक सर्वे का रास्ता पूरी तरह साफ हो गया है। यह निर्णय हिंदू पक्ष के लिए एक बड़ी राहत है, जो लंबे समय से इस स्थल पर कथित रूप से एक प्राचीन हिंदू मंदिर के अस्तित्व का दावा कर रहा है।
क्या है संभल जामा मस्जिद विवाद?
संभल जामा मस्जिद को लेकर विवाद तब शुरू हुआ जब हिंदू पक्ष ने दावा किया कि वर्तमान मस्जिद का निर्माण संभल जिले के मोहल्ला कोट पूर्वी में स्थित श्री हरिहर मंदिर को ध्वस्त करने के बाद किया गया था। हिंदू पक्ष के वादी ने संभल जिला न्यायालय में एक मूल वाद दायर कर यह घोषणा करने की मांग की थी कि उन्हें इस कथित श्री हरिहर मंदिर में प्रवेश का अधिकार है। इस दीवानी अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए ASI को एडवोकेट कमिश्नर के साथ सर्वे का निर्देश दिया था ताकि स्थल के वास्तविक स्वरूप और इतिहास का पता लगाया जा सके। साथ ही, अदालत ने मुकदमे की पोषणीयता (maintainability) पर भी सवाल उठाए थे। इसके जवाब में, संभल जामा मस्जिद इंतजामिया कमेटी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक पुनरीक्षण याचिका दायर की। इस याचिका में मुस्लिम पक्ष ने संभल जिला न्यायालय में लंबित मूल वाद की आगे की अदालती कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की थी। उनका तर्क था कि सर्वे की कोई आवश्यकता नहीं है और यह अनावश्यक रूप से धार्मिक सद्भाव को बिगाड़ सकता है।
हाईकोर्ट का अहम फैसला: सर्वे को मिली हरी झंडी
इलाहाबाद हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की एकल पीठ ने इस मामले की सुनवाई की। गत 13 मई को सुनवाई पूरी होने के बाद न्यायमूर्ति अग्रवाल ने अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया था। मंगलवार, [आज की तारीख] को सुनाए गए इस फैसले में हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की पुनरीक्षण याचिका को खारिज कर दिया। अदालत ने स्पष्ट किया कि सर्वे का मुकदमा आगे चलेगा और निचली अदालत को ASI सर्वे की कार्यवाही को जारी रखने का निर्देश दिया। इस फैसले का सीधा अर्थ है कि अब ASI की टीम विधिवत रूप से जामा मस्जिद परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण कर सकेगी। इस सर्वे में विभिन्न आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जाएगा, जैसे कि ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (GPR), कार्बन डेटिंग, और अन्य पुरातात्विक विधियाँ, ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या मस्जिद के नीचे या उसके परिसर में किसी प्राचीन संरचना, विशेषकर हिंदू मंदिर, के कोई अवशेष मौजूद हैं।
हिंदू पक्ष का स्वागत और VHP की प्रतिक्रिया
इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस फैसले का विश्व हिंदू परिषद (VHP) सहित विभिन्न हिंदू संगठनों ने जोरदार स्वागत किया है। VHP के प्रवक्ता विनोद बसंल ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, "संभल जामा मस्जिद के सर्वे से किसी को क्या ही दिक्कत होगी। भारत का न्यायालय हमेशा सच के साथ होता है।" उन्होंने आगे कहा कि "अब कोर्ट ने सर्वे के लिए बोला है, तो यहां मंदिर की स्थापना होगी।" यह बयान हिंदू पक्ष की उस आस्था और उम्मीद को दर्शाता है कि सर्वे के बाद उनके दावों की पुष्टि होगी।
देश में लंबित अन्य धार्मिक स्थलों के विवाद और भविष्य की दिशा
यह फैसला ऐसे समय में आया है जब देश में ज्ञानवापी मस्जिद-काशी विश्वनाथ मंदिर और मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद-कृष्ण जन्मभूमि जैसे कई अन्य धार्मिक स्थलों को लेकर भी इसी तरह के विवाद अदालतों में लंबित हैं। इन सभी मामलों में ASI सर्वे की मांग की जा रही है, ताकि ऐतिहासिक और पुरातात्विक साक्ष्यों के आधार पर विवादों का समाधान किया जा सके। संभल जामा मस्जिद का ASI सर्वे अब इस ऐतिहासिक स्थल के वास्तविक स्वरूप और सदियों पुराने इतिहास को वैज्ञानिक और पुरातात्विक प्रमाणों के आधार पर सामने लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि सर्वे रिपोर्ट क्या निष्कर्ष निकालती है और उसका इस संवेदनशील धार्मिक-ऐतिहासिक विवाद पर क्या प्रभाव पड़ता है। यह निर्णय न्यायपालिका द्वारा ऐतिहासिक विवादों के समाधान के लिए वैज्ञानिक तरीकों के उपयोग को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है।