प्राथमिक समिति स्तर पर गेहूं, चना प्रमाणित बीज किसानों के लिए उपलब्ध
रतलाम (यूसुफ अली बोहरा) - उपसंचालक कृषि श्री जी.एस. मोहनिया ने बताया कि जिले में इस वर्ष किसानों को सुगमता से बीज उपलब्ध हो सके, इसको ध्यान में रखते हुए समिति स्तर पर गेहूं, चना प्रमाणित बीज आधुनिक प्रजाति का पर्याप्त मात्रा में भण्डारण किया गया है जिसमें विशेषकर गेहूं की एचआई 8759 पूसा तेजस, एचआई 8737 पूसा अनमोल, एचआई 8713 पूसा मंगल एवं अन्य प्रजाति सरबती गेहूं जे.डब्ल्यू 3288 का भी बीज उपलब्ध है। प्रजाति चपाती के लिए बहुत अच्छी है तथा उत्पादन भी अधिक है। साथ ही चने में भी अच्छी प्रजाति का बीज उपलब्ध है।
श्री मोहनिया ने बताया कि उपरोक्त सभी प्रजाति का उत्पादन सबसे ज्यादा गेहूं है। गेहूं में लगभग 60 से 70 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। पूसा तेजस प्रजाति का गेहूं तो मण्डी में भी अधिक रेट पर बिकता है, साथ ही उत्पादन भी अधिक होता है। प्रति हेक्टेयर उत्पादन बढाने के उद्देश्य से किसान भाइयों को उक्त प्रजाति का बीज लगाना चाहिए ताकि उत्पादन के साथ-साथ मण्डी में भी अधिक भाव मिलने से प्रति हेक्टेयर आय में वृद्धि होगी।
चना प्रमाणित बीज वितरण पर लगभग 50 प्रतिशत अनुदान शासन द्वारा देय होगा। तना बीज प्रमाणित की दर 6600 रुपए प्रति क्विंटल है जिसमें 3300 रुपए शासन द्वारा कृषक के खाते में देय होगा। जिले की प्राथमिक साख समिति के साथ ही बीज निगम बन्नाखेडा जावरा में भी गेहूं की नई प्रजाति का बीज उपलब्ध है। कृषक आवश्यकतानुसार बीज निगम बन्नाखेडा फार्म, बीज उत्पादक समिति, प्राथमिक साख समितियों में भी बीज शासकीय दर पर प्राप्त कर सकते हैं।
श्री मोहनिया ने बताया कि इस वर्ष वर्षा 1122 मि.ली. हुई है जो गत वर्ष से कम है। वर्षा जल ट्यूबवेल, कुआं, तालाब आदि में संचय किया गया है। इस जल को संरक्षित सिंचाई के रुप में तथा पानी बचाव एवं अधिक क्षेत्र में सिंचाई करने हेतु फव्वारा पद्धति से सिंचाई करने से जल कम लगने के साथ अधिक क्षेत्र में सिंचाई की जा सकती है। किसान भाई प्रमाणित बीज की बुआई करने के साथ-साथ फव्वारा सिंचाई पद्धति का उपयोग करें।