पंच दिवसीय ऐतिहासिक मेघनाद मेले का हुआ आयोजन | Panch divasiy etihasik meghnad mele ka hua ayojan

पंच दिवसीय ऐतिहासिक मेघनाद मेले का हुआ आयोजन


उमरेठ (दिनेश दुर्गादास साहू) - छिंदवाड़ा जिला के तहसील मुख्यालय उमरेठ के नेहरू चौक में मां निकुम्बला देवी और खंडेरा बाबा आमने सामने स्थित है जहां मेघनाद मेला जारी है। होली के दिन खंडेरा बाबा के गोल घूमने के साथ ही मेले की शुरुआत हुई। यह मेला छिंदवाड़ा जिला का पुरातन काल अंग्रेजों के जमाने से लगने वाला ऐतिहासिक मेला है। इस मेले का वर्णन प्राचीन काल के भूगोल में मिलता है। इस मेले में मध्यप्रदेश के अलावा महाराष्ट्र के भी लोग आते हैं। कहा जाता है कि रावण पुत्र मेघनाद की आराध्य देवी मां निकुम्बला आदिवासियों की भी आराध्य देवी है। पुरातन काल से ऐसी मान्यता है कि यहां स्थापित खंडेरा बाबा जिसमे स्वयं रावण पुत्र इंद्रजीत मेघनाद का वास होता है। यहां सच्चे मन से जो मन्नतें मांगी जाती है वह अवश्य पूरी होती है, खंडेरा बाबा की उंचाई 20फिट होती है।

वर्ष भर जो लोग अपनी अपनी समस्याओं और मांगों को लेकर इस स्थान पर पूजन अर्चन कर अपनी मन्नतें मांगते हैं,मेला के शुरू होते ही उनके शरीर मे भार आने लगता है वे आंठ दस आदमी के संभाले भी नही सम्भलते है, उन्हें घर से ही स्नान कराकर नये कपड़े पहनाकर कमर में रस्सी बांधकर तथा दोनों हाथ रस्सी से बांधकर गाजे बाजे के साथ यहां लाया जाता है। जैसे ही वीर को भार चढ़ता है वे घर से ही खंडेरा की तरफ दौड़ते हुये भागने लगते हैं, जिसे कमर में बंधी रस्सी को खींचकर नियंत्रित किया जाता है। वीर के पीछे चलने वाली व्यक्तियों की भीड़ मुंह पर हाथ रखकर जोर जोर से चिल्लाती है। वीर को खंडेरा तक ले जाने में जो बाजे बजाये जाते है उसकी अपनी एक धुन है, जो सिर्फ मेघनाद मेले में ही सुनने को मिलती है। वीर को खंडेरा बाबा के पास लाकर पूजन अर्चना के बाद खंडेरा पर चढ़ाकर गल पर औंधा कमर से बांधकर हवा में एक से पांच बार जब तक उसका भार शरीर से उत्तर ना जाये तब तक घुमाया जाता है।

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