नेता के दबाव में सील दुकान खोली गई, किसानों के साथ प्रशासन का विश्वासघात vishvas Aajtak24 News


नेता के दबाव में सील दुकान खोली गई, किसानों के साथ प्रशासन का विश्वासघात vishvas Aajtak24 News

रीवा -  जिले के मनगवां, गंगेव और गढ़ क्षेत्रों में 23 नवंबर 2024 को कृषि और राजस्व विभाग की संयुक्त टीम ने खाद-बीज की दुकानों का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान कई दुकानदारों ने अपनी दुकानें बंद कर भागने की कोशिश की, जबकि गढ़ क्षेत्र की एक दुकान को सील कर दिया गया। लेकिन हैरान करने वाली बात यह रही कि अगले दिन, 24 नवंबर को प्रशासन ने बिना किसी स्पष्ट कारण के इस दुकान की सील खोल दी।

नेता के दबाव में प्रशासन की कार्रवाई

24 नवंबर की दोपहर 3 बजे, मऊगंज के कृषि विभाग के अनुविभागीय अधिकारी ने बिना किसी सूचना और नियमों की जांच प्रक्रिया के, इस दुकान की सील खोल दी। सूत्रों से पता चला है कि यह कदम एक प्रभावशाली नेता के दबाव में उठाया गया। अधिकारियों ने इस पर अपनी सफाई देते हुए कहा कि दुकानदार ने धमकी दी थी कि यदि सील नहीं खोली गई तो वह क्षतिपूर्ति का दावा करेगा, जिसके चलते यह कदम उठाना पड़ा। अधिकारियों ने यह भी स्वीकार किया कि नियमानुसार प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया।

जांच प्रक्रिया की पूरी अनदेखी

दुकान खोलने के दौरान नियमों और प्रक्रियाओं की पूरी तरह अनदेखी की गई। यह घटनाक्रम कई प्रमुख सवालों को जन्म देता है:

  1. स्टॉक रजिस्टर की जांच नहीं की गई।
  2. खाद और बीज की गुणवत्ता की कोई पुष्टि नहीं हुई।
  3. ग्राहकों को दी गई रसीदों की जांच नहीं की गई।
  4. स्थानीय गवाहों और पंचनामा तैयार करने की प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया।

यह स्पष्ट रूप से दिखाता है कि प्रशासनिक कार्रवाई दबाव में और नियमों की अनदेखी करते हुए की गई।

किसानों में नाराजगी, व्यापारियों में खुशी

किसानों का कहना है, "अगर खाद और बीज की गुणवत्ता की जांच नहीं होगी, तो हमारी फसलें कैसे सुरक्षित रहेंगी? यह हमारे भविष्य के साथ खिलवाड़ है।" वहीं, व्यापारियों ने प्रशासन की कार्रवाई का स्वागत करते हुए इसे अपनी जीत बताया।

प्रशासन का गैर-जिम्मेदार रवैया

जब अधिकारियों से इस मामले में सवाल किया गया, तो उन्होंने स्पष्ट जवाब देने से बचते हुए आरटीआई (सूचना अधिकार) के तहत जानकारी मांगने की सलाह दी। यह रवैया पारदर्शिता की कमी और जवाबदेही के अभाव को दर्शाता है, जो प्रशासनिक तंत्र के प्रति विश्वास को और कमजोर करता है।

प्रमुख चिंताएं और प्रशासन की विफलताएं

  1. राजनीतिक हस्तक्षेप: प्रशासनिक कार्रवाई में नेता का दबाव।
  2. पारदर्शिता की कमी: निरीक्षण और सील खोलने की प्रक्रिया में नियमों का पालन नहीं।
  3. किसानों की अनदेखी: व्यापारियों के पक्ष में निर्णय लिया गया।
  4. जवाबदेही का अभाव: अधिकारी सवालों से बचते नजर आए, जिससे व्यवस्था पर सवाल उठने लगे।

समाज और प्रशासन के लिए अपील

  1. सख्त कार्रवाई: खाद-बीज की दुकानों की नियमित और निष्पक्ष जांच की जाए।
  2. पारदर्शिता: सीलिंग और जांच प्रक्रिया में पूरी पारदर्शिता लाई जाए।
  3. राजनीतिक हस्तक्षेप पर रोक: प्रशासनिक कार्यों में नेताओं का हस्तक्षेप पूरी तरह से रोका जाए।
  4. किसानों को प्राथमिकता: व्यापारियों के बजाय किसानों के हित सुरक्षित किए जाएं।

निष्कर्ष - रीवा जिले में यह घटना प्रशासनिक तंत्र की कमजोरियों और राजनीतिक दबाव के प्रभाव को उजागर करती है। अगर समय रहते ऐसे मामलों पर उचित कार्रवाई नहीं की गई, तो किसानों का प्रशासन पर से भरोसा पूरी तरह से उठ जाएगा। प्रशासन को निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित करनी चाहिए, ताकि किसानों के हित सुरक्षित रह सकें और वे उचित मात्रा में गुणवत्तापूर्ण खाद-बीज प्राप्त कर सकें। यह घटना शासन और प्रशासन के लिए एक चेतावनी है। अब समय आ गया है कि शासन अपनी कार्यप्रणाली में सुधार करे और किसानों के हितों को प्राथमिकता देते हुए निष्पक्ष कार्रवाई सुनिश्चित करे।



Post a Comment

Previous Post Next Post