श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ में षाष्वत नवपद ओलीजी आराधना
तप ही कर्मो की निर्जरा का मुख्य मार्ग: मुनि रजतचन्द्रविजय
राजगढ़ (संतोष जैन) - व्रत, पच्चखाण, नियम व तप करने के लिये देवता भी तरसते है क्योंकि तप सिर्फ मानव जीवन में ही सम्भव है । तप का सारांश समझना व धर्म क्रिया के अर्थ का चिन्तन समझना बहुत जरुरी है । तप के ज्ञानियों ने 12 प्रकार बताये है । छः बाह्य तप और छः आन्तरिक तप होते है । तप में प्रवेश करना और तप की पूर्णाहुति में भी गुरु भगवन्तों की आज्ञा जरुरी है । गुरु की मर्यादा तप में रखना जरुरी होता है । तप की गहराई समझते हुये तप के मर्म को जानना चाहिये । तप का सीधा अर्थ यह है की भीतर का क्रोध व कषायों को हमेशा के लिये समाप्त करना । उक्त बात वर्तमान गच्छाधिपति आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. के शिष्यरत्न मुनिराज श्री रजतचन्द्रविजयजी म.सा. ने प्रवचन में कही और कहा कि नवपद का रत्नरुपी नववां तप पद व्यक्ति के कर्मो का क्षय कराता है । कर्मो की निर्जरा करना ही शास्त्रों में तप माना गया है । उमा स्वाती जी ने तप की व्याख्या करते हुये कहा इच्छा निरोध तपः यानी जो इच्छाओं को रोक दे वही तप है । ज्ञानियों ने आहार, भय, मैथुन व परिग्रह इन चार संज्ञाओं को त्यागने का मार्ग बताया है । आहार संज्ञा पर व रसेन्द्रीय पर विजय प्राप्त करने के लिये तप का मार्ग बताया गया है । इस लिये मासक्षमण जैसे तप को महामृत्युंजय तप कहा जाता है । तप का एक अर्थ यह भी है । जो हमें तत्काल पवित्र बना दे उसे तप कहते है । मुसीबतों से बचने के लिये मौन व्रत ही सार्थक तप है । मौन व्रत से उर्जा का संचय होता है । मौन जीवन में बहुत ही लाभदायक है । मौन रहने से व्यक्ति जमाने की समस्याओं से स्वतः मुक्ति प्राप्त कर लेता है । जीवन में संतुलन बनाने के लिये मौन तप करना बहुत ही ज्यादा हितकर और उचित भी है । मुनिश्री ने श्रीपाल ओर मयणासुन्दरी रास के दोनों चरित्रों पर विस्तृत रुप से प्रकाश डाला और व्याख्या की । आज आराधकों ने नवपद आराधना ओलीजी के नववें दिन तप पद की आराधना की । कर्म निर्जरा के लिये इस पद का विशेष महत्व माना गया है । दोपहर में श्री सिद्धचक्र महापूजन का भव्य आयोजन मंदिर परिसर में किया गया ।
श्री आदिनाथ राजेन्द्र जैन श्वे. पेढ़ी ट्रस्ट श्री मोहनखेड़ा तीर्थ के तत्वाधान में व दादा गुरुदेव की पाट परम्परा के वर्तमान गच्छाधिपति आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. की पावनतम निश्रा में श्रीपाल राजा और मयणासुन्दरी द्वारा आधारित सर्वकष्ट निवारक आत्म शांति दायक आसोज माह की शाश्वत नवपद ओलीजी आराधना का आयोजन टाण्डा निवासी श्री राजेन्द्रकुमार सौभागमलजी लोढ़ा, श्रीमती मधुबेन, टीना जयसिंह लोढ़ा परिवार श्री शंखेश्वर पाश्र्व ग्रुप आॅफ कम्पनीज इन्दौर द्वारा रखा गया है । श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ पर मध्यप्रदेश शासन द्वारा प्रदत्त गाईड लाईन के अनुसार शाश्वत नवपद ओलीजी आराधना चल रही है ।