प्रशासन से उज्जैन की जनता कर रही है मांग, कोरोना महामारी से बचाने के लिए की जाए नगर पूजा
उज्जैन (रोशन पंकज) - उज्जैन में वर्षों पुरानी परंपरा के अनुसार उज्जैन में किसी भी महामारी के प्रकोप से छुटकारा पाने के लिए सम्राट विक्रमादित्य के काल से ही देवी भैरव पूजन की परंपरा है। पुराने समय में देवी का भैरव पूजन कर ही राजा के द्वारा नगर की सुरक्षा की कामना की जाती थी। लेकिन अब व्यवस्था बदल गयी है उज्जैन में राजा तो हमेशा केवल महाकाल बाबा को ही माना जाता है लेकिन जनसेवा की दृष्टि से वर्तमान में कलेक्टर इस पूजन को करता है । जनता का मत है कि हो सकता है धार्मिक मान्यताओं की इस परम्परा को अगर निभाया जाए तो कोरोना संक्रमण का खतरा कम हो जाए । उज्जैन शहर की जनता ने प्रशासन से सोशल मीडिया के माध्यम
से आग्रह किया हैं कि इस परंपरा का पालन किया जाए । देखना यह है कि जनता की बात सुनी जाती है या हमेशा की तरह इस बार भी अनसुना कर दिया जाएगा । नगर पूजा में
देवी महालाया, महामाया को मदिरा अर्पित करने के बाद 40 से अधिक मंदिरों में पूजन के साथ 27 किमी तक मदिरा की धार चढ़ाई जाती है ।
चौबीस खंभा मंदिर पर पूजन और महाआरती के बाद प्रशासनिक अधिकारियों का दल अर्ध कालभैरव, चौंसठ योगिनी, लालबाई-फूलबाई, नगरकोट की रानी, नाकेवाली माता, भूखीमाता मंदिर, आशावीर बेताल मंदिर, सत्ताबापजी की खाई का पूजन करते हुए अन्य सभी देवी-देवताओं का पूजन करते हुए गढ़कालिका माता मंदिर पहुंचता है । यहां मां का पूजन करने के बाद अंकपात स्थित हांडी फोड़ भैरव पर यात्रा का समापन किया जाता है ।
जनता की तरफ से एक आवदेन स्वरूप पोस्ट सोशल मीडिया पर चल रही है । -:
माननीय उज्जैन कलेक्टर साहब से निवेदन है कि वह चौबीस खम्बा माता मंदिर में होने वाली नगर पूजा को ना रोके क्योंकि यह परंपरा अनादिकाल से ही चली आ रही है,मान्यवर से निवेदन है कि की पुराने समय मे जो भी राजा हुआ करता था,वो नगर पूजा किया करते थे,परिवर्तित समय के साथ साथ यह परंपरा भी बदली है, ओर अब वर्तमान समय मे जिलाधीश महोदय जो कि जिले के राजा होते हैं नगर पूजन करते हैं, जिसमे भगवती को मदिरा की धार चढ़ाई जाती हैं और साथ ही पूजन कर आरती की जाती है, कोरोना वायरस के कारण अभी जो समस्याएं आ रही है उससे उज्जैन वासी परिचित हैं और साथ ही प्रशासन का सहयोग करने के लिए भी बाध्य हैं, लेकिन नगर पूजा ना रोकी जाए क्योंकि इसका ना होना उज्जैन में किसी बड़े अनिष्ट की आशंका होना दर्शाता है, कलेक्टर साहब से निवेदन है कि आप स्वयं उपस्थित हो साथ ही एक पुजारी को साथ रखे,जिससे कि ज्यादा भीड भी नही होगी,साथ ही नगर पूजा भी निर्विघ्न सम्पन्न हो जाएगी और उज्जैन से अनिष्ठ की आशंका भी खत्म हो जाएगी..
उदाहरण के लिए जब शिप्रा मैया वर्षा के समय उफान पर रहती हैं तब पुरानी परंपरा अनुसार राजा शिप्रा मैया का पूजन किया करता था लेकिन अब जो कि जिलाधीश महोदय उज्जैन के राजा के तौर पर पूजन करते हैं तभी क्षिप्रा मैया का रूद्र रूप समाप्त होता है और वह अपने मूल स्वरूप में आती हैं एक अन्य उदाहरण से समझते हैं कि जब भी कोई कलेक्टर साहब उज्जैन में आते हैं तो मैं भगवान महाकाल के यहां हाजिरी लगाते हैं क्योंकि वैदिक मान्यताओ के अनुसार उज्जैन के राजा महाकाल है, ओर एक राजा के होते हुए दूसरा राजा यहाँ नही रुक सकता है,इसलिए भगवान महाकाल के दर्शन कर ही वह उज्जैन में पदभार ग्रहण करते हैं,
अंत मे मै यही कहना चाहता हूं कि नगर पूजा को ना रोका जाए उसमे सांकेतिक व्यक्ति हो कलेक्टर व पूजारी क्योंकि यह उज्जैन वासियो के लिए एक अनिष्ठ का संदेश है
निवेदक:-उज्जैनवासी
प्रशांत चंदेरी फेसबुक पर लिखते है कि -:
कलेक्टर साहब संज्ञान
ले राजा विक्रमादित्य ने ऐसी महामारी से बचाव के लिए उज्जैन में माताओं की नगर पूजा कराई थी
आप भी नगर पूजा कराए ।
उमेश लोधी जी फेसबुक पर लिखते है कि -:
सरकार को नगर पुजा पर पूर्ण तरीके से ध्यान देना चाहिए क्योंकि जब शिप्रा मैया अपने रूद्र रूप में आती है तो भी सरकारी पूजन का महत्व है और इस महामारी पर महा देवियों पूरी विधि विधान से नगर पुजा होनी चाहिए ।
भारती वर्मा जी ने मुझसे वाट्स एप पर अनुरोध करते हुए लिखा है कि -:
” नगर पूजा करवा दीजिये भाई साहेबजी ताकि महामारी कुछ कम हो जाये । अबकी नवरात्रि में भी नगर पूजा नही हुई तो विपदा तो आनी ही थी अब पूर्णिमा के पहले ये पूजा करवा दीजिये भाई साहेबजी ऐसा निवेदन करती हूं जय श्री महाकाल ।”
विकास पाटिल वाट्स एप पर लिखते है कि -:
“नगर पूजा अवश्य करवाई जाए । यही शहर के हित मे है । ”
अभिषेक राठौर ट्विटर पर लिखते है कि
“माननीय कलेक्टर महोदय से निवेदन है कि इस महामारी से लड़ने के लिए जो प्राचीन काल मे उज्जैन में नगर पूजा होती थी वो करवाये।”
(उक्त लेख में उज्जैन के नागरिकों द्वारा सोशल मीडिया पर की गई पोस्ट को लिया गया है । शब्द परिवर्तन न हो इस लिए जनता की पोस्ट में किसी तरह का फेरबदल नही किया गया है । वर्तनी त्रुटि होने की संभावना है । )
लेखन एवं संकलन मिलिन्द्र त्रिपाठी
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