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3 दिन में घनघनाए सवा लाख फोन, आधे भी हल नहीं कर पाए बिजली कंपनी अधिकारी बिजली कटौती से परेशान आम, झोनों पर शिकायतें अलग alag Aajtak24 News |
इंदौर - नौतपा का दौर जारी है। सूर्य देवता आसमान से आग बरसा रहे हैं। हालांकि सिर्फ नौतपा ही नहीं करीब एक महीने से भीषण गर्मी पड़ रही है। इसके बाद बिजली की अघोषित कटौती आम लोगों के लिए परेशानी का कारण बन गई है। परेशानी कितनी बड़ी होगी कि अंदाजा लगाया जा सकता है मात्र तीन दिनों में ही सवा लाख से ज्यादा लोगों ने बिजली कंपनी के कॉल सेंटर में फोन लगा दिए। इसके अतिरिक्त बिजली कंपनी के झोनों पर होने वाली शिकायतें अलग हैं। उधर, मध्य प्रदेश पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी अर्थात बिजली कंपनी का ही कहना है कि मात्र 13 हजार समस्याओं का निराकरण किया गया है। हालांकि आंकड़े के पीछे सच्चाई क्या है यह किसी को नहीं मालूम। बिजली कंपनी अधिकारियों के इसी दावे पर गौर करें तो यह सामने आता है कि सवा लाख में से एक तिहाई शिकायतों का भी निराकरण नहीं कर पाए। ऐसे में हर वर्ष करोड़ों रुपए लोकधन का मेंटेनेंस किए जाने पर सवाल उठने लगे हैं। जानकारी अनुसार भीषण गर्मी में विद्युत कटौती से परेशान लोग बार-बार बिजली कंपनी में शिकायतें कर रहे हैं। इसके बाद भी बिजली कंपनी के अधिकारी इन समस्याओं को निराकृत नहीं कर पा रहे हैं। परेशानी का आलम इस बात से समझा जा सकता है कि बिजली कंपनी ने ही अधिकृत आंकड़े जारी किए हैं कि मात्र तीन दिन अर्थात 28 से 30 मई तक ही बिजली कंपनी के कॉल सेंटर में सवा लाख से ज्यादा फोन आए और इनमें से मात्र करीब 13 हजार ही निराकृत हो पाए। इतने भी निराकरण हुए या नहीं यह तो सिर्फ बिजली कंपनी के अधिकारी ही जानते हैं। वैसे भी झूठे आंकड़े परोसना बिजली कंपनी अधिकारियों का शगल है। इन्हीं झूठे आंकड़ों से बिजली कंपनी अधिकारी वाहवाही लूटते हैं। ऐसी ही झूठी वाहवाही की भीषण गर्मी ने पोल खोलकर रख दी है। सिर्फ गर्मी ही नहीं बेमौसम की बारिश भी बिजली कंपनी के झूठे दावों की पोल खोलकर रख देती है। कहां गया करोड़ रुपए लोकधन का मेंटेनेंस बिजली कंपनी अधिकारी हर वर्ष यह दावा करती है कि उसने करोड़ों रुपए का मेंटेनेंस कार्य किया है, लेकिन इस वर्ष भीषण गर्मी ने बिजली कंपनी के झूठे दावों की पोल खोलकर रखी है। आम जनता तो यह कहने लगी है कि नगर निगम की तरह ही बिजली कंपनी में भी हर वर्ष करोड़ों रुपए लोकधन का भ्रष्टाचार की आशंका है। यदि बिजली कंपनी के दावे सही होते तो भीषण गर्मी में बिजली कटौती का सामना का क्यों करना पड़ता। हल्की सी बारिश में ही गुल हो जाती है बत्ती बिजली कंपनी के मेंटेनेंस की पोल हल्की बारिश ही खोलकर रख देती है। बेमौसम में भी जैसे ही बारिश की बूंदाबांदी शुरू होती है वैसे ही बत्ती गुल हो जाती है। लोग बिजली कंपनी के कॉल सेंटर पर फोन घनघनाते रहते हैं, लेकिन कोई रिस्पांस नहीं दिया जाता। सिर्फ कॉल सेंटर ही नहीं बिजली कंपनी के अधिकारी और यहां तक कि एमडी अमित तोमर तक भी फोन नहीं रिसीव करते हैं।