तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण पूरा, सोशल मीडिया पर मोदी का पुराना ट्वीट फिर चर्चा में me Aajtak24 News


तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण पूरा, सोशल मीडिया पर मोदी का पुराना ट्वीट फिर चर्चा में me Aajtak24 News 

नई दिल्ली/मुंबई - मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड तहव्वुर हुसैन राणा को अमेरिका से भारत प्रत्यर्पित कर लिया गया है, और कोर्ट से 18 दिन की एनआईए कस्टडी में भेज दिया गया है। इस ऐतिहासिक प्रत्यर्पण के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 14 साल पुराना ट्वीट सोशल मीडिया पर छा गया है, जिसमें उन्होंने तहव्वुर राणा को बरी किए जाने पर यूपीए सरकार की विदेश नीति को कटघरे में खड़ा किया था

क्या है मामला

26/11 मुंबई हमलों का मास्टरमाइंड और डेविड हेडली का करीबी, तहव्वुर राणा 2009 से अमेरिका की जेल में बंद था। उसने ट्रंप प्रशासन के प्रत्यर्पण आदेश को चुनौती दी, लेकिन अमेरिकी कोर्ट ने उसकी सभी अर्ज़ियां खारिज कर दीं। अब 14 साल बाद, भारत उसे अंततः कानून के कटघरे में लाने में सफल रहा है।

मोदी का वायरल ट्वीट:



2011 में नरेंद्र मोदी, जो तब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, ने लिखा था:

"मुंबई हमलों में तहव्वुर राणा को निर्दोष घोषित करने वाले अमेरिका ने भारत की संप्रभुता को अपमानित किया है। यह भारतीय विदेश नीति के लिए एक बड़ा झटका है।"

सोशल मीडिया पर यह ट्वीट जमकर शेयर किया जा रहा है और लोग पीएम मोदी की दूरदर्शिता और कूटनीतिक प्रतिबद्धता की तारीफ कर रहे हैं।


कोर्ट और एनआईए की कार्रवाई:

दिल्ली पहुंचते ही तहव्वुर राणा को सीधे कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उसे 18 दिन की एनआईए हिरासत में भेजा गया। अब उससे 26/11 की साजिश, आईएसआई से संबंध, और पाकिस्तानी आतंकियों को भारत में मदद पहुंचाने के मुद्दे पर गहन पूछताछ की जाएगी।

राजनीतिक बहस:

  • गृहमंत्री अमित शाह ने कहा:

    “यह पीएम मोदी की कूटनीतिक सफलता है। यूपीए राणा को भारत नहीं ला सकी थी। आज न्याय की दिशा में बड़ा कदम हुआ है।”

  • वहीं कांग्रेस ने दावा किया कि प्रत्यर्पण प्रक्रिया उनकी सरकार के समय शुरू हुई थी, और यह संस्थानिक प्रयासों का परिणाम है, न कि केवल किसी एक व्यक्ति की जीत।

 तहव्वुर राणा कौन है?

  • पाकिस्तानी सेना में डॉक्टर रहा राणा, बाद में अमेरिका में व्यवसायी बना।

  • डेविड हेडली के साथ मिलकर लश्कर-ए-तैयबा को लॉजिस्टिक सपोर्ट दिया।

  • मुंबई हमलों के दौरान उसने भारतीय ठिकानों की रेकी और आतंकी नेटवर्क की मदद की।

  • शिकागो कोर्ट ने 2011 में भारत को सौंपने से इनकार किया था।

भारत की कूटनीति, जांच एजेंसियों और सरकार की सतत कोशिशों का यह परिणाम है कि 14 साल पुराने ज़ख्मों को न्याय मिलने की दिशा मिली है। तहव्वुर राणा से हो रही पूछताछ के ज़रिए 26/11 की साजिश के और कई परतें खुलने की उम्मीद है।

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