खाद में कोताही बर्दाश्त नहीं सीएम शिवराज सिंह चौहान
बिना बिजली खरीदी करोड़ों की चपत करार बन रहे मुसीबत महंगी बिजली की आड़ में गोलमाल
भोपाल (संतोष जैन) - प्रदेश में किसान यूरिया की किल्लत का सामना कर रहे हैं सबका यही हाल है कतार में लगे किसान का जब तक नंबर आता है तब तक यूरिया खत्म हो जाता है जिनके पास जमीन नहीं है जरूरत नहीं है या जिनकी मौत हो चुकी है उनके नाम पर यूरिया आवंटित हो रहा है वास्तविक किसान भटकने को मजबूर कर फर्जी बिक्री और कालाबाजारी हो रही है बुधवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आपात बैठक बुलाकर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि राशन और यूरिया खाद की कालाबाजारी को हर सूरत में रुका जाए कई शिकायतें मिल रही हैं जिन्हें गंभीरता से लिया गया है अब इसमें कोई लापरवाही बर्दाश्त नहीं करुंगा
बिना बिजली खरीदी करोड़ों की चपत करार बन रहे मुसीबत
महंगी बिजली की आड़ में मध्यप्रदेश में बिजली खरीदी के लिए निजी कंपनियों से किए गए 25 साल के करार मुसीबत बन गए हैं बिना बिजली खरीदी सालाना 3000 करोड रुपए कंपनियों को देना होता है लगभग इतनी ही राशि का अंतर हर साल बिजली की आमदनी और खर्च के बीच रहता है यही कारण है कि हर साल बिजली महंगी हो रही है लेकिन करार को रद्द नहीं किया जा सका है बताया जाता है कि इस साल आठ कंपनियों को बिना खरीदी के 3329 करोड। रुपए देने होंगे एनटीपीसी मौदा एनटीपीसी कावास और सिंगरौली कंपनियों से अत्यंत महंगी बिजली खरीदी जाएगी तीनों कंपनियों को 191 करोड़ यूनिट बिजली का भुगतान 2055 करोड़ रुपए करना होगा