आज भी जाते हैं मन्नत धारी लगाते हैं आस्था का दीपक | Aaj bhi jate hai mannat dhari lagate hai astha ka deepak

आज भी जाते हैं मन्नत धारी लगाते हैं आस्था का  दीपक

आज भी जाते हैं मन्नत धारी लगाते हैं आस्था का  दीपक

धामनोद (मुकेश सोडानी) - जिस टूटी हुई सड़क को आप देख रहे हैं यह कभी राष्ट्रीय मार्ग क्रमांक 3 हुआ करता था लेकिन आज यह विरान और खामोश है यहां पर आने जाने वाले लोग सिर्फ नाम मात्र के हैं यह जगह है गणेश घाट के ऊपर वाले भैरवान घाट की जहां पर अब खामोशी के अलावा और कुछ नहीं एक समय था जब घुमावदार इस घाट में आवाज आवाजाही होती थी साथ-साथ सैकड़ों लोग इस घाट को अपने वाहनों में बैठकर निहार कर प्रकृति के अलौकिक सौंदर्य झरने और वन्य पशुओं को देखते थे लेकिन नवीन घाट बनने के बाद से अब यह घाट वीराने में चला गया है लेकिन आज भी यहां दो पुराने  भैरवनाथ मंदिर एंव गणेश मंदिर तथा एक दरगाह है जहां पर लोग  अभी भी पहुंचते हैं और आस्था का दीपक जलाते हैं


बीच में मार्ग टूटा नीचे 100 फिट खाई फिर भी वाहन चालक वाहन निकाल रहे

अब इस मार्ग की देखरेख कोई नहीं करता इसलिए मार्ग में बनी पुरानी सड़क टूट चुकी है तथा एक जगह तो सड़क टूटकर 100 फीट नीचे खाई तक पहुंच गई लेकिन मंदिर तक पहुंचने वाले इसी मार्ग से जोखिम लेकर निकलते हैं  प्रशासन ने वहां पर पहल कर रोड को दुरुस्ती करण करना चाहिए


ग्रामीण भी लेते हैं उपयोग

उपरोक्त मार्ग पर कई गांव विंध्याचल की पहाड़ियों में बसे हैं ग्रामीण मानपुर जाने के लिए आज भी इसी मार्ग से गुजरते हैं इसलिए यहां पर सुधार की आवश्यकता है ग्रामीणों ने बताया कि नवीन घाट बनने के बाद से इस मार्ग पर मेंटेनेंस का कार्य शून्य के  समान हो गया इसी के चलते मजबूरी में जोखिम उठाकर जाना पड़ता है क्योंकि दूसरे मार्ग से जाने पर दूरी करीब 10 किलोमीटर  की दूरी अधिक बढ़ जाती है

अलौकिक सौंदर्य

विंध्याचल के इस घाट में अलौकिक सौंदर्य भी झलक रहा है वहां पर बड़े-बड़े झरने और अन्य कई चीजें देखने को मिलती है वन्य प्राणी भी वहां पर विचरण करते हैं घाट के चारों ओर हरियाली ही हरियाली है बरसात में घाट का सौंदर्य और निखर जाता है प्रशासन और टोल कंपनी ने मिलकर सुधार कार्य कर वहां पर पहल करना चाहिए  जिससे ग्रामीणों और दर्शनार्थियों के लिए आवाजाही सुचारू हो सके

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