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ईडी की बड़ी कार्रवाई, जगन मोहन रेड्डी की 793 करोड़ रुपये की संपत्ति अटैच, डेलमिया सीमेंट्स पर भी मनी लॉन्ड्रिंग में संलिप्तता का आरोप aarop Aajtak24 News |
नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग के एक पुराने लेकिन बेहद संवेदनशील मामले में आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी और डेलमिया सीमेंट्स (भारत) लिमिटेड (DCBL) के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। ईडी ने जगन रेड्डी की 27.5 करोड़ रुपये की शेयर संपत्तियों और DCBL की लगभग 377.2 करोड़ रुपये की जमीन को अस्थायी रूप से अटैच कर लिया है। दिलचस्प बात यह है कि DCBL ने खुद इस अटैचमेंट की कुल संपत्ति का मूल्य 793.3 करोड़ रुपये बताया है। यह मामला वर्ष 2011 में दर्ज एक सीबीआई एफआईआर से जुड़ा हुआ है, जिसमें आरोप था कि जगन रेड्डी ने अपने पिता और तत्कालीन आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस राजशेखर रेड्डी के राजनीतिक रसूख का इस्तेमाल करते हुए विभिन्न निजी कंपनियों को राज्य सरकार से अवैध लाभ दिलवाए। इसके बदले में इन कंपनियों से उन्हें और उनकी कंपनियों को भारी निवेश प्राप्त हुआ, जिससे लाभार्थी कंपनियों और राजनीतिक नेतृत्व के बीच लेन-देन की साजिश सामने आई।
ईडी की जांच के अनुसार, डेलमिया सीमेंट्स ने भरती सीमेंट कॉर्पोरेशन प्राइवेट लिमिटेड में निवेश किया था, जो जगन रेड्डी की कंपनियों से जुड़ी थी। साथ ही, DCBL ने रघुराम सीमेंट्स लिमिटेड में 95 करोड़ रुपये का निवेश किया था, जिसके एवज में कथित तौर पर जगन ने अपने पिता के प्रभाव का उपयोग करते हुए कंपनी को कडपा जिले में 407 हेक्टेयर भूमि पर खनन लीज दिलवाई। ED ने यह भी बताया कि डेलमिया सीमेंट्स और जगन रेड्डी के बीच हुए आर्थिक लेन-देन को छिपाने के लिए एक जटिल कॉर्पोरेट संरचना का सहारा लिया गया। अटैच की गई संपत्तियों में कार्मेल एशिया होल्डिंग्स लिमिटेड, सरस्वती पावर एंड इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड, और हर्षा फर्म में जगन रेड्डी की हिस्सेदारी शामिल है।
एक बड़ा खुलासा यह हुआ कि रघुराम सीमेंट्स के शेयर एक फ्रांसीसी कंपनी PARFICIM को 135 करोड़ रुपये में बेचे गए थे, जिसमें से 55 करोड़ रुपये नकद में हवाला के माध्यम से मई 2010 से जून 2011 के बीच जगन को दिए गए। दिल्ली स्थित आयकर विभाग की छापेमारी में इन भुगतानों से संबंधित दस्तावेज जब्त किए गए थे, जो ईडी की कार्रवाई का आधार बने। मामले में डेलमिया सीमेंट्स के प्रमुख पुनीत डेलमिया, जगन रेड्डी और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी से राज्यसभा सांसद वी. विजया साई रेड्डी के नाम प्रमुख रूप से सामने आए हैं। ईडी और सीबीआई का मानना है कि यह एक सुनियोजित साजिश थी, जिसमें सरकारी पद और राजनीतिक प्रभाव का दुरुपयोग कर निजी लाभ कमाया गया।
DCBL ने एक बयान जारी कर कहा है कि उन्हें 15 अप्रैल 2025 को ईडी का अटैचमेंट आदेश मिला और कंपनी इस आदेश की कानूनी वैधता की समीक्षा कर रही है। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि वे जांच में पूरा सहयोग करेंगे। ईडी अधिकारियों के अनुसार, यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग की रोकथाम अधिनियम (PMLA) के तहत की गई है और जांच आगे भी जारी रहेगी। जरूरत पड़ने पर और भी संपत्तियों की पहचान कर उन्हें अटैच किया जा सकता है। इस कार्रवाई ने न केवल आंध्र प्रदेश की राजनीति में हलचल मचा दी है, बल्कि यह सवाल भी खड़े कर दिए हैं कि सत्ता में रहते हुए राजनेताओं और कॉरपोरेट जगत के बीच क्या-कैसे संबंध बनते हैं और उनका दुरुपयोग किस हद तक हो सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर इन आरोपों की पुष्टि होती है, तो यह मामला देश की राजनीति में एक मिसाल बन सकता है, जहाँ कानून और जांच एजेंसियाँ सत्ता से जुड़े लोगों के खिलाफ भी कार्रवाई करने में सक्षम दिखाई दे रही हैं।