संवैधानिक नियमों पर आस्था भारी, सार्वजनिक स्थानों पर नियमों की अनदेखी andekhi Aajtak24 News

 

संवैधानिक नियमों पर आस्था भारी, सार्वजनिक स्थानों पर नियमों की अनदेखी andekhi Aajtak24 News 

रीवा - वर्तमान समय में नवदुर्गा उत्सव पूरे देश में धूमधाम से मनाया जा रहा है, लेकिन संवैधानिक नियमों की अनदेखी भी इसी के साथ बढ़ती दिख रही है। देश के हर नागरिक को संविधान के तहत धार्मिक स्वतंत्रता प्राप्त है, लेकिन इसे संविधान के दायरे में ही रहकर मनाने का अधिकार है। हालांकि, कुछ स्थानों पर आस्था के नाम पर संविधान की सीमाओं का उल्लंघन हो रहा है। रीवा संभाग के विभिन्न हिस्सों में, विशेष रूप से शहर मुख्यालय से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक, लोग मां दुर्गा की प्रतिमा सार्वजनिक स्थानों जैसे राष्ट्रीय राजमार्ग, सरकारी कार्यालयों और अस्पतालों में स्थापित कर रहे हैं। इन स्थानों पर प्रतिमा स्थापना से न केवल यातायात बाधित हो रहा है, बल्कि भीड़ और शोर के कारण लोगों की सुरक्षा भी खतरे में है। यदि किसी वाहन का नियंत्रण बिगड़ता है, तो बड़ी दुर्घटना का खतरा बना रहता है।

संवैधानिक नियमों की अनदेखी।

संविधान के अनुसार, धार्मिक गतिविधियों को शांतिपूर्ण तरीके से और सार्वजनिक हित को ध्यान में रखते हुए मनाना चाहिए। लेकिन सरकारी अस्पतालों और विद्यालयों के पास तेज ध्वनि विस्तारक यंत्रों के उपयोग से मरीजों और छात्रों की स्थिति प्रभावित हो रही है। अस्पतालों में शांति भंग होने से मरीजों की चिकित्सा में बाधा उत्पन्न हो रही है, जबकि विद्यालयों में पढ़ाई का माहौल बिगड़ रहा है।


विशेषज्ञों का मानना है कि धार्मिक उत्सव मनाने का अधिकार सभी को है, लेकिन यह आवश्यक है कि यह संविधान और कानून के दायरे में हो। प्रशासन ने भी संवैधानिक नियमों का पालन करने की अपील की है, लेकिन आस्था के नाम पर नियमों की अनदेखी बढ़ती जा रही है।

सामाजिक समरसता और संवैधानिक पालन।

धार्मिक स्वतंत्रता का मतलब यह नहीं है कि समाज के अन्य वर्गों के अधिकारों का हनन हो। अस्पताल और विद्यालय जैसे स्थानों को धार्मिक गतिविधियों से दूर रखा जाना चाहिए, क्योंकि ये समाज के महत्वपूर्ण अंग हैं। संविधान के अनुसार हर धर्म और समुदाय को एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए और सामाजिक समरसता बनाए रखना चाहिए। हालांकि, वर्तमान में नियमों के कड़ाई से पालन की कमी दिख रही है। कुछ स्थानों पर यदि प्रशासन नियमों का सख्ती से पालन कराता है, तो धार्मिक समूहों द्वारा विरोध और प्रदर्शन किए जाते हैं गणेश उत्सव और नवदुर्गा उत्सव के दौरान गढ़ क्षेत्र में डीजे बजाने को लेकर पूर्व में विवाद की स्थिति निर्मित हो चुकी है और पुलिस को सामाजिक सौहार्द बनाए रखने में कड़ी मशक्कत भी करनी पड़ी थी।

संवैधानिक आस्था बनाम धार्मिक आस्था।

रीवा जिले के विभिन्न हिस्सों में मूर्ति स्थापना और ध्वनि प्रदूषण के मामलों पर प्रशासन ने अभी तक सख्त कदम नहीं उठाए हैं। जबकि संविधान में हर व्यक्ति को अपनी धार्मिक आस्थाओं के साथ स्वतंत्रता से उत्सव मनाने का अधिकार है, लेकिन यह स्वतंत्रता संविधान के दायरे में होनी चाहिए। समाज के सभी वर्गों को यह समझना होगा कि धर्म का पालन और उत्सव तभी पूर्ण होते हैं जब सामाजिक नियमों और संवैधानिक मूल्यों का सम्मान किया जाता है।


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