जिले में सहकारी समितियों और खरीदी केंद्रों में दबंगई, प्रशासनिक लापरवाही और अनियमितताओं का गंभीर मुद्दा mudda Aajtak24 News |
रीवा - जिले में सहकारी समितियों और खरीदी केंद्रों में दबंगई और अनियमितताओं की समस्या एक गंभीर प्रशासनिक चुनौती बन चुकी है। यह समस्या न केवल प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करती है, बल्कि किसानों और स्थानीय निवासियों के हितों को भी गंभीर रूप से प्रभावित कर रही है।
योग्यता और पदों का दुरुपयोग
गढ़ ब्रांच के अंतर्गत चलने वाली सहकारी समितियों में कई ऐसे व्यक्ति कार्यरत हैं, जिनके पास न तो आवश्यक शैक्षणिक योग्यता है, न ही प्रशासनिक कामों का अनुभव। इसके बावजूद उन्हें उच्च जिम्मेदारियां दी जाती हैं। यह स्थिति खासकर उन व्यक्तियों के लिए है जो अस्थायी रूप से सेवा शुल्क पर नियुक्त हुए थे, लेकिन उनकी आय और प्रभाव में अनियमित तरीके से वृद्धि हो रही है, जो यह सवाल खड़ा करती है कि क्या यह सब प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत का नतीजा है।
पिछले वर्ष का वायरल वीडियो और प्रशासन की चुप्पी
पिछले वर्ष का एक वायरल वीडियो इन अनियमितताओं को और स्पष्ट करता है, जिसमें एक व्यक्ति किसानों की आड़ में खरीदी केंद्र का संचालन कर रहा था। इसका असल उद्देश्य प्रशासनिक अधिकारियों को प्रभावित करना था, और प्रशासन इस पर कोई सख्त कार्रवाई करने में नाकाम रहा।
2024 में दबंगई का दोहराव
इस साल भी वही व्यक्ति बिना किसी अधिकार के खरीदी केंद्रों पर दबंगई कर रहा है। स्थानीय किसानों और निवासियों ने इस पर विरोध दर्ज किया है, लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों की निष्क्रियता ने इस स्थिति को बरकरार रखा है।
स्थानीय प्रशासन की लापरवाही
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा सख्त कार्रवाई के आदेश देने के बावजूद, जिला प्रशासन, जैसे तहसीलदार, एसडीएम और कलेक्टर, ने कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं। यह प्रशासनिक लापरवाही यह दिखाती है कि निचले स्तर पर अधिकारियों की जवाबदेही सुनिश्चित करने में गंभीर खामियां हैं।
समिति व्यवस्था की गहरी खामियां
सहकारी समितियों की व्यवस्था पूरी तरह से प्रभावित हो चुकी है। किसानों को अपनी फसलों के उचित मूल्य और खरीदी के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है, जिससे सामाजिक असंतुलन और अविश्वास पैदा हो रहा है।
समस्या का समाधान
इस गंभीर समस्या को सुलझाने के लिए प्रशासन को कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाने चाहिए:
योग्यता आधारित नियुक्तियां – समितियों और खरीदी केंद्रों में केवल योग्य और योग्य व्यक्तियों को ही नियुक्त किया जाए।
सख्त कार्रवाई – अनियमितताओं और दबंगई में लिप्त व्यक्तियों और अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।
पारदर्शिता और निगरानी – सहकारी समितियों के कामकाज में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए एक स्वतंत्र निगरानी तंत्र स्थापित किया जाए।
किसानों की शिकायतों का समाधान – किसानों की समस्याओं को प्राथमिकता के आधार पर हल किया जाए।
अगर समय रहते प्रशासन ने ठोस कदम नहीं उठाए, तो यह न केवल किसानों के हितों को प्रभावित करेगा, बल्कि सहकारी व्यवस्था की पूरी साख को भी धक्का पहुंचेगा। प्रशासन की जवाबदेही और पारदर्शिता को सुनिश्चित करना इस समस्या का स्थायी समाधान हो सकता है।