होली मिलन समारोह मनाकर समाजजनो ने सावित्रीबाई फुले की पुण्यतिथि मनाई
आलीराजपुर (रफीक क़ुरैशी) - सागरवंशिय माली समाज द्वारा चली आ रही परम्परा के चलते रंग पानी का आयोजन गुरुवार को रखा गया। जिसमे नानपुर से मुहलिया परिवार द्वारा तीनो माली समाज को स्वर्गीय उपेंद्र माली की स्म्रति में खेड़ापति हनुमान जी महाराज की प्रतिमा भेंट की गई। कुक्षी, नानपुर, माली समाज द्वारा अलीराजपुर में होली मिलन समारोह मनाया गया। राष्ट्रीय फुले ब्रिगेड मीडिया प्रभारी संजय गेहलोद माली ने बताया की माली धर्मशाला में माता सावित्री बाई फुले की 124 वी पुण्यतिथि धूमधाम से मनाई। जिसमे मुख्य अतिथि राष्ट्रीय फुले ब्रिगेड प्रदेश उपाध्यक्ष घनश्याम माली, प्रदेश कार्यकारिणी हितेंद्र माली, राष्ट्रीय फुले ब्रिगेड जिलाध्यक्ष स्वामीनारायन माली, माली समाज अध्यक्ष हिम्मतलाल माली, माली समाज मुखिया रतनलाल माली नानपुर माली समाज मुखिया बुधिया माली, कुक्षी माली समाज अध्यक्ष नाथूलाल माली द्वारा माता सावित्री बाई फुले की प्रतिमा पर दीपप्रज्वलित माल्र्यापण किया गया। वक्ताओ ने बताया के सावित्रीबाई फुले एक दलित परिवार से थी, जब ज्योतिबा फुले ने उनसे शादी की तो ऊंची जाति के लोगों ने विवाह संस्कार के समय उनका अपमान किया तब ज्योतिबा फुले ने दलित वर्ग को गरिमा दिलाने का प्रण लिया। वो मानते थे कि दलित और महिलाओं की आत्मनिर्भरता, शोषण से मुक्ति और विकास के लिए सबसे जरूरी है शिक्षा और इसकी शुरुआत उन्होंने सावित्रीबाई फुले को शिक्षित करने से की। समाज द्वारा इसका बहुत विरोध होने के बावजूद सावित्रीबाई ने अपना अध्ययन पूरा किया। अध्ययन पूरा करने के बाद सावित्रीबाई ने सोचा कि प्राप्त शिक्षा का उपयोग अन्य महिलाओं को भी शिक्षित करने में किया जाना चाहिए। लेकिन यह एक बहुत बड़ी चुनौती थी क्योंकि उस समय समाज लड़कियों को पढ़ाने के खिलाफ था। फिर भी उन्होंने ज्योतिबा के साथ मिलकर 1848 में पुणे में बालिका विद्यालय की स्थापना की। जिसमें कुल नौ लड़कियों ने दाखिला लिया और सावित्रीबाई इस स्कूल की प्रधानाध्यापिका बनीं। उक्त कार्यक्रम में सागरवंशिय माली समाज, महिला मंडल, राष्ट्रीय फुले बिर्गेड,एवं नवयुवक संगठन के सभी सदस्य उपस्थित थे।
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