नेमावर सामूहिक बलात्कार एवं हत्याकांड का ज्ञापन कलेक्टर द्वारा नहीं लेने पहुंचने पर भड़के आदिवासी समाजजन | Nemawar samuhik balatkar evam hatyakand ka gyapan collector dvara nhi lene pahuchne pr bhadke adivasi samajjan

नेमावर सामूहिक बलात्कार एवं हत्याकांड का ज्ञापन कलेक्टर द्वारा नहीं लेने पहुंचने पर भड़के आदिवासी समाजजन

कलेक्ट्रेट मुख्य द्वार के गमले में ज्ञापन की कॉपी रखकर हुवे रवाना

नेमावर सामूहिक बलात्कार एवं हत्याकांड का ज्ञापन कलेक्टर द्वारा नहीं लेने पहुंचने पर भड़के आदिवासी समाजजन

अलीराजपुर (रफीक क़ुरैशी) - विगत दिनों मप्र के नेमावर जिला देवास में आदिवासी समाज के तीन नाबालिक बालिकाओं सहित पांच सदस्यों की निर्मम हत्या करने वाले मुख्य आरोपी सुरेन्द्र राजपूत एवं उसके सहयोगियों को फाँसी की सजा एवं पुरी घटना की  सीबीआई जांच कराने एवं फास्टट्रैक कोर्ट में सुनवाई कर शक्त कार्यवाही की मांग को लेकर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपने के लिए आदिवासी समाजजन पहुंचे। वहां पर समाजजनों द्वारा नारेबाजी करते हुए हत्यारों के विरूद्ध कठोर कार्यवाही करते हुए दंड देने की मांग की गई | इस मामले मे  समाजजनो द्वारा ज्ञापन कलेक्टर सुरभि गुप्ता को सौपा जाना था। परंतु कलेक्टर प्रतिनिधि ज्ञापन लेने पहुंचे, मगर उन्होंने उनको देने से इंकार कर दिया, वह ज्ञापन कलेक्टर को ही देने की मांग पर अड़े रहे | 

नेमावर सामूहिक बलात्कार एवं हत्याकांड का ज्ञापन कलेक्टर द्वारा नहीं लेने पहुंचने पर भड़के आदिवासी समाजजन

बहुत देर तक इंतजार करने के बाद भी कलेक्टर मेडम के

ज्ञापन नहीं लेने को लेकर आदिवासी समाजजन आक्रोषित हो गए और  कलेक्टर के विरूद्ध नारेबाजी करते हुए ज्ञापन को कलेक्ट्रेड के मुख्य द्वार पर रखे गमले में ज्ञापन की कॉपी रखकर रवाना हो गए |

*कलेक्टर का रवेय्या समाज के लिए अपमानजनक*

इस अवसर पर जयस मप्र राज्य प्रभारी मुकेश रावत ने कहा कि कलेक्टर का दायित्व है होता है कि जिले के समस्त समाज की जनता की समस्यों को बिना वर्गभेद,जात पात से ऊपर उठकर सुनवाई करना उनका कर्तव्य है | परन्तु कलेक्टर  द्वारा हमेशा आदिवासी समाजजन के साथ भेदभाव का रवैया अपनाया जाता है, जो कि अपमानजनक और निंदनीय है | जिसकी शिकायत  मुख्यमंत्री, अनुसूचित जनजाति आयोग, मानव अधिकार आयोग को शिकायती पत्र के साथ ही ज्ञापन कॉपी भेजी जा रही है। उन्होंने 

नेमावर मे हुई घटना की घोर निंदा की |

*राजनीतिक दबाव मे एफआईआर दर्ज नही की जा रही*

जयस जिलाध्यक्ष

विक्रमसिंह चौहान ने बताया की कि अखिल भारतीय केसरिया हिन्दू संगठन की गैंग खेत पर मौज मस्ती कर रही थी, जहां पर खेत के पास पीड़ित परिवार की नाबालिकों को बुलाकर तीनों बेटियों पूजा, दिव्या ओर रुपाली तथा माताश्री ममताबाई के साथ सामूहिक बलात्कार कर उनकी हत्या कर दी गई | वहीं माताजी एवं छोटे भाई पवन भी बीच-बचाव करने गये उन्हें भी मार दिया गया|  मारने के बाद स्थानीय विधायक आशीष शर्मा के मार्गदर्शन में पुलिस वालों की उपस्थिति में  अपराधियों की स्वयं की जमींन में सभी पांचों मृत शवों को जेसीबी मशीन से गड़डा खोदकर गड्डे में लाशों को एक के ऊपर एक रखकर पुलिस के मार्गदर्शन में लाशों पर यूरिया खाद और नमक डालकर उन्हें सबूत मिटाने के लिए दफना दिया । इस जघन्य अपराध को करते हुए उनके नोकर ने देखा लिया था, उसके बाद हत्यारे दूसरे शिकार की तलाश में बेफिक्र होकर घूम रहे थे। जब इनमें से सुरेंद्र राजपूत नाम के हत्यारें पर शक हुआ तो आदिवासी समाज के  कार्यकर्ताओं ने पुलिस थाने पर कई बार आवेदन देकर अपराधियों को गिरफ्तार करने की मांग की गई। लेकिन क्षेत्रीय विधायक आशीष शर्मा के राजनीतिक दबाव के कारण एफआईआर दर्ज नही की गई। उक्त घटनाक्रम की IND24 के स्थानीय पत्रकार राकेश यादव ने हत्याकांड की पूरी खबर चलाकर अपराधियों को गिरफ्तार करने के लिए खबर को दिखाया गया | हत्यारों के खिलाफ मोर्चा खोलने पर पत्रकार के विरुद्ध में हिन्दू जागरण मंच के सदस्यों ने आवेदन सौपकर जघन्य अपराध को छुपाने के लिए पत्रकार को हिन्दू धर्म को बदनाम करने का आरोप लगाते हुये केस दर्ज करने की मांग करते हैं | पुलिस थाना नेमावर जिला देवास में आवेदन देने वाले हत्यारों के सहयोगियों को भी सह आरोपी बनाया जावे। अरविंद कनेश जयस जिला उपाध्यक्ष ने कहा कि आदिवासी समाज के कार्यकर्ताओं के सतत प्रयासों के चलते मृत शवों के बारे नोकर (हली) के माध्यम से पता चला जिससे समाजजन द्वारा उग्र आंदोलन कर पुलिस प्रशासन पर दबाव डाला तब जाकर पुलिस ने कुछ अपराधियों को गिरफ्तार किया । उक्त थाने के थाना प्रभारी सहित सभी पुलिस कर्मियों को भी सह आरोपी बनाया जाकर तत्काल बर्खास्त करें, उक्त घटना में उपयोग की गई जेसीबी मशीन के मालिक, ऑपरेटर एवं स्थानीय विधायक आशीष शर्मा को भी उक्त जघन्य अपराध को छुपाने के लिए पुलिस प्रशासन पर दबाव बनाने पर उन्हें भी सह आरोपी बनाने की मांग की जाती है | साथ ही जघन्य घटना की तत्काल सीबीआई जांच करवाने एवं भारतीय दंड संहिता की धारा 302 हत्या करना,376डी,376 एबी,376डीबी,के तहत सामूहिक बलात्कार,201 साक्ष्य को छुपाने का प्रयास करना, साक्ष्य छुपाने में खाद एवं नमक का उपयोग करना,188 सोशल मीडिया पर झूठी अफवाह फैलाना एवं एक्ट्रोसिटी एक्ट 1989 की विभिन्न धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज कर फांसी की सजा दिलाकर पीड़ित परिवार के सदस्यों को 5 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता देने की मांग आदिवासी समाज द्वारा की जाती हैं। इस अवसर पर विभिन्न संगठन के पदाधिकारी उपस्थित थे।

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