भ्रष्टाचार की भेंट चढ़े अनुपयोगी शौचालय फिर भी कागजों पर ओडीएफ कर वाहवाही लूटते जिम्मेदार | Bhrashtachar ki bhent chade anupyogi shouchalay fir bhi kagjo pr odf

भ्रष्टाचार की भेंट चढ़े अनुपयोगी शौचालय फिर भी कागजों पर ओडीएफ कर वाहवाही लूटते जिम्मेदार

भ्रष्टाचार की भेंट चढ़े अनुपयोगी शौचालय फिर भी कागजों पर ओडीएफ कर वाहवाही लूटते जिम्मेदार

पेटलावद (मनीष कुमट) - तहसील मुख्यालय के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायतों में किए गए शौचालय निर्माण की वास्तविक स्थिति बड़ी दयनीय है। जिस तरह से कागजों पर जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा शौचालय दिखाए गए है उनकी वास्तव में जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर है। घटिया व गुणवत्ताहिना शौचालय के साथ-साथ अनुपयोगी शौचालय भी मौजूद है परंतु अधिकारी कागजों पर शौचालय निर्माण का मॉडल पेश करके वाहवाही लूटने में लगे हुए हैं।

स्वच्छ भारत मंत्रालय भारत सरकार द्वारा निर्मित ग्रामीण शौचालय निर्माण में झाबुआ जिले में तत्कालीन सरकार के समय बड़े स्तर पर शौचालय निर्माण में भारी भ्रष्टाचार झाबुआ जिले के आदिवासी क्षेत्र में सामने आया है। आदिवासी क्षेत्र झाबुआ जिले में तत्कालीन सरकार के समय करोड़ों रुपए की राशि झाबुआ जिले को राज्य स्वच्छ भारत मिशन भोपाल से प्राप्त हुई थी भारी भरकम राशि देख अधिकारियों द्वारा उसे कैसे ठिकाने लगाया जाए इसके लिए तत्कालीन जिला पंचायत सीईओ सहित जिला परियोजना समन्वयक अधिकारी सुनील कुमार सुमन एवं जनपद पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारी एवं ब्लॉक समन्वयक अधिकारीओ की मदद से जो शौचालय निर्माण राशि सीधे हितग्राही के खाते में स्वच्छ भारत अभियान मीशन सर्कुलर के नीयम के अंतर्गत जाना थी वह राशि इन भ्रष्ट अधिकारियों की मदद से हितग्राही के खाते मैं नहीं जाते हुए यह राशि वेंडरों के खातों में डालकर इन अधिकारियों तक पहुंचाई गई यह जांच प्रतिवेदन में भी स्पष्ट हुआ है की हितग्राहियों द्वारा निर्माण नहीं करते हुए वेंडर द्वारा चार से पांच हजार की लागत से बनाए गए शौचालय का निर्माण किया गया जब की सरकार द्वारा प्रत्येक शौचालय का निर्माण 12 हजार रुपए की लागत से होना था जिसमें स्थानीय सामग्री का उपयोग सीमेंट बालू रेत ईट शौचालय निर्माण में बनाते समय होना था लेकिन बाहरी व्यक्तियों को लाभ पहुंचाते हुए 4 से ₹5000 की लागत से शौचालय का निर्माण किया गया शेष राशि भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा दी गयी सूचना के अधिकार से प्राप्त दस्तावेजों से मिली जानकारी के अनुसार राज्य स्वच्छ भारत मिशन भोपाल से भी शौचालय निर्माण के अलावा लाखों रुपए की राशि जिला पंचायत झाबुआ को प्राप्त हुई लेकिन भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत से फर्जी बिना टिन नंबर बिना जीएसटी नंबर के बिल लगाकर लाखों रुपए की राशि इन अधिकारियों द्वारा डकार ली गई है जिसमें शासन को भी टैक्स के नाम पर लाखों रुपए का चूना लगाया गया है जिसकी शिकायत भी हो चुकी है जिसकी जांच होना अभी बाकी है कई विकास खंडो की जांच शौचालय के नाम पर हो चुकी है

भ्रष्ट ब्लॉक समन्वयक अधिकारी लगा रहे हैं दलालों के चक्कर

देखने में यह भी आया है कि तत्कालीन सरकार में संविदा नियुक्ति पद पर कार्यरत ब्लॉक समन्वयक अधिकारी द्वारा मनमर्जी तरीके से शौचालय निर्माण घोटाला हो या स्वच्छ भारत अभियान मिशन में अन्य राशि घोटाला अधिकतर ब्लॉक समन्वयक अधिकारी कांग्रेसी सरकार को बदनाम करने के लिए फुल छाप दलालों के आगे पीछे चक्कर लगा रहे हैं यह दलाल भी इनको बचाने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपना रहे हैं ।

आज भी जिले के अधिकतर विकास खंडों में शौचालय निर्माण कागजों पर बने हैं

झाबुआ जिले की कई विकास खंडों में कई ग्राम पंचायतों में आज भी शौचालय की अनेक शिकायतें जिला प्रशासन झाबुआ को प्राप्त हो रही है जिसमें शौचालय के नाम पर हितग्राही के खाते से ही बिना शौचालय निर्माण के ही वेंडरों द्वारा राशि निकाल ली गई है लेकिन कोई कार्रवाई अभी तक नहीं हो पाई है सबसे अधिक मामले राणापुर पेटलावद में पाए गए हैं

सूचना के अधिकार में स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण में बड़ा घोटाला होने की आशंका

सूचना के अधिकार से प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण मैं अभी और प्राप्त दस्तावेज के आधार पर झाबुआ जिले में एक बड़े घोटाले की आशंका जताई जा रही है जिसमें बड़े स्तर पर जिला पंचायत झाबुआ को राशि प्राप्त होना बताया है की उक्त योजना से संबंधित राशि का उपयोग जिला पंचायत द्वारा कहां किया गया है यह जॉच के घेरे मे हे।

भ्रष्टाचार खुलते ही स्थानांतरण करवाकर कर भागा जिला समन्वयक अधिकारी

स्वच्छ भारत ग्रामीण मिशन शौचालय निर्माण की शिकायत की जांच जैसे ही तत्कालीन एडिशनल सीओ द्वारा पूर्ण कर ली गई थी एवं अंतिम कार्रवाई के लिए तत्कालीन जिला पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी जमुना भिड़े को कार्रवाई हेतु अंतिम जांच प्रतिवेदन अधिकारी के सामने रखा तो आनन-फानन में जिला परियोजना समन्वयक अधिकारी सुनील कुमार सुमन द्वारा अपना स्थानांतरण कार्रवाई के डर से देवास करवा लिया जबकि वर्तमान में फर्जी बिलों की जांच होना बाकी है।

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