संकल्प के बिना सिद्धि सम्भव नहीं: मुनि पीयूषचन्द्रविजय
राजगढ़/धार (संतोष जैन) - उतराध्ययन सूत्र के अंतर्गत भगवान महावीर स्वामी ने अपनी अंतिम देशना में कहा कि मनुष्य जीवन अतिदुर्लभ, सद्धर्म का श्रवण अतिदुर्लभ, श्रद्धा परमदुर्लभ और संयम में पुरुषार्थ बहुत दुर्लभ होता है । प्रभु ने कहा मानव जीवन मिलने के बाद जिनवाणी का श्रवण करना बहुत ही दुर्लभ है । हम जिनवाणी का श्रवण करेगें तभी हमारी आत्मा परमात्मा के नजदीक पहुंचेगी और संयम मार्ग की ओर अग्रसर होगी । जिनवाणी आत्मा को मोक्ष तक ले जाती है । वर्तमान में हम आज जिस स्थिति में उसका मुख्य कारण जिनवाणी ही है । हम जिनवाणी का श्रवण तो करते है पर प्रभु के वचनों पर विश्वास नहीं कर पा रहे है । यदि प्रभु के वचनों पर विश्वास कर लिया होता तो आज हम अपनी सारी बूरी आदतों व रात्रि भोज का त्याग कर देते । प्रभु ने हमंे हर पल पाप से बचने का मार्ग बताया है । प्रभु की आज्ञानुसार हमें आचरण करना चाहिये । उक्त बात गच्छाधिपति आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. के शिष्यरत्न मुनिराज श्री पीयूषचन्द्रविजयजी म.सा. ने राजेन्द्र भवन में कही । आपने बतलाया कि यदि हम प्रभु की आज्ञा में नहीं चलते है तो हम प्रभु के गुनहगार है । हमारी धर्म क्रिया, विधि श्रद्धा के साथ होगी तो हमारा स्थान प्रभु के ह्रदय में होगा । श्रद्धा और विश्वास रखना जरुरी है । विश्वास की डोर मजबूत हुई तभी हम भगवान महावीर के अनुयायी कहलायेगें । संसार में हर क्षण परिवर्तन शील है । इंसान की मति भ्रमित होगी तो उसकी गति भी भ्रमित हो जायेगी । जीवन में कल की चिंता करने की जरुरत नहीं है । अच्छे कर्म करते चले जाओं और वर्तमान में जी कर हमेशा खुश रहने का प्रयास करें । संकल्प के बिना सिद्धि संभव नहीं है । पांच पाण्डवों के साथ 20 करोड़ मुनियों को एक साथ मोक्ष प्राप्त हुआ । तीर्थ यात्रियों की सेवा करना किसी पूण्य से कम नहीं होता है । इंसान का पुरा ध्यान लक्ष्य की ओर होना चाहिये । लक्ष्य से कभी भटकना नहीं चाहिये । हमेशा अर्जुन की तरह लक्ष्य का ध्यान रखें । मति से ही गति सुधरती है इस लिये हमेशा मति का ध्यान रखें ।
आज गुरुवार को प्रवचन के दौरान मुनिश्री ने बताया कि 27 अगस्त को पाट परम्परा के षष्ठम पट्टधर गच्छाधिपति आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय हेमेन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. का 11 वां पुण्यदिवस मनाया जावेगा । इस दिन सामुहिक सामायिक के साथ गुणानुवाद सभा होगी और दीपक एकासने का आयोजन श्री प्रकाशचंदजी बाबुलालजी कोठारी परिवार दत्तीगांव वालों की ओर से रखा गया है । 30, 31 व 01 सितम्बर तक त्रिदिवसीय दादा गुरुदेव श्रीमद्विजय राजेन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. की आराधना एकासने के साथ रखी गई है । मुनिश्री की प्रेरणा से नियमित प्रवचन वाणी का श्रवण कर श्रीमती पिंकी सुमितजी गादिया राजगढ़ ने अपनी आत्मा के कल्याण की भावना से महामृत्युंजय तप प्रारम्भ किया था, आज उनका 35 वां उपवास है ।