माँ अहिल्या साक्षात जगदम्बा अवतारी थी - मोलवा| Maa ahilya sakshat jagdamba avtari thi

माँ अहिल्या साक्षात जगदम्बा अवतारी थी - मोलवा

बांगड़ू कवि सम्मेलन ठहाकों और देशभक्ति से सरोबार रहा

माँ अहिल्या साक्षात जगदम्बा अवतारी थी - मोलवा

इन्दौर - हिंदी कवि सम्मेलन का आनंद ही तब आता है जब श्रोता उसमें डूबकर भाव विभोर हो जाता है। कुछ ऐसा ही दृश्य स्काउट मैदान चिमनबाग पर मालवा श्रमजीवी पत्रकार संघ द्वारा आयोजित व मातृभाषा उन्नयन संस्थान द्वारा संयोजित 'बांगड़ू हास्य कवि सम्मेलन में हुआ। जहाँ ओज के सशक्त हस्ताक्षर मुकेश मोलवा द्वारा माँ अहिल्या का वंदन करते हुए काव्य पाठ आरम्भ किया और राष्ट्रवादी कविताओं के माध्यम से श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया।

कवि सम्मेलन की शुरुआत दीपप्रज्वलन के साथ हुई इसके बाद स्व. अतुल पाठक स्मृति अलंकरण से पत्रकार हिमांशु जोशी, हर्षवर्धन प्रकाश, हरीश फतेहचंदानी, असलम कुरैशी, योगेंद्र महंत व जावेद खान को विभूषित किया गया।

माँ अहिल्या साक्षात जगदम्बा अवतारी थी - मोलवा

मेरठ से आई कवयित्री शुभम त्यागी ने शारदा वंदना से कवि सम्मेलन का औपचारिक आरम्भ किया। जिसमें इन्दौर के शारीक कैफ ने शायरियाँ सुनाई फिर झाबुआ के कवि हिमांशु भावसार ने राष्ट्रभक्ति की कविता पढ़ी। शृंगार के मुक्तक से राजगढ़ से आए कवि अंशुल व्यास ने सुनाए। इनके बाद छपरा से आए मुकेश मनमौजी ने हास्य के रंग में श्रोताओं को रंगना आरम्भ किया।

इन्ही के बाद मांडव के कवि धीरज शर्मा ने मालवी हास्य में डुबाते हुए समा बाँधे रखा।

मरुधरा राजस्थान के ऋषभदेव से आए गीतकार नरेंद्रपाल जैन ने अपने गीतों से समा बाँधा और एक गीत जिसमें शहीद सैनिक की चार वर्षीय बच्ची से संवाद सुनाया तो जनता की आंखे भर आईं।

माँ अहिल्या साक्षात जगदम्बा अवतारी थी - मोलवा

मेरठ की कवयित्री शुभम त्यागी ने हिंदी भाषा का महत्व बताते हुए एक गीत सुनाया और मातृभाषा उन्नयन संस्थान को मिले ग्यारह लाख लोगों के हस्ताक्षर हिंदी में बदलवाने का जिक्र करते हुए गीत सुनाएं। 

इसी के बाद कवि सम्मेलन में ओजस्विता के सशक्त हस्ताक्षर मुकेश मोलवा के आने से माहौल में राष्ट्रप्रेम शामिल हो गया।

अशफ़ाक उल्लाह खान और अब्दुल कलाम का जिक्र करते हुए पड़ी कविताओं से श्रोताओं ने खूब दाद दी। उन्होंने माँ अहिल्या के व्यक्तित्व का कविता के माध्यम से चित्र खींचते हुए कहा कि 'माँ अहिल्या साक्षात जगदम्बा अवतारी थी' इसके बाद पुलवामा हमले का चित्र उकेरा और कविता 'वो चीथड़ों में देहदान कर गए'।कवि सम्मेलन का संचालन डूंगरपुर के कवि विपुल विद्रोही द्वारा किया गया।

देर रात तक चले कवि सम्मेलन में सैकड़ों सुधीश्रोताओं ने लाभ लिया।

मालवा श्रमजीवी पत्रकार संघ के अध्यक्ष समीर पाठक व उपाध्यक्ष प्रवीण धनोतिया ने सभी पत्रकारों और कवियों का प्रतीक चिन्ह देकर स्वागत और अभिनंदन किया। मातृभाषा उन्नयन संस्थान द्वारा भी कवियों की पंक्तियों को सम्मिलित करते हुए प्रतीक चिन्हों से अभिनंदन किया।

संस्था के चेतन बेंडाले, अशोक पंवार, दीपक जैन, ताहिर कमाल सिद्दकी, जलज व्यास, गुलरेज खान आदि ने आभार व्यक्त किया।

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