श्रमिकों को नहीं मिल रहा है निर्धारित वेतन, न्यूनतम मजदूरी देने की मांग | Shramiko ko nhi mil rha hai nirdharit vetan
श्रमिकों को नहीं मिल रहा है निर्धारित वेतन, न्यूनतम मजदूरी देने की मांग
पीथमपुर (प्रदीप द्विवेदी) - पीथमपुर राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जयप्रकाश खडसे ऑल इंडिया यूथ कांग्रेस वर्कर कमेटी के अनुसार, पीथमपुर को शासन द्वारा निर्धारित दर से श्रमिकों को वेतन नहीं मिल रहा है । श्री खडसे ने प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि अकुशल मज़ूदर को महीने की न्यूनतम मज़दूरी 14,842 रुपया , जो अर्ध-कुशल मज़दूर है उनको 16,341 रुपये ,और कुशल मज़दूर को 17,991 रुपये दिए जाएं।
भारत के प्रधानमंत्री , श्रम मंत्री एवं मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर खडसे ने मांग की। और बतलाया कि देश के शहरों में नौकरी में लगे 45 फीसदी भारतीयों को 10 हजार रुपये या फिर इससे कम वेतन मिलता है। महिलाओं को मिलती है कम सैलरी ,महिलाएं और पुरुष नौकरी करते हैं, वो कैजुअल और स्वंय का कार्य करने वालों से ज्यादा कमाते हैं। शहर, गांव के बीच जारी है खाई हालांकि कमाने के मामले में अभी भी शहर और गांव के बीच खाई जारी है। सभी सेक्टर में शहर में मिलने वाला वेतन, गांव के लोगों को कम मिलता है। वहीं महिलाओं और पुरुषों को मिलने वाले वेतन में भी काफी असमानता पायी गई।
63 फीसदी महिलाओं को 10 हजार रुपये से कम वेतन मिलता है। वहीं 32 फीसदी महिलाओं को पांच हजार रुपये वेतन मिलता है। पिथमपुर क्षेत्र में 55 फीसदी लोग 10 हजार रुपये से कम का वेतन पाते हैं।केवल तीन फीसदी लोगों को बढ़िया सैलरी मिलती है। इनका वेतनमान 50 हजार रुपये से एक लाख रुपये के बीच है। वहीं एक लाख रुपये से ज्यादा का वेतन पाने वालों की संख्या महज 0.2 फीसदी है।
आबादी के हिसाब से देखें तो पिथमपुर क्षेत्र में 94.9 फीसदी पुरुष और 38.5 फीसदी महिलाएं नौकरी करती हैं। चौकीदारों को मिलता है सबसे कम वेतन खडसे जी अनुसार चौकीदार और मजदुर वर्ग वालों को सबसे कम वेतन मिलता है। इनको औसतन सात हजार रुपये वेतन मिलता है।
ईतनी महगाई मे ये गरीब लोग कैसे अपने परिवार को पाले।भारत सरकार को गरीब और मजदुर वर्गो पर ध्यान दे और ठेका प्रथा को बंद करे। शासन द्वारा निर्धारित दर से ही मजदुरो को वेतन मिल सके। ऐसी व्यवस्था सुनिश्चित करें।
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