सुप्रीम कोर्ट का निर्देश, पत्रकार संगठनों ने फैसले का स्वागत किया, पत्रकारों के खिलाफ गलत कार्यवाही न करने का आदेश aadesh Aajtak24 News


सुप्रीम कोर्ट का निर्देश, पत्रकार संगठनों ने फैसले का स्वागत किया, पत्रकारों के खिलाफ गलत कार्यवाही न करने का आदेश aadesh Aajtak24 News 

खंडवा - सुप्रीम कोर्ट ने पत्रकारों के खिलाफ आपराधिक मामलों की कार्रवाई को लेकर एक ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण आदेश दिया है, जिससे पत्रकारिता की स्वतंत्रता की रक्षा को लेकर एक मजबूत कदम उठाया गया है। शुक्रवार को माननीय जस्टिस हशीकेश राय और जस्टिस एस. वी. एन. भट्टी की पीठ ने साफ तौर पर कहा कि लोकतांत्रिक देश में पत्रकारों को अपनी राय और विचार व्यक्त करने का मौलिक अधिकार है, जिसे संविधान के अनुच्छेद १९(१)(ए) के तहत सुरक्षा प्राप्त है। इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि पत्रकारों के खिलाफ केवल इसलिए आपराधिक मामले नहीं दर्ज किए जा सकते, क्योंकि उन्होंने सरकार की आलोचना की है या किसी लेख में प्रशासन की निंदा की है। यह आदेश पत्रकारिता और स्वतंत्रता के अधिकार की सुरक्षा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकता है। यह आदेश उस समय आया जब पत्रकार अभिषेक उपाध्याय ने उत्तर प्रदेश में जातिगत मुद्दों पर एक समाचार रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिसके बाद उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी। उपाध्याय ने इस प्राथमिकी को रद्द करने की मांग की थी और खंडपीठ ने उनकी अंतरिम सुरक्षा की भी घोषणा की। इसके साथ ही, उत्तर प्रदेश प्रशासन को आदेश दिया गया कि वे इस मामले में किसी प्रकार की सख्त कार्रवाई न करें और पत्रकार के लेख पर अनुचित दबाव न डालें। सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश पत्रकारों के लिए राहत की खबर है, क्योंकि यह सुनिश्चित करता है कि पत्रकारों को अपनी स्वतंत्रता से काम करने का अधिकार मिलेगा, बिना किसी डर और दबाव के। इस फैसले के बाद, देशभर में पत्रकार संगठनों और पत्रकारों ने इस महत्वपूर्ण आदेश का स्वागत किया है।

देशभर में पत्रकार संगठनों ने जताया समर्थन:

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत करते हुए राष्ट्रीय पत्रकार संगठन के पूर्व उपाध्यक्ष मसूद जावेद क़ादरी, भोपाल के प्रमुख समाचार पत्र दैनिक आज तक 24 के सी. ओ. और प्रधान संपादक चंद्रशेखर चौहान, हैदराबाद स्थित भारत समाचार एजेंसी के सी. ओ. और इंग्लिश मीडिया के प्रधान संपादक मोहम्मद परवेज, बुरहानपुर पत्रकार संगठन के जिलाध्यक्ष वरिष्ठ पत्रकार शकील खान, आल न्यूज टाइम्स के प्रदेश इंचार्ज नवेद खान, कटनी ब्यूरो चीफ मोहम्मद हसन, इंदौर के खुलास टुडे के असलम कुरैशी और हमीद कुरैशी, वाईस ऑफ मीडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष संदीप काले, और इंडिया जर्नल एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सिराज खान समेत कई प्रमुख पत्रकार संगठनों ने इस फैसले का जोरदार स्वागत किया है। इन संगठनों ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश पत्रकारिता के अधिकार की रक्षा करता है और यह सुनिश्चित करता है कि पत्रकार बिना डर के समाज के महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपनी राय रख सकें।

लोकतंत्र और स्वतंत्र पत्रकारिता की रक्षा में एक बड़ा कदम:

यह आदेश पत्रकारिता और लोकतंत्र के लिए एक अहम जीत माना जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि पत्रकारों का काम सरकार या प्रशासन की आलोचना करना है, और इस प्रक्रिया में उन्हें किसी प्रकार के भय या दबाव से काम करने की अनुमति नहीं होनी चाहिए। इस फैसले को लेकर पत्रकारों ने इसे न केवल उनकी सुरक्षा के रूप में देखा है, बल्कि इसे लोकतंत्र के तीसरे स्तंभ की ताकत और उसकी स्वतंत्रता की रक्षा के रूप में भी देखा है। सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश उन लोगों के लिए भी संदेश है, जो पत्रकारों को डराने-धमकाने या उन्हें चुप कराने के प्रयास करते हैं, कि अब उनके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।

समाज की आवाज बने पत्रकारों की स्वतंत्रता की सुरक्षा:

इस आदेश के बाद यह साफ हो गया है कि पत्रकारों की स्वतंत्रता की रक्षा करना न केवल उनका अधिकार है, बल्कि यह लोकतंत्र की सच्ची पहचान भी है। ऐसे में इस फैसले से पत्रकारों को आत्मविश्वास मिलेगा और वे समाज में हो रहे अन्याय और भ्रष्टाचार के खिलाफ खुलकर आवाज उठा सकेंगे। इस ऐतिहासिक फैसले के बाद पत्रकारिता के अधिकारों की रक्षा को लेकर समाज में एक नया विश्वास पैदा होगा, और यह साबित होगा कि लोकतंत्र में सच की आवाज को दबाया नहीं जा सकता।

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