बॉर्डर एरिया, नक्सल प्रभावित क्षेत्र और दूसरे इलाकों में स्कूल छोड़ चुके युवक बंदूक पकड़ कर अपराध के रास्ते पर न जाएं, इसके लिए एसएसबी ने एक अनूठी योजना शुरु की है। ऐसे युवकों को नेशनल स्किल डेवेलपमेंट कॉर्पोरेशन (एनएसडीसी) की मदद से 'मैन फ्राइडे' स्कीम के जरिए अपने पांव पर खड़ा किया जाता है। एसएसबी इन्हें 55 दिन की टेनिंग देती है और फिर इन युवाओं को बड़ी कंपनियों में जॉब भी दिलाती है। बता दें कि बॉर्डर इलाकों के अलावा नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में बहुत से युवा जो किसी कारणवश स्कूल छोड़ देते हैं, उनमें से कई युवक गलत राह पकड़ लेते हैं। खासतौर पर सीमावर्ती इलाकों में यह समस्या गंभीर रुप धारण करती जा रही है
कश्मीर, असम, झारखंड, छत्तीसगढ़ व पश्चिम बंगाल आदि राज्यों में अनेक बच्चे बीच में ही स्कूल छोड़ देते हैं। अपराधिक तत्व इन बच्चों को आसानी से अपने गिरोह में शामिल कर लेते हैं। कुछ युवक नशे के कारोबार में संलिप्त पाए गए इैं। कश्मीर जैसे अत्यंत संवेदनशील क्षेत्र में तो आतंकी समूह भोले-भाले युवकों को गुमराह कर रहे हैं। आतंकी संगठनों के बहकावे में आकर युवक बंदूक उठा लेते हैं या फिर किसी बड़ी अपराधिक वारदात को अंजाम दे देते हैं। पुलवामा हमले को अंजाम देने वाला युवक भी ऐसा ही था। जैश-ए-मोहम्मद, आतंकी संगठन ने आदिल अहमद डार को अपने जाल में फंसा लिया। इससे पहले भी आदिल को पत्थरबाज़ी के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था।
एसएसबी ने ऐसे ही भटके युवकों को सही राह पर लाने के लिए 'मैन फ्राइडे' योजना शुरु की है। इसके तहत एसएसबी की असम के बोगईगांव स्थित 15वीं बटालियन ने 30 युवाओं को ट्रेनिंग देकर उन्हें विभिन्न कंपनियों में जॉब भी दिला दी है। कुछ युवाओं को हाउस कीपिंग तो अन्य को कुकिंग, कार्यालय वर्क, बिजली-टेलीफोन का बिल भरना, बैंकिंग सेक्टर के कामकाज और ड्राइविंग आदि सिखाई जाती है। ट्रेनिंग के बाद युवकों को पोर्ट-टी होम मेडिकल केयर सर्विस बंगलुरु और सोडेक्सो फेसिलिटी मैनेजमेंट सर्विस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड आदि कंपनियों में स्थायी नौकरी दिला दी जाती है।
मौजूदा समय में एसएसबी असम, भिलाई, पश्चिम बंगाल, रांची, गोरखपुर, रांची और उत्तराखंड आदि जगहों पर 'मैन फ्राइडे' योजना लागू कर रही है। संभावित है कि मार्च के बाद इसे कश्मीर के उस हिस्से में भी लागू किया जाए, जहां एसएसबी तैनात है। आईजी फ्रंटियर श्रवण कुमार का कहना है, इस ट्रेनिंग के बाद स्कूल छोड़ चुके युवकों को यह महसूस नहीं होता कि वे समाज की मुख्यधारा में नहीं हैं। एसएसबी उन्हें कामकाज की ट्रेनिंग देने के अलावा अनुशासन का भी पाठ पढ़ाती है। अच्छी बात यह है कि युवक अपराध के रास्ते पर नहीं जाते। हमारा प्रयास है कि एनएसडीसी के सहयोग से इस योजना को ज्यादा से ज्यादा क्षेत्रों तक पहुंचाया जाए।
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