सुप्रीम कोर्ट में वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 पर सुनवाई: केंद्र को जवाब के लिए 7 दिन का समय, संपत्ति और नियुक्तियों पर रोक rok Aajtak24 News


सुप्रीम कोर्ट में वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 पर सुनवाई: केंद्र को जवाब के लिए 7 दिन का समय, संपत्ति और नियुक्तियों पर रोक rok Aajtak24 News 


नई दिल्ली  - वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केंद्र सरकार को राहत देने के साथ-साथ याचिकाकर्ताओं को भी महत्वपूर्ण सुरक्षा प्रदान की है। सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र को जवाब दाखिल करने के लिए 7 दिन का समय दिया है, साथ ही निर्देश दिया है कि इस दौरान न तो वक्फ बोर्ड में किसी नई नियुक्ति की जाएगी और न ही वक्फ बाय यूजर की संपत्तियों में कोई बदलाव किया जाएगा। प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ के समक्ष यह मामला सुनवाई के लिए आया। अदालत ने स्पष्ट किया कि मामले में किसी भी पक्ष को क्षति न हो, इसके लिए यथास्थिति बनाए रखी जाएगी। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से आग्रह किया कि स्टे आदेश जारी न किया जाए और उन्हें अपना जवाब दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया जाए। उन्होंने कहा कि यह अधिनियम गहराई से विचार कर बनाया गया है और इससे पहले ही याचिकाएं दाखिल कर दी गई थीं। उन्होंने तर्क दिया कि सरकार जनता के प्रति उत्तरदायी है और इस अधिनियम में गाँवों को वक्फ संपत्ति के रूप में शामिल किया गया है, जो एक दीर्घकालीन कानूनी प्रक्रिया का हिस्सा रहा है।

मेहता ने यह भी कहा कि अदालत को इस अधिनियम के प्रावधानों को पढ़ने से पहले उसके ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य को समझना होगा। उन्होंने अदालत से अपील की कि बिना सरकार की बात सुने कोई कठोर आदेश न दिया जाए। मुख्य न्यायाधीश ने टिप्पणी की कि कोर्ट स्थिति को बिगड़ने नहीं देना चाहता और न्यायिक प्रक्रिया में सभी पक्षों के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी। अदालत ने यह भी कहा कि कुछ सकारात्मक पहलुओं को देखते हुए तत्काल रोक लगाने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन वर्तमान स्थिति को भी यथावत रखा जाना चाहिए। केंद्र सरकार की ओर से यह भी आश्वासन दिया गया कि सुनवाई की अगली तारीख तक वक्फ बाय यूजर की संपत्ति को न डिनोटिफाई किया जाएगा और न ही कलेक्टर या अन्य अधिकारी उसमें कोई हस्तक्षेप करेंगे। साथ ही, वक्फ अधिनियम की धारा 9 और 14 के अंतर्गत परिषद या बोर्ड में किसी भी तरह की नियुक्तियां भी नहीं की जाएंगी। प्रीम कोर्ट ने केंद्र के इस आश्वासन को रिकॉर्ड पर लेते हुए इसे अंतरिम आदेश के रूप में स्वीकार किया और स्पष्ट किया कि इस दौरान याचिकाकर्ता भी केंद्र के जवाब पर अपना प्रत्युत्तर 5 दिनों के भीतर दाखिल कर सकते हैं। इसके बाद मामले को अंतरिम आदेश के लिए सूचीबद्ध किया जाएगा।

बुधवार को सुनवाई के पहले दिन अदालत ने केंद्र से यह भी सवाल किया था कि क्या मुसलमानों को हिंदू धार्मिक ट्रस्टों का हिस्सा बनने की अनुमति दी जाती है? यह प्रश्न तब उठा जब न्यायालय ने वक्फ बाय यूजर की अवधारणा पर विचार किया, जिसे संशोधित अधिनियम में सीमित या समाप्त करने की बात कही गई है। पीठ ने इस पर भी चिंता जताई थी कि कई लोगों के पास अपने धार्मिक स्थलों या संपत्तियों को वक्फ के रूप में पंजीकृत कराने के लिए आवश्यक दस्तावेज नहीं होते। ऐसी स्थिति में उन्हें “बाय यूजर” (परंपरा से वक्फ) मान्यता देना ही न्यायसंगत होता है। सुप्रीम कोर्ट का यह अंतरिम आदेश वक्फ अधिनियम 2025 के क्रियान्वयन को फिलहाल विराम देता है। यह मामला अब केवल एक कानूनी विवाद न रहकर, धार्मिक और सामाजिक अधिकारों की गहरी बहस बन चुका है। अगले कुछ दिनों में केंद्र सरकार का जवाब और याचिकाकर्ताओं का प्रत्युत्तर इस मुद्दे को और गहराई से समझने में मदद करेगा।

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