सोनिया-राहुल गांधी की बढ़ी मुश्किलें, नेशनल हेराल्ड केस में कोर्ट का नोटिस, 7 मई को पेशी peshi Aajtak24 News


सोनिया-राहुल गांधी की बढ़ी मुश्किलें, नेशनल हेराल्ड केस में कोर्ट का नोटिस, 7 मई को पेशी peshi Aajtak24 News

नई दिल्ली - नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कांग्रेस की शीर्ष नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। दिल्ली की एक अदालत ने इस मामले में दोनों नेताओं को नोटिस जारी कर दिया है। विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने इस संबंध में महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा कि आरोपपत्र पर संज्ञान लेते समय सोनिया गांधी और राहुल गांधी को अपना पक्ष रखने का पूर्ण अधिकार है। उन्होंने जोर देकर कहा कि किसी भी स्तर पर आरोपियों को अपना दृष्टिकोण व्यक्त करने का अवसर प्रदान करना निष्पक्ष सुनवाई की आधारशिला है। अदालत ने निर्देश दिया है कि आरोपियों को यह नोटिस आज शाम तक भेज दिया जाए और मामले की अगली सुनवाई के लिए 7 मई की तारीख निर्धारित की गई है। यह कानूनी लड़ाई 2012 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा दायर की गई एक शिकायत के बाद शुरू हुई थी। यह मामला नेशनल हेराल्ड अखबार के प्रकाशक एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) और यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड नामक एक निजी कंपनी से गहराई से जुड़ा हुआ है। ऐतिहासिक महत्व रखने वाला नेशनल हेराल्ड अखबार 1938 में भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा स्थापित किया गया था और इसने स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

आरोप है कि कांग्रेस पार्टी ने एजेएल को 90.21 करोड़ रुपये का ब्याज मुक्त ऋण दिया था, जिसे बाद में चुकाया नहीं गया। एक महत्वपूर्ण वित्तीय लेनदेन में, 2010 में इस बकाया कर्ज को यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड को महज 50 लाख रुपये में हस्तांतरित कर दिया गया। दिलचस्प बात यह है कि यंग इंडियन में सोनिया गांधी और राहुल गांधी की सामूहिक रूप से 76% हिस्सेदारी है। इस हस्तांतरण के बदले में, यंग इंडियन ने एजेएल की 99% हिस्सेदारी और उसकी सभी संपत्तियों पर नियंत्रण हासिल कर लिया, जिनका कुल मूल्य 2,000 करोड़ रुपये से अधिक आंका गया है। सुब्रमण्यम स्वामी ने इस पूरे लेनदेन को धोखाधड़ी, आपराधिक विश्वासघात और मनी लॉन्ड्रिंग का मामला बताते हुए आरोप लगाया है कि सार्वजनिक धन का दुरुपयोग करके मूल्यवान संपत्तियों को अवैध रूप से हड़पा गया है। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 2021 में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों की अपनी जांच शुरू की। जांच के बाद, अप्रैल 2025 में, ईडी ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया, जिसमें उन्हें क्रमशः आरोपी नंबर 1 और 2 के रूप में नामित किया गया है। ईडी का दावा है कि यंग इंडियन ने किसी भी प्रकार की धर्मार्थ गतिविधि का संचालन नहीं किया, जबकि कंपनी का गठन इसी उद्देश्य के लिए किया गया था। एजेंसी का मानना है कि यह संपत्ति हस्तांतरण एक आपराधिक साजिश का हिस्सा था जिसका उद्देश्य अवैध रूप से संपत्तियों पर नियंत्रण प्राप्त करना था।

हालांकि, कांग्रेस पार्टी ने इन सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है और इसे राजनीतिक प्रतिशोध की कार्रवाई करार दिया है। पार्टी का तर्क है कि यह मामला राजनीतिक रूप से प्रेरित है और विपक्षी नेताओं को बदनाम करने की साजिश का हिस्सा है। अदालत द्वारा नोटिस जारी करने और अगली सुनवाई की तारीख 7 मई निर्धारित करने के साथ ही, यह कानूनी लड़ाई एक महत्वपूर्ण मोड़ पर पहुंच गई है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि अदालत में सोनिया गांधी और राहुल गांधी अपना पक्ष किस प्रकार रखते हैं और इस हाई-प्रोफाइल मामले में आगे क्या मोड़ आता है। इस मामले पर राजनीतिक गलियारों के साथ-साथ आम जनता की भी गहरी नजर बनी हुई है।

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