हमेशा चर्चा में रहती है नगर परिषद थांदला | Hamesha charcha main rehti hai nagar parishad thandla

हमेशा चर्चा में रहती है नगर परिषद थांदला

हमेशा चर्चा में रहती है नगर परिषद थांदला

थांदला (कादर शेख) - प्रदेश की कमलनाथ सरकार ने माफियाओ, भ्रष्ट्राचारियों, अवैध धंधेबाजों के विरुद्ध सफाई अभियान की शुरुआत कर प्रदेश की जनता के बीच एक अच्छा संदेश दिया है । उनके इस कदम से निश्चित ही प्रदेश के जनमानस में शांति का वातावरण निर्मित होगा । बशर्ते यह मुहिम बिना भेदभाव के सम्पूर्ण ईमानदारी व पारदर्शिता से चलाई गई तो ? मुख्यमंत्रीजी की यह मुहिम केवल जनता के बीच पनपने वाले माफियाओ के विरुद्ध ही नही अपितु शासकीय उपक्रमो, संस्थाओं में बैठे अधिकारियों, कर्मचारियो से लेकर उन जनप्रतिनिधियों के विरुद्ध भी बिना राजनैतिक भेदभाव से चलाई जाना चाहिए जो सेवा की आड़ में मेवा खा रहे है । चाहे वे जनप्रतिनिधि कांग्रेस-भाजपा या किसी भी दल से जुड़े क्यो न हो । 

स्वच्छता अभियान की यहां से हो शुरुआत

प्रदेश की नगरीय निकायो में सर्वाधिक चर्चित थांदला की नगर पंचायत परिषद से स्वच्छता अभियान की शुरुआत की जाए तथा यह जांच हो जाये कि वर्ष 2018-19 के एक वर्ष में परिषद ने केवल स्वच्छता अभियान कार्यक्रम में 12 लाख की राशि कैसे व कहा खर्च कर दी तो स्प्ष्ट हो जाएगा कि जनता के चुने भाजपा-कांग्रेस के जनप्रतिनिधि जनता व शासन के धन का किस तरह (वि) नाश कर रहे है ।

कैसे व कहा हुए 12 लाख खर्च

नगर परिषद के दस्तावेजी रिकार्ड पर निगाह डाले तो स्वच्छता अभियान के तहत अप्रेल 2018 से नवम्बर 2018 तक परिषद ने 11 लाख 90 हजार  सामग्री खरीदी पर व्यय किया । 

आश्चर्य व शंकास्पद बात यह है कि केवल नालियों की सफाई के उपयोग में आने वाली पावड़ी का ही 84 हजार से अधिक का भुगतान व्हाउचर क्र. 451 द्वारा नवम्बर में थांदला की ही एक फर्म को करना दर्शाया । एक 6 फिट के लोहे के सरिये पर 5 इंची प्लेट से तैयार होने वाली पावड़ी का अधिकतम वजन 2 से 3 किलो के करीब होता है । जिसका अनुमानित मूल्य 200₹ भी माना जाए तो 84 हजार में करीब 400 पावड़िया बनती है । अगर स्टोर की जांच हो तो यह 400 पावड़िया कहा है पता चलेगा ।

75 हजार से साबुन से हाथ धोए

भरष्ट्राचार की गंगा में सामूहिक रूप से हाथ धोने वाली नगर परिषद ने एक वर्ष में 73 हजार से अधिक का साबुन खरीद कर अपने मैले हाथ धोकर स्वच्छता अभियान को पूर्ण किया । अगस्त व नवम्बर 2018 में नगर की दो फर्मो को व्हाउचर क्र. 209 व 284 के माध्यम से क्रमशः 56,336 व 26,800 का भुगतान किया गया । अब यह तो परिषद ही बता सकती है कि हाथ धोने का साबुन पियर्स था या धोबिछाप । 

8 लाख की सामग्री रतलाम से आई

स्वच्छता अभियान के उपयोग हेतु नगर परिषद ने 7 लाख 95  हजार से अधिक सामग्री रतलाम की श्रीनाथ इंडस्ट्रीज से अगस्त, आक्टोम्बर व नवम्बर 2018 में खरीदी जिसका भुगतान व्हाउचर क्रमांक 258, 376, 413 के माध्यम से 3 पृथक बिलो में किया गया । इस फर्म से क्या सामग्री खरीदी गई इसकी जानकारी प्रदाय नही की जा रही है । इसी तरह झाबुआ की व्हीएस सप्लायर्स फर्म से अप्रेल 2018 में व्हाउचर क्रमांक 9 के द्वारा 97 हजार से अधिक का भुगतान कर डस्टबिन खरीदी बताई गई है । इस तरह केवल स्वच्छता अभियान पर 12 लाख की राशि व्यय होने के बाद भी नगर के नागरिक गंदगी, कीचड़, नालियों की सफाई व कूड़े के ढेर हटाने की शिकायत लेकर आएदिन नगर परिषद में आते है व जिम्मेदारों को खरी खोटी सुना रहे है ।

पार्षदों ने भी की शिकायत

क्षेत्र के जागरूक पत्रकारो द्वारा परिषद के कार्यकाल में हो रही अनियमितता, मितव्ययता व भरष्ट्राचार को लेकर लगातार समाचार पत्रों के माध्यम से शासन-प्रशासन का ध्यान आकर्षित किया जा रहा है वही परिषद के कुछ सत्तापक्षीय पार्षद भी इस संबंध में कलेक्टर झाबुआ से लगाकर नगरीय प्रशासन सम्भागीय अधिकारी इंदौर व लोकायुक्त तक को लिखित में शिकायत कर जांच की मांग कर चुके है । परन्तु प्रशासन द्वारा कोई संज्ञान नही लिया जा रहा है । प्रदेश सरकार के इस सफाई अभियान की मुहिम के चलते क्या जिला प्रशासन वर्तमान परिषद के कार्यकाल की निष्पक्ष जांच करवाने का साहस भरा कदम उठाएगा ?

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