दीपावली को लेकर मिट्टी के दीपक बनाने में जुटे कुंभकार
राणापुर (ललित बंधवार) - दीपों के पर्व दीपावली में अभी भले ही एक सप्ताह से अधिक का समय है, लेकिन इस त्यौहार को लेकर तैयारी अब जोर पकडऩे लगी हैं। उल्लेखनीय है कि आगामी 25 अक्टूबर को धन तेरस व 27 अक्टूबर को दीपावली का पर्व मनाया जाएगा, जिसको लेकर विशेष तैयारियां की जा रही हैं। यही कारण है कि लोग अपने-अपने घरों और दुकानों की साफ-सफाई में जुट गए हैं, तो वहीं रोशनी के पर्व को लेकर कुंभकार समाज के लोग इन दिनों मिट्टी के दीए बनाने में व्यस्त है, और दीपक बनाने में पूरा परिवार दिन-रात मेहनत करता नजर आ रहा है। इन्हीं की मेहनत से बनाए चिरागों से दीपावली पर्व पर हर घर रोशनी से जगमगा उठता है। दीपावली पर घर, दुकान व प्रतिष्ठानों में दीपक जलाने का रिवाज पुराना है। ऐसी मान्यता है, कि दीपावली की रात धन की देवी लक्ष्मी भ्रमण करती है, लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए लोग घर दुकान व प्रतिष्ठानों में दीए जला कर रौशन करते हैं। हालांकि पुरानी मान्यताओं के चलते घरों में कम से कम पांच मिट्टी के दीपक लगाने की परंपरा आज भी जीवंत है, और यह परंपरा यूंहि जीवित रहे इसको लेकर प्रतिवर्ष कुंभकार समाज के लोग मिट्टी के दीपक तैयार करते हैं। रोशनी का पर्व दीपावली करीब है, और हर कोई इसे स्पेशल बनाने में लगा हुआ है। दीपावली पर्व का जितना इंतजार नगरवासियों को रहता है, उससे कहीं ज्यादा इंतजार कुंभकार समाज को होता है। क्योंकि यही एकमात्र पर्व उन्हें सालभर की कमाई दे जाता है। इसके बाद केवल गर्मी में ही उनका सीजन होता है। कमलेश प्रजापत बताते हैं, की अकेले इस काम में नहीं जुटते, बल्कि उनके साथ परिवार के अन्य सदस्य भी हाथ बंटाते हैं। कमलेश चक्के पर मिट्टी रखकर उसे आकार देते हैं और घर के अन्य सदस्य इन दीपों को पकाने में मदद करते हैं। तो इधर कुमार मोहल्ले में रहने वाला बालक किशन हाड़ा भी अपने पिताजी का हाथ बंटा रहा है। कुम्हार बस्ती में कुंभकार समाज के जितेन्द्र प्रजापत, धर्मेंद्र प्रजापत, गोविंद सोलंकी आदि ने बताया कि मिट्टी के दीपक मटकी आदि बनाने के लिए माता-पिता के साथ बच्चे भी सहयोग कर रहे हैं। कोई मिट्टी गूंदने में लगा है, तो किसी के हाथ चाक पर मिट्टी के दीपकों को आकार दे रहे हैं। महिलाएं पके हुए बर्तन को व्यवस्थित रखने का जिम्मा सौंपा गया है। महिलाएं विभिन्न रंगों से मिट्टी के बर्तनों को सजाने में जुटी हुई हैं। अयोध्या बस्ती, प्रजापत मोहल्ला आदि मोहल्ले में कुंभकार समाज के द्वारा मिट्टी के विभिन्न छोटे-बड़े दीपक तैयार किए जाने का कार्य जोरों पर है।
चाक पर अंगुलियां घुमते ही आकार ले लेती है, मिट्टी
लगभग 10 हजार की कीमत में आने वाला चाक का पहिया बड़ी मेहनत से पत्थर के कारीगरों द्वारा तैयार किया जाता है। इस पर सारे मिट्टे के बर्तन बनते हैं, लेकिन कुछ लोगों के पास अब इलेक्ट्रीक चाक है जिसमें मेहनत कम लगती है। इस पर भी सारे मिट्टी के बर्तन बनाए जाते हैं। चाक पर अंगुलियां घुमते ही दीपक, मटका, घड़ा, करवा, गुल्लक सहित कई अन्य उपकरण तैयार हो जाते हैं।
इनकी मेहनत को मिले मुकाम
मिट्टी के दीए बनाने के लिए के कुमार भाई एक माह पहले से ही तैयारी करने लगते हैं। दूर-दूर से मिट्टी लाते हैं। उन्हें आकर देते हैं, फिर पकाते हैं, कई बार दीपक बेकार हो जाते है, दिन-रात वे मेहनत करते है, इनकी मेहनत तब साकार होगी। जब पूरा नगर इनके द्वारा तैयार किए गए मिट्टी के दीए को ख़रीदेगा। इन दीए की कीमत चाइनीस दियों से भी कम होती है।
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