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खरमोर अभ्यारण्य अधिसूचीत क्षेत्र में असमानता पर युवा सामाजिक कार्यकर्ता अक्षय भंडारी ने उठाए सवाल sawal Aajtak24 News |
राजगढ़/धार - लुप्तप्राय पक्षियों की सुरक्षा को लेकर सर्वोच्च न्यायालय से लेकर सरकारें और पक्षीविद हमेशा चिंता व्यक्त करते रहे हैं। वहीं, मध्यप्रदेश के जिला धार के तहसील सरदारपुर में खरमोर अभ्यारण्य का 4 जून 1983 को स्थापित किया गया था, जिसमें 14 ग्राम पंचायतों में किसानों की निजी भूमियों पर खरीदी-बिक्री, रजिस्ट्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया। इस प्रतिबंध के कारण कई परियोजनाओं को भी लाभ नहीं मिल पा रहा है। चुनाव के समय यह विषय उठता है, लेकिन बाद में ठंडे बस्ते में चला जाता है। आज भी 14 ग्राम पंचायतों के नागरिक प्रतिबंध के साथ ग्रामों में खुशहाली आने के इंतजार में लगे हुए हैं। खरमोर अभ्यारण्य, जो खरमोर पक्षी के संरक्षण के लिए बनाया गया था, उसी अभ्यारण्य से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर वर्ष 2008 में पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड द्वारा अभ्यारण्य के अधिसूचित क्षेत्र ग्राम अमोदिया में 400/220 केवी का उपकेंद्र बना दिया गया था। इस विषय पर युवा सामाजिक कार्यकर्ता अक्षय भंडारी ने जानकारी देते हुए कहा कि सूचना के अधिकार में मिली जानकारी के अनुसार, पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड ने ऊर्जा मंत्रालय (भारत सरकार) से इस परियोजना की मंजूरी प्राप्त की थी। विद्युत अधिनियम 2003 और भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम 1885 के प्रावधानों के अनुसार, भूमि मालिक की पूर्व सहमति की आवश्यकता नहीं है। हालांकि, भूमि का अधिग्रहण 31.03.2004 को जिला मजिस्ट्रेट (भूमि अधिग्रहण), जिला धार के कार्यालय द्वारा जारी आदेश के अनुसार किया गया है। वर्ष 2002-2003 में खरमोर अभ्यारण्य के अधिसूचित क्षेत्र में पावर ग्रिड के निर्माण की अनुमति दी गई थी, और 2008 में यह निर्माण कार्य पूरा हुआ। हालांकि, इस परियोजना के लिए आवश्यक वन विभाग की स्वीकृति नहीं ली गई थी। यह वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 और पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 का सीधा उल्लंघन है। वन विभाग ने भी इस बात की पुष्टि की है कि उपवनमंडल कार्यालय सरदारपुर के कार्यालयीन अभिलेखों में पावर ग्रिड धुलेट निर्माण की अनुमति से संबंधित कोई पत्र उपलब्ध नहीं है। इस विषय पर बयान जारी करते हुए अक्षय भंडारी ने खरमोर अभ्यारण्य के कारण रेलवे लाइन निर्माण में आ रही गंभीर बाधाओं पर कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने रेलवे मंत्री, रेलवे बोर्ड, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री, और मुख्य सचिव को एक ज्ञापन भेजकर इस मुद्दे पर तत्काल और ठोस कार्रवाई की मांग की है। ज्ञापन में भंडारी ने आरोप लगाया कि वर्तमान में खरमोर अभ्यारण्य में 14 ग्राम पंचायतों के अधिसूचित इको सेंसिटिव जोन होने के कारण रेलवे लाइन का निर्माण कार्य बाधित हो रहा है, जबकि इसी क्षेत्र में पावर ग्रिड 400/220 का निर्माण बिना उचित अनुमतियों के कर दिया गया था। भंडारी ने इस असमानता को उजागर करते हुए कहा कि यदि पावर ग्रिड के लिए पर्यावरणीय मानकों की अनदेखी की जा सकती है, तो रेलवे लाइन के निर्माण को भी समान प्राथमिकता दी जानी चाहिए। भंडारी ने कहा,“यदि पावर ग्रिड का निर्माण अभ्यारण्य की सीमाओं की अनदेखी करके किया जा सकता है, तो रेलवे लाइन को भी प्राथमिकता दी जानी चाहिए। यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि सरकार इस असमानता को दूर करे और रेलवे लाइन निर्माण के लिए ठोस कदम उठाए। उन्होंने सरकार से अपील की कि “सरदारपुर, रिंगनोद, मोहनखेड़ा, और करनावद की दिशाओं में तत्काल रेलवे सर्वेक्षण कराकर इस महत्वपूर्ण परियोजना को शीघ्र लागू किया जाए।”भंडारी ने चेताया कि यदि इस मुद्दे पर तुरंत कार्रवाई नहीं की गई, तो “न केवल क्षेत्र का विकास रुक जाएगा, बल्कि स्थानीय जनसुविधाएं भी गंभीर रूप से प्रभावित होंगी।