प्रशासन की बड़ी चूक, शहडोल में एक और बीमार बच्ची को 24 बार गर्म सलाखों से दागा aadiwasi chetro me andhavishvas ke chalte Aaj Tak 24 news |
शहडोल - जिले में दगना प्रथा को लेकर प्रशासन बड़े-बड़े दावे कर रहा है। लेकिन आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में यह प्रथा रुकने का नाम नहीं ले रही। बीते पांच दिन पहले एक मासूम को 51 बार गर्म सलाखों से दागा गया था, जिससे उसकी मौत हो गई। यह मामला शांत नहीं हुआ कि उसी गांव से कुछ ही दूरी पर एक और मामला सामने आ गया। मामला सिंहपुर एरिया के तहत आने वाले गांव सामतपुर का है। 24 बार गर्म सलाखों से दागने का दर्द सहने वाली बच्ची का नाम शुभी कोल है। बता दें कि 51 बार गर्म सलाखों से दागने का मामला सिंहपुर के कठोतिया गांव का था। यहीं से महज तीन किलोमीटर की दूरी में बसे सामतपुर गांव में अब 24 बार गर्म सलाखों से दागने का मामला सामने आया है। हालत बिगड़ने पर मासूम को मेडिकल कॉलेज शहडोल में भर्ती कराया गया है, यहां बच्ची की हालत नाजुक बनी हुई है। बाद में परिजन मेडिकल कॉलेज से निजी अस्पताल ले गए। जानकारी के मुताबिक, तीन महीने की शुभी कोल को सांस लेने में समस्या थी। मां सोनू कोल और पिता सूरज कोल खैरहा गांव में झोलाछाप डॉक्टर के यहां इलाज कराए, लेकिन राहत नहीं मिली। बाद में मेडिकल कॉलेज लेकर पहुंचे। बताया गया कि लगातार बीमार होने पर गांव की एक महिला ने गर्म सलाखों से दागा था। स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराई जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ पांडे ने जिले का जबसे पदभार संभाला है, तबसे आए दिन ग्रामीण अंचलों में कुछ न कुछ मामला प्रकाश में आ रहा है। स्वास्थ्य अधिकारी ग्रामीण अंचलों में संचालित अस्पतालों का निरीक्षण करने कभी नहीं जाते, जिसकी वजह से ग्रामीण अंचलों में स्वास्थ्य अमला मनमौजी काम करता है, जिसका नतीजा अब सामने आने लगा है। 51 बार गर्म सलाखों से दागने के बाद प्रशासन ने बड़े-बड़े दावे किए और स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर पुख्ता इंतजाम की भी बात सामने आई थी। लेकिन उस गांव से महज तीन किलोमीटर की दूरी पर 24 बार गर्म सलाखों से दागने मामला सामने आने से स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोल कर रख दी है। झोलाछाप डॉक्टर करते हैं इलाज मासूम को गांव में इलाज नहीं मिला था, झोलाछाप डॉक्टर के यहां परिजन ले गए थे। परिजनों के अनुसार, गांव में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा न मिलने की वजह से झोलाछाप के पास परिजनों को मजबूरन जाना पड़ा, जिसके बाद मेडिकल कॉलेज और अब एक निजी अस्पताल में मासूम का इलाज चल रहा है। यहां उसकी हालत में सुधार होने की बात बताई जा रही है।