रुकमणी विवाह में 'आज मेरे श्याम की शादी' भजन पर झूमें श्रद्धालुगण | Rukmani vivah main aaj mere shayam ki shadi bhajan

रुकमणी विवाह में 'आज मेरे श्याम की शादी' भजन पर झूमें श्रद्धालुगण

ग्राम नानपुर में जारी है संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान

रुकमणी विवाह में 'आज मेरे श्याम की शादी' भजन पर झूमें श्रद्धालुगण

आलीराजपुर (रफीक क़ुरैशी) - समीप ग्राम नानपुर गोपाल गौशाला में चल रही श्रीमद्भागवत ज्ञान गंगा यज्ञ समिति द्वारा आयोजित संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान गंगा यज्ञ के छठे दिन मंगलवार को भगवान श्रीकृष्ण व रुक्मिणी के विवाह की कथा सुनाई गई एव कलाकारों ने इसका मंचन भी किया गया l कथावाचक आचार्य कमलेश नागर ने बताया कि विदर्भ के राजा भीष्मक के घर रुक्मिणी का जन्म हुआ। बाल अवस्था से भगवान श्रीकृष्ण को सच्चे हृदय से पति के रूप में चाहती थी। लेकिन उसका भाई रुक्मिणी का विवाह गोपल राजा शिशुपाल के साथ कराना चाहता था। रुक्मिणी ने अपने भाई की इच्छा जानी तो उसे बड़ा दुख हुआ। अत: शुद्धमति के अंतपुर में एक सुदेव नामक ब्राह्मण आता-जाता था। रुक्मिणी ने उस ब्राह्मण से कहा कि वे श्रीकृष्ण से विवाह करना चाहती हैं। सात श्लोकों में लिखा हुआ मेरा पत्र तुम श्रीकृष्ण तक पहुंचा देना।

रुकमणी विवाह में 'आज मेरे श्याम की शादी' भजन पर झूमें श्रद्धालुगण

आज मेरे श्याम की शादी है' भजन से झूमा पांडाल

कथावाचक ने बताया कि रुकमणी ने स्वयं को प्राप्त करने के लिए उपाय भी बताया। पत्र में रुकमणी ने बताया कि वह प्रतिदिन पार्वती की पूजा करने के लिए मंदिर जाती हैं, श्रीकृष्ण आकर उन्हें यहां से ले जावो। पत्र के माध्यम से रुकमणी ने कहा कि मुझे विश्वास है कि आप इस दासी को स्वीकार नहीं करेंगे तो मैं हजारों जन्म लेती रहूंगी। मैं किसी और पुरुष से विवाह नहीं करना चाहती हूं, बेशक सौ जन्म लेने पडे़ं। पंडित नागर ने बताया कि पार्वती के पूजन के लिए जब रुकमणी आई, उसी समय प्रभु श्रीकृष्ण रुक्मिणी का हरण कर ले गए। अत: रुकमणी के पिता ने रीति रिवाज के साथ दोनों का विवाह कर दिया। इंद्र लोक से सभी देवताओं द्वारा पुष्पों की वर्षा की तथा खुशियां लुटाई। जैसे ही श्रीकृष्ण ने रुकमणी को वरमाला पहनाई पूरा माहौल 'आज मेरे श्याम की शादी है' भजन से झूमने पर मजबूर हो गया l भक्तो ने भजनों पर खूब ठुमके लगाए l इस आयोजन में गांव से साथ साथ अलीराजपुर, खट्टालीं, जोबट, कुक्षी, बाग और सुसारी सहित निमाड़ के कई जगह के श्रद्धालु कथा श्रवण करने पहुँचे l यह जानकारी संजय गेहलोद माली ने दी।

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