स्वच्छता ही सेवा, स्वभाव स्वच्छता - संस्कार स्वच्छता पर आलेख aalekh Aajtak24 News |
सारंगढ़- बिलाईगढ़ - स्वच्छ भारत की कल्पना को साकार करने के लिए पूरे भारत देश में स्वच्छता ही सेवा : स्वभाव स्वच्छता - संस्कार स्वच्छता का अभियान 17 सितम्बर से 2 अक्टूबर 2024 तक आयोजित किया जाएगा, जिसमें पूरे भारतवासियों को साफ सफाई का काम करने की जरूरत है। आज देश में फैली गंदगी को साफ करने के लिए सभी को चिंतन करने के साथ उसे दूर करने का समय आ गया है। उसे देश के जमीन में परिणित करने भारत को स्वच्छ बनाने का समय आ गया है। हम अपने देश के लिए अपने जीवन काल में यह धर्म निभाएं। दैनिक दिनचर्या किसी भी व्यक्ति का देखें तो वो फुर्सत नहीं है, लेकिन राष्ट्र की सफाई के लिए समय नहीं निकाल पाना असम्भव नहीं है। हमारे भारतवासी जागृत अवस्था में अपने दैनिक दिनचर्या और आजीविका, मनोरंजन के सब कार्य कर रहे हैं, लेकिन अपने राष्ट्रप्रेम,मातृभूमि, कर्मभूमि के प्रति सफाई कार्य स्वच्छ करने के अभियान में पूरे भारतवासी की निंद्रा टूटी नहीं है। हमारी मातृभूमि भारतमाता जैसे कह रही हो। कितने समय से सोए हुए हो वीरों, जब से जन्म लिए तब से कब कब कितना अपने मातृभूमि और कर्मभूमि का ऋण चुकाए हो। उठो वीरों तुम्हारी धरा, पुकार रही। महाभारत के लिए सिर्फ 18 दिन तय थे। आज देश हम भारतवासी को हमारे सेवा, संस्कार, स्वभाव की परीक्षा ले रहा है। इस परीक्षा के लिए भी सिर्फ 15 दिन तय किया गया है 17 सितम्बर से 02 अक्टूबर 2024। इस अभियान में न कोई सरकारी व्यक्ति होगा, न कोई जात पात न कोई धर्म है, सभी सिर्फ भारतवासी हैं। सभी का एक ही ध्येय स्वच्छ भारत की परिकल्पना। देश में गणपति जी का उत्सव चल रहा है। आगामी 3 या 4 अक्टूबर को माताजी दुर्गा भवानी के शारदीय नवरात्र के पूर्व सोए हुए आस्थावान को जरूरत है कि वे माता के स्थल से डगर डगर तक सफाई के बिछौना बिछा कर स्वागत करें। माता का विसर्जन को जाने वाली गली मोहल्ला गांव शहर नदी, तालाब को स्वच्छ करें। मन में इस प्रकार की कल्पना किया जा सकता है कि जिस गली मोहल्लों तालाब, नदी से हम स्वयं दूर रहते हैं उसमें दुर्गा माताजी को कैसे प्रवेश कराएं। मातृभूमि और कर्मभूमि से भरे भारत के कण कण में हमारे अपने ही देशवासियों के द्वारा निरंतर कचरा फैलाया जा रहा है। सरकारी, गैर सरकारी, समाजसेवी, निजी आदि संस्थाओं द्वारा प्रतिदिन सफाई करने पर भी गन्दगी का बाल भी बांका नहीं कर पा रहे हैं। अब किसी नेवता, आमंत्रण का समय नहीं है। जैसे गणपति जी और माता दुर्गा के लिए स्व प्रेरणा से व्यवस्था कर लेते हैं ठीक वैसे इस बार पूरी मेहनत से सफाई का बीड़ा उठाने का समय है। बीड़ा वही वीर उठाया करते हैं जो कार्य को पूर्ण करने का सामर्थ्य रखते हैं। भारतवासियों के रगों में कौंधती रक्त को मैदान में लाने का यह अवसर है। हम कब तक अन्य योद्धाओं का इंतजार करेंगे। गंदगी को डर है कहीं भारतवासी जग न जाए। गंदगी जो हमारे घर, गली, चौक चौराहे गांव शहर में बैठी है वो देख रही है। गंदगी को पता है, आज तक भारतवासी अपने निजी निजी कामों को दरकिनार कर स्वच्छ करने की पहल नहीं किए तो अब क्या करेंगे। गंदगी की जड़ता और सोच भारतवासियों के बाजुओं की ताकत और दिमाग से हार जायेगी। यदि साफ सफाई करने की इच्छा है तो झाड़ू फावड़ा आदि से गंदे स्थानों पर टूट पड़ने की जरूरत है। वक्त निरंतर चलता रहेगा। फर्क सिर्फ इतना रहेगा किसी गांव शहर ने स्वच्छ भारत के क्षेत्र में इतिहास बना लिया और जो इतिहास नहीं बना पाए वो अपनी रोजमर्रा और मजबूरी से आगे बढ़ नही पाए। यदि हमारे तन मन में जुनून देश सेवा का है तो अपने इर्द गिर्द को साफ सफाई करने को कोशिश करेंगे। सफाई ऐसी होनी चाहिए जो सेल्फी या अखबारों में फोटो आने के लिए नही की जाए। देश के क्रांतिकारियों को इतिहास में नाम लिखाने का शौक नहीं रहा है। वक्त इंतजार करके बैठा है भारत का सर्वश्रेष्ठ स्वच्छ स्थान कौन सा होगा।