रीवा मऊगंज क्षेत्र में कथित पत्रकारों की आड़ में अवैध वसूली, पत्रकारिता की छवि पर संकट sankat Aajtak24 News

 

रीवा मऊगंज क्षेत्र में कथित पत्रकारों की आड़ में अवैध वसूली, पत्रकारिता की छवि पर संकट sankat Aajtak24 News 

रीवा/मऊगंज - रीवा जिले के मऊगंज क्षेत्र में पत्रकारिता की आड़ में कथित पत्रकारों द्वारा अवैध वसूली के मामलों ने पत्रकारिता की साख पर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार, कुछ लोग खुद को पत्रकार बताकर विभिन्न सरकारी कार्यालयों, दुकानों और क्लीनिकों में घुसकर अवैध वसूली कर रहे हैं। ये लोग खासकर गांवों के मेडिकल स्टोर और अवैध क्लीनिकों में जाकर फर्जी जांच के नाम पर पैसे वसूल रहे हैं। अवैध क्लीनिकों पर फर्जी जांच के नाम पर वसूली सूत्रों के मुताबिक, हाल ही में  गढ़ थाना अन्तर्गत लोरी में एक घटना सामने आई जिसमें फोर-व्हीलर से आए कथित पत्रकारों ने एक निजी क्लीनिक से वसूली की और वहां के डॉक्टर को पकड़कर थाने ले जाने का प्रयास किया। इसी तरह, लोरी नंबर  दो गढ़ बायपास  और कटरा में भी ऐसी घटनाएं हुई हैं, जहां मेडिकल स्टोर्स और क्लीनिकों पर पत्रकारिता की आड़ में अवैध वसूली की गई। पत्रकारिता के नाम पर अवैध गतिविधियां यह देखा जा रहा है कि इन कथित पत्रकारों का एक समूह कार्यालयों और दुकानों में खुद को जांच अधिकारी बताकर नशीली सिरप और दवाओं के बारे में पूछताछ करता है, और इसके बाद अनैतिक रूप से वसूली करता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि अब स्थिति इतनी बिगड़ चुकी है कि पत्रकारों को अवैध वसूली करने वालों के रूप में देखा जा रहा है। प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग जनता ने जिला प्रशासन से इन कथित पत्रकारों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक से अपील की गई है कि वे उन पत्रकारों की पहचान करें जो वास्तव में रिपोर्टिंग कर रहे हैं और उन लोगों पर कार्रवाई करें जो पत्रकारिता के नाम पर अवैध कार्यों में लिप्त हैं। वाहनों पर पत्रकार और पदनाम का दुरुपयोग कई वाहन मालिक अपने वाहनों पर 'पत्रकार' और अन्य पदनाम लिखवाकर उनका दुरुपयोग कर रहे हैं। परिवहन विभाग से ऐसे वाहनों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की जा रही है, ताकि इनकी आड़ में हो रही अवैध गतिविधियों पर रोक लगाई जा सके। जिले में बढ़ता भ्रष्टाचार और अव्यवस्था रीवा जिले में नशे का व्यापार, अवैध खनन, और सरकारी सुविधाओं में भ्रष्टाचार की शिकायतें तेजी से बढ़ रही हैं। शासकीय उचित उचित मूल्य की दुकानों पर खाद्यान्न वितरण में कम नाप तोल की कालाबाजारी और आंगनबाड़ी केंद्रों में भोजन वितरण में अनियमितताएं आम हो गई हैं। इन समस्याओं को उजागर करने वाली पत्रकारिता के बजाय, कथित पत्रकार निजी स्वार्थ में लिप्त हैं। पत्रकारिता की साख बचाने की जरूरत प्रशासन से अपेक्षा  की जा रही है कि पत्रकारिता के नाम पर हो रही इन अनियमितताओं पर तुरंत सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि पत्रकारिता की गरिमा को बचाया जा सके। जिले के कलेक्टरों से अपेक्षा है कि वे इस दिशा में कठोर कदम उठाएं और पत्रकारिता की छवि को सुरक्षित रखें।

Post a Comment

Previous Post Next Post