प्रमुख जिलों में संभावित खतरा: 50 से 60 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलेंगी हवाएं
मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि शनिवार को नैनीताल और पिथौरागढ़ में भारी बारिश की आशंका है। इसके अलावा, उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग, बागेश्वर और पिथौरागढ़ जैसे पर्वतीय जिलों में आकाशीय बिजली चमकने के साथ 50 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तेज झोंकेदार हवाएं चल सकती हैं। इन परिस्थितियों में खुले स्थानों पर रहने वाले लोगों और यात्रा कर रहे व्यक्तियों को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी गई है। उन्होंने आगे बताया कि उत्तराखंड के अन्य जिलों में भी तेज हवाएं और आकाशीय बिजली गिरने को लेकर अलर्ट जारी रहेगा। रविवार को स्थिति और गंभीर हो सकती है, जब नैनीताल, पिथौरागढ़ और चंपावत में भारी बारिश की संभावना है, जबकि देहरादून, हरिद्वार, पौड़ी और ऊधमसिंहनगर में 60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से भी अधिक तेज हवाएं चल सकती हैं, जिन्हें स्थानीय भाषा में 'झक्कड़' कहा जाता है। ये तेज हवाएं कच्चे मकानों और बिजली के तारों को नुकसान पहुंचा सकती हैं।
चारधाम यात्रा पर विशेष सुरक्षा निर्देश: यात्रियों को सावधानी बरतने की अपील
उत्तराखंड में इन दिनों चारधाम यात्रा अपने चरम पर है और हजारों तीर्थ यात्री प्रतिदिन केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री धामों के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं। बदलते मौसम के मद्देनजर, चारधाम यात्रा पर जाने वाले सभी तीर्थ यात्रियों के लिए एक महत्वपूर्ण एडवाइजरी जारी की गई है:
- बारिश के दौरान यात्रा से बचें: यात्रियों को सलाह दी गई है कि बारिश शुरू होने पर वे अपनी यात्रा तुरंत रोक दें और किसी सुरक्षित स्थान पर आश्रय लें। भूस्खलन और चट्टान खिसकने का खतरा ऐसी स्थिति में बढ़ जाता है।
- रात की यात्रा से परहेज: पर्वतीय मार्गों पर रात के समय यात्रा करना पहले से ही जोखिम भरा होता है, और खराब मौसम में यह जोखिम कई गुना बढ़ जाता है। इसलिए, यात्रियों को रात के समय यात्रा करने से पूरी तरह परहेज करने की हिदायत दी गई है।
- आपातकालीन संपर्क: किसी भी आपात स्थिति या मुश्किल में फंसने पर तुरंत पुलिस कंट्रोल रूम या चारधाम हेल्पलाइन नंबर पर संपर्क करने के लिए कहा गया है। यह सलाह यात्रियों को त्वरित सहायता उपलब्ध कराने में मदद करेगी।
गौरतलब है कि उत्तराखंड के पर्वतीय रूटों पर बारिश के दौरान अक्सर भूस्खलन और मलबा गिरने की घटनाएं होती रहती हैं, जिससे मार्ग अवरुद्ध हो जाते हैं और यात्री घंटों तक फंसे रह जाते हैं। यह स्थिति जानलेवा भी साबित हो सकती है।
मई में असामान्य बारिश: 65% अधिक वर्षा ने बढ़ाई चिंता
मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार, इस बार मई महीने में उत्तराखंड में सामान्य से काफी अधिक बारिश दर्ज की गई है, जो चिंता का विषय है। अब तक 76 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गई है, जो सामान्य रूप से होने वाली 46.1 मिमी बारिश से 65% अधिक है। देहरादून, टिहरी और हरिद्वार जैसे जिलों में तो सामान्य से 100% से भी अधिक बारिश हुई है। यह असामान्य और अत्यधिक बारिश मिट्टी को संतृप्त कर देती है, जिससे संवेदनशील पहाड़ी ढलानों पर भूस्खलन और चट्टान खिसकने का खतरा बढ़ जाता है। मौसम विभाग ने 23 मई से अगले एक-दो दिनों तक आकाशीय बिजली से होने वाली हानि, अंधड़ से कच्चे मकानों को क्षति, और संवेदनशील इलाकों में भूस्खलन जैसी घटनाओं की आशंका जताई है। स्थानीय प्रशासन और आपदा प्रबंधन टीमों को भी अलर्ट पर रखा गया है ताकि किसी भी आपात स्थिति से निपटा जा सके। यात्रियों और स्थानीय निवासियों से अनुरोध है कि वे मौसम विभाग द्वारा जारी चेतावनियों पर ध्यान दें और अनावश्यक यात्रा से बचें।