अधिकारियों ने नियुक्ति निरस्त करने के दिए निर्देश, सीएमओ ने जारी किए सेवा समाप्ति के आदेश
अंजड़ (शकील मंसूरी) - नगर पंचायत में पार्षदों द्बारा नियमों को तांक पर रख अपने सगे सम्बंधियों को रेवड़ी की तरह नौकरियां बांटी गई थी। जिसकी शिकायत पर जिला शहरी विकास अधिकारी ने जांच कराई जिसमें यह बात सामने आई कि पार्षदों ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए बगैर सक्षम संस्था से अनुमति लिए सम्बंधियों को नौकरी दिलाकर अनुचित लाभ लिया। जिस पर अधिकारियों ने 3 कर्मचारियों की सेवा समाप्त करने के निर्देश सीएमओ को दिए। जिस पर सीएमओ ने सेवा से मुक्त करने का आदेश 01 फरवरी 2021 को जारी कर दिया है।
सम्बंधित कर्मचारियों से पृथक किया गया है। यदि बात रिकवरी कि आती है तो नियमानुसार कार्रवाई कर वसूली की जाएगी। यह कर्मचारी कलेक्टर रेट पर कर्य कर रहे थे, इन्हें अलग-अलग मानदेय मिलता था। गौरतलब है कि पार्षदों ने कथित तौर पर तात्कालिक सीएमओ से अपने पुत्रों की नियुक्ति कराई लेकिन उसका अनुमोदन परिषद की बैठक में नहीं कराया गया था।
*या वो स्पष्ट नहीं है*
परिषद से मिली जानकारी के अनुसार कार्य की आवश्यकता होने से सीएमओ द्बारा 3 पार्षदों के सम्बंधियों को नौकरी दे दी गई थी। जिसकी शिकायत कलेक्टर व जिला शहरी विकास अधिकारी के पास नगर के एक व्यक्ति द्बारा की गई थी। जिसमें तर्क दिया गया कि कोई भी जनप्रतिनिधि प्रत्यक्ष तौर पर पद पर रहते हुए न खुद आर्थिक लाभ ले सकता है और न ही अपने परिवार को दिला सकता है।
*जिम्मेदार पर कार्रवाई से गुरेज*
अवैध नियुक्ति के लिए सीधे तौर पर तात्कालिक सीएमओ भी कहीं न कहीं दोषी है। विगत कई समय से इन कर्मचारियों को नियमित वेतन भी जारी किया जा रहा था। वही जिन लोगों की नियुव्तियां की गई है उनमें पार्षद वार्ड नं. 9 गायत्री पति सालगराम यादव के पुत्र मोहनीश लेखा कम्प्यूटर, पार्षद वार्ड 13 दुर्गा पति साधुराम वर्मा के प्रदीप राजस्व विभाग एवं पार्षद वार्ड नं. 5 सुशीला पति राधेश्याम पटेल के पुत्र ऋषभ नल-जल विभाग शामिल हैं। इस प्रकरण में सीएमओ मयाराम सोलंकी ने बताया कि तात्कालिक समय में परिषद द्बारा निकाय में कार्य शहरी विकास अधिकारी द्बारा शिकायत पर जांच के दौरान तीनों को हटाने के निर्देश दिए हैं। जिसके बाद 1 फरवरी को तीनों को अपने कार्यों से पृथक किया है।
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