कलेक्टर ने ली बीएमओ एवं आयुष चिकित्सकों की बैठक
फिवर क्लीनिक के संचालन संबंधी दिये गये निर्देश
बालाघाट (देवेंद्र खरे) - जिले में कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए शासन के निर्देशानुसार जिला चिकित्सालय बालाघाट सहित सभी 10 विकासखंडों के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर फिवर क्लीनिक की स्थापना की गई है। जिले में बुखार से पीड़ित मरीजों का इन्ही फिवर क्लीनिक में उपचार करना है। कलेक्टर श्री दीपक आर्य ने आज जिले के सभी खंड चिकित्सा अधिकारियों, आयुष चिकित्सकों की बैठक लेकर उन्हें फिवर क्लीनिक के संचालन एवं उसके मानक प्रोटोकाल के पालन के निर्देश दिये। बैठक में अपर कलेक्टर श्री राघवेन्द्र सिंह, सभी एसडीएम, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ मनोज पांडे, सिविज सर्जन डॉ आर के मिश्रा, जिला टीकाकरण अधिकारी डा परेश उपलप, डीपीएम श्री डेहरिया, सभी खंड चिकित्सा अधिकारी एवं आयुष चिकित्सक उपस्थित थे।
बाहर से आने वाले संस्थागत क्वेरंटाईन में रहेंगें
कलेक्टर श्री आर्य ने बैठक में सभी खंड चिकित्सा अधिकारियों एवं आयुष चिकित्सकों को अपनी टीम के साथ बालाघाट जिले में कोराना वायरस COVID-19 के संक्रमण को रोकने उनके द्वारा किये गये परिश्रम की सराहना की और कहा कि एक टीम के रूप में सभी का अच्छा समन्वय रहा है। बालाघाट जिले में लगभग एक लाख 10 हजार लोग अन्य राज्यों एवं शहरों से वापस आये हैं। इतनी बड़ी संख्या में आये लोगों की बार्डर पर स्वास्थ्य जांच की गई है। पहले के दो माह तक बालाघाट जिले में कोई कोरोना पाजेटिव मरीज नहीं था। लेकिन अब बाहर से आने वालों लोगों में संक्रमण मिला है। बाहर से आने वाले लोगों को रोका नहीं जा सकता है। जरूरत है उनको क्वेरंटाईन में रखकर उनके स्वास्थ्य पर निगरानी रखने की। बाहर से आने वाले लोगों को संस्थागत क्वेरंटाईन सेंटर में रखकर उनके स्वास्थ्य पर नजर रखना है।
बुखार के मरीजों की फिवर क्लीनिक में होगी जांच
कलेक्टर श्री आर्य ने बैठक में बताया कि कोरोना के संदिग्ध मरीजों की पहचान कर उनके सेंपल लेने के लिए जिला चिकित्सालय सहित सभी विकासखंड के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में फिवर क्लीनिक बनाये गये है। अब लोगों को इस बात के लिए प्रोत्साहित करना है कि उनमें सर्दी-खांसी, बुखार एवं सांस लेने में तकलीफ के कोरोना के लक्षण पाये जाने पर वे स्वतं: फिवर क्लीनिक में जांच के लिए आयें। सभी चिकित्सकों को इस बात का ध्यान रखना है कि कोरोना के संदिग्ध मरीज को पाजेटिव मानते हुए सुरक्षा प्रोटोकाल का पालन करते हुए मरीज का सेंपल लेना है। गांवों के झोलाछाप डाक्टरों को भी चेतावनी दे दी जाये कि वे बुखार के मरीज को हाथ न लगायें। इससे उनका जीवन भी खतरे में पड़ सकता है अत: वे बुखार के मरीज को फिवर क्लीनिक में जाने की सलाह दें।
अस्पतालों के एन्ट्री पाईंट पर फिवर क्लीनिक का अलग रास्ता होगा
बैठक में बताया गया कि जिला चिकित्सालय एवं सामुदायिक स्वासथ्य केन्द्रों के प्रवेश द्वार पर एक कर्मचारी बैठा रहेगा और वहां पर आने वाले मरीजों से पूछेगा कि वह किस बीमारी के उपचार के लिए आया है। उस कर्मचारी द्वारा बुखार के मरीजों को फिवर क्लीनिक में जाने का रास्ता बताया जायेगा। सभी अस्पतालों में बुखार के मरीजों को फिवर क्लीनिक तक पहुंचाने के लिए पृथक से रास्ता बनाना है। जिससे बुखार के मरीज अन्य मरीजों से न मिल पायें। सभी चिकित्सालयों में फिवर क्लीनिक में जाने वाले मरीजों के लिए एन्ट्री पाईंट पृथक से होना चाहिए। एन्ट्री पाईंट पर सेनेटाईजर एवं बार-बार हाथ धोने की व्यवसथा भी रखना है। फिवर क्लीनिक प्रात: 8 बजे से रात्री 08 बजे तक कार्य करता रहेगा। फिवर क्लीनिक में मरीज को चेक करने वाले डाक्टर एवं स्टाफ को सुरक्षा प्रोटोकाल का पूरा पालन करना है। फिवर क्लीनिक में इंफ्रारेड थर्मामीटर, दवायें एवं जरूरी उपकरण मौजूद रहेंगें। एन्अ्री पाईंट के कर्मचारियों सहित फिवर क्लीनिक के सभी कर्मचारियों को एन-95 मास्क, हाथ में ग्लब्स पहनना और आंखों को कव्हर करना अनिवार्य है। मरीज की जांच के दौरान पीपीई किट भी पहनी जा सकती है।
फिवर क्लीनिक में सभी मरीजों का डाटा भी एकत्र होगा
बैठक में बताया गया कि फिवर क्लीनिक में आने वाले प्रत्येक मरीज का रिकार्ड रखना है। जिसमें मरीज का नाम, आयु, मोबाईल नंबर, निवास का पता एवं उसकी ट्रेवल हिस्ट्री की जानकारी दर्ज की जायेगी। फिवर क्लीनिक में आने वाला मरीज कोरोना का संदिग्ध मरीज लगे तो उसे प्रोटोकाल का पालन करते हुए सेंपल लेने के लिए बालाघाट रेफर करना है। खंड चिकित्सालयों के फिवर क्लीनिक में कोरोना जांच के लिए सेंपल एकत्र नहीं करना है। बालाघाट में ऐसे मरीज के सेंपल लेने के साथ ही उसे आईसोलेशन वार्ड में भर्ती कराया जायेगा। साधारण बुखार के मरीज को दवायें देने के बाद उसे घर भेजना है। लेकिन ऐसे मरीजों के स्वास्थ्य का नियमित रूप से फालोअप करते रहना है।
अस्पतालों के एन्ट्री पाईंट पर सोशल डिसटेंशिंग का पालन करें
बैठक में बताया गया कि सभी अस्पतालों के एन्ट्री पाईंट पर मरीजों को फिवर क्लीनिक का रास्ता बताने वाला कर्मचारी मानक प्रोटोकाल के अनुसार मरीजों से दूरी बनाकर बैठा रहेगा और उसके बैठने के स्थान को कांच या प्लास्टिक से कव्हर रहेगा। एन्ट्री पाईंट पर आने वाले मरीजों के बीच सोशल डिस्टेंशिंग का पालन करने के लिए निश्चित दूरी पर गोले बनाकर रखने के निर्देश दिये गये।
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