सरकार के लिए सफेद हाथी साबित हौ रही संत सिंगाजी पावर परियोजना
अंधाधुंध हौ रही कोल खपत पर नही लग पा रहा अंकुश
प्रदेश मै सबसे महंगी बिजली बनाने वाली परियोजना मे नंबर एक पर सिंगाजी परियोजना
निश्चित पैमाने से कही ज्यादा कोयला खा रही इकाईयाँ
प्रति माह लगभग करोडो रुपये पहुचा परियोजना का कोल लास
प्रदेश की दशको पुरानी परियोजनाओ मै 600 ग्राम कोयले मै बनती हे एक यूनिट बिजली ओर
सिंगाजी परियोजना मै 800 ग्राम से अधिक कोयले से बनती है एक यूनिट बिजली
इसके बाउजूद अधिकारी कागजो पर रिकार्ड बनाने मै व्यस्त कोल लास कम होगा य़ा नही कोई नही जानता
बीड (सतीश ग़म्बरे) - दस हजार करोड़ की लागत से कम कोयले मै अधिक बिजली बनाने वाली आधुनिक तकनीक द्वारा तैयार की गई संत सिंगाजी पावर परियोजना सरकार के लिए सफेद हाथी साबित हौ रही है और अधिकारियो के लिए दुधारू गाय ॥ नवनिर्मित सुपर क्रिटिकल इकाइयां जरूरत से करीब डेढ़ गुना अधिक कोयला खा रही है प्रदेश की दशको पुरानी अन्य परियोजनाओ मै 610 ग्राम कोयले मै एक यूनिट बिजली का निर्माण हौ रहा है वही आधुनिक तकनीक से बने सिंगाजी सुपर क्रिटिकल प्लांट मे वर्तमान मे 800 ग्राम कोयला एक यूनिट बिजली बनाने मै लग रहा है जो की डिजाइन ऑफ पेरामिटर से कही अधिक हैै इसके पहले 890 ग्राम तक कोयला एक यूनिट बनने मै लग चुका है परियोजना मे अंधा धुंध कोयला खपत होने कारण सिंगाजी परियोजना को सेंकड़ों करोड़ रूपये का कोयला हर महीने ज्यादा लग रहा है और ये सिलसिला निरंतर कई वर्षो से जारी है जिसे देखने वाले अधिकारी आँख बंद कर कागजो पर रिकार्ड बनाने मै व्यस्त है ॥
॥ मापदंड पर खरी नही उतर रही परियोजना निश्चित पैमाने से ज्यादा लगता है कोयला ।
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने मार्च 2015 मै 1200 मेगावाट का लोकार्पण करते समय मंच से इस परियोजना को कम कोयले मै अधिक बिजली बनाने वाली परियोजना बताया था और परियोजना को देश को समर्पित किया था लेकिन विडंबना है की परियोजना कभी भी निश्चित पैमाने पर बिजली नही बना सकी जबकि प्रदेश की दूसरी दशको पुरानी परियोजनाओ मै यहा से कई गुना कोयला कम लगता है और इस आधुनिक तकनीक से बनी परियोजना मै ज्यादा कोयला खपत हौ रहा है ॥
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