श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ में षाष्वत नवपद ओलीजी आराधना
धर्म की आराधना आंकड़ों में नहीं आत्मा में होना चाहिये: मुनि रजतचन्द्रविजय
राजगढ़ (संतोष जैन) - सिद्धचक्र नवपद ओलीजी आराधना इंसान को मोह चक्र की चिर निद्रा से जगाती है । जीवन में किसी की निन्दा नहीं करना है और मोह की निद्रा में भी नहीं रहना है । वैसे तो आराधक धर्म की आराधना करते है पर धर्म की आराधना आकड़ांे में नहीं होना चाहिये, आत्मा में होना चाहिये तभी लाभ की प्राप्ति होगी । मनुष्य जीवन अनन्त भवों में भी मिलने वाला नहीं है । यह मानव भव जो मिला है । उसका धर्म आराधना करके सद् उपयोग करना है । संसार असार है और आराधना में ही सार है । बहुत आरम्भ समारम्भ करने वाले जीव नरक योनी में जाते है, कपट करने वाले जीव तिर्यंच गति में जाते है और अल्प कषाय वाले जीव मनुष्य गति को प्राप्त करता है । उक्त बात वर्तमान गच्छाधिपति आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. के शिष्यरत्न मुनिराज श्री रजतचन्द्रविजयजी म.सा. ने प्रवचन में कही और कहा कि प्रतिकूलता में तो हर व्यक्ति नवकार का जाप करता ही पर अनुकुलता में जाप करने से जीवन में प्रतिकुलता नहीं आती है । जिनके जीवन में अहिंसा तप ओर संयम होता है उनको देवता भी नमन करते है । आज हमारे जीवन में जो भी हमें मिला है वह सब देव गुरु और धर्म की कृपा से मिला है । पंचम दिन मुनिश्री ने श्रीपाल ओर मयणासुन्दरी रास के दोनों चरित्रों पर विस्तृत रुप से प्रकाश डाला और व्याख्या की । आज आराधकों ने नवपद आराधना ओलीजी के पांचवें दिन नमो लोएसव्वसाहुणं पद की आराधना की । इस पद के 27 गुण होते है इसका वर्ण श्याम रंग का होता है । अरिहंत पद प्राप्ति के लिये व्यक्ति को साधु पद प्राप्त करना अनिवार्य होता है । साधु का पद अरिहंत सिद्ध आचार्य पद में सहायक होता है । इस पद का विशेष महत्व माना गया है । अरिहंत व सिद्ध पद साध्य है, आचार्य, उपाध्याय व साधु यह पद साधक पद है, दर्शन, ज्ञान व चारित्र यह साधना के पद माने गये है ।
श्री आदिनाथ राजेन्द्र जैन श्वे. पेढ़ी ट्रस्ट श्री मोहनखेड़ा तीर्थ के तत्वाधान में व दादा गुरुदेव की पाट परम्परा के वर्तमान गच्छाधिपति आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. की पावनतम निश्रा में श्रीपाल राजा और मयणासुन्दरी द्वारा आधारित सर्वकष्ट निवारक आत्म शांति दायक आसोज माह की शाश्वत नवपद ओलीजी आराधना का आयोजन टाण्डा निवासी श्री राजेन्द्रकुमार सौभागमलजी लोढ़ा, श्रीमती मधुबेन, टीना जयसिंह लोढ़ा परिवार श्री शंखेश्वर पाश्र्व ग्रुप आॅफ कम्पनीज इन्दौर द्वारा रखा गया है । श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ पर मध्यप्रदेश शासन द्वारा प्रदत्त गाईड लाईन के अनुसार शाश्वत नवपद ओलीजी आराधना चल रही है।