आजीविका मिशन से जुडने के बाद दिव्यांग विनीता शर्मा हुई आत्मनिर्भर
रतलाम (यूसुफ अली बोहरा) - ग्राम गोंदीधर्मसी की रहने वाली दिव्यांग श्रीमती विनिता शर्मा की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। वे आजीविका मिशन समूह से जुडी और समूह द्वारा किए जाने वाले कार्यों को समझा और बचत करना प्रारम्भ कर दिया और विनीता ने अपने समूह में 11 महिलाओं को जोड लिया। समूह को सीआईएफ द्वारा 75 हजार रुपए की राशि दी गई जिसमें से विनीता को 10 हजार रुपए का ऋण मिला। उक्त ऋण की राशि को विनीता ने कपडे की दुकान तथा पार्लर में लगाकर रोजगार में बढोत्तरी की जिससे उन्हें 300 से 500 रुपए प्रतिदिन आमदनी हो जाती है। आजीविका मिशन से जुडने के बाद विनीता ने कृषि सीआरपी, वीपीआरपी, सीआरपी जैसे प्रशिक्षण प्राप्त किया। उल्लेखनीय है कि श्रीमती विनीता ने ग्राम ऊनी में सीआरपी ड्राईव चलाई जिसमें आपने सीआरपी दीदी के रुप में अपनी एक अलग ही छवि निर्मित की हुई है।
विनीता कहती हैं कि जीवन में कठिन परिस्थितियों का सामना करते हुए जब मैं आजीविका मिशन से जुडी तो मुझे आत्मनिर्भर होने का सही अर्थ समझ मे आया। जीवन में जब हम अकेले प्रयास करते हैं तो शायद अपने तक ही सीमित रह जाते हैं लेकिन आजीविका से जुडने के बाद यह अहसास हुआ कि आजीविका वह कुंजी है जहां निरन्तर प्रयास करने से सफलता मिलना सुनिश्चित है। वे कहती हैं कि आज मैं एक अच्छी कम्युनिटी लीडर बन गई हूं जहां मुझमें आत्मनिर्भर होने के सारे गुण आजीविका से प्राप्त हुआ है। विनीता का सपना है कि मैं लोगों के लिए प्रेरणा बनना चाहती हूं कि मुझसे लोग कुछ करने की प्रेरणा लें कि जीवन में कोई भी कार्य हो लगन और मेहनत से किया जाए तो सफलता जरुर मिलती है।