सरकारी अनदेखी की भेंट चढ़ेगा छात्रों का भविष्य? शौचालय नहीं, लैब जर्जर - फिर भी 'एकीकृत विद्यालय' ने रोशन किया नाम Aajtak24 News

सरकारी अनदेखी की भेंट चढ़ेगा छात्रों का भविष्य? शौचालय नहीं, लैब जर्जर - फिर भी 'एकीकृत विद्यालय' ने रोशन किया नाम Aajtak24 News

शहडोल - वर्तमान के समय में हर अभिभावक अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में शिक्षा ग्रहण कराने के लिए दिन रात एक करते हैं। जिससे कि उनके बच्चों का भविष्य अच्छी शिक्षा से निखार सके। लेकिन शासकीय स्कूलों में भी इन दिनों ऐसे भी विद्यालय हैं जो की अभिभावकों से बिना किसी वसूली के विद्यालय में अध्यनरत छात्र-छात्राओं के भविष्य को निखारने में लगे हुए हैं। जिससे कई वर्षों से लगातार उक्त एकीकृत शासकीय विद्यालय शिक्षा गुणवत्ता को लेकर लगातार अपने विद्यालय का नाम रोशन कर रहे हैं। लेकिन उक्त एकीकृत शासकीय विद्यालय में पढ़ रहे विद्यार्थियों को भवन व शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं मिली है। बावजूद इसके विद्यालय में अध्यनरत विद्यार्थी लगातार गुणवत्ता युक्त शिक्षा ग्रहण कर अपने प्रतिभाओं को निखारने में लगे हुए हैं। लेकिन क्या इन विद्यालयों पर विभाग ध्यान दे रहा है यह बड़ा सवाल है।

ऐसा है पूरा मामला

दरअसल मामला जिला मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर दूरी पर स्थित एकीकृत शासकीय हाई स्कूल कर्री का है जहां पर एक से दसवीं तक के विद्यार्थी विद्यालय में प्रतिदिन अध्ययन के लिए आते हैं। उक्त विद्यालय में प्राइमरी भवन जो की जीर्ण शीर्ण अवस्था में है। प्राइमरी भवन रिसने के कारण छत के किनारों में दरार आ गई है। जिसमें बरसात के दिनों में बच्चों को अध्ययन करने में काफी समस्या होती है। हालांकि विद्यालय के प्राचार्य द्वारा बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए उन्हें मिडिल व हाई स्कूल के बच्चों के साथ एक ही भवन में बैठाया जाता है। विद्यालय में मौजूद स्टाफ का कहना है कि ऐसे में एक ही भवन में कक्षा एक से लेकर दसवीं तक के बच्चे पढ़ने बैठते हैं जिससे बच्चों को अध्यापन कराने में काफी समस्या होती है। यदि  प्राइमरी भवन की मरम्मत व उसमें सुधार कर दिया जाए तो उससे अध्यापन कार्य करने में काफी सहूलियत होगी। 

प्रयोगशाला भी जर्जर स्थिति में

पुराना जर्जर प्राइमरी भवन लगभग 1965 का बना हुआ है। जहां पर उक्त भवन में विज्ञान प्रयोगशाला में रखें रसायन व अन्य प्रयोग सामग्री छत से रिसने वाले पानी के चलते खराब होने के कगार में है भवन जर्जर होने के कारण प्रयोगशाला का उपयोग बच्चे नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में बड़ा सवाल यह है की कक्षा 9वीं और 10वीं के छात्र विज्ञान विषय में आने वाली प्रयोग जानकारी का विस्तृत ज्ञान प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं। हालांकि इन सब समस्याओं के होते हुए भी इस विद्यालय के विद्यार्थी विगत दो वर्षों से लगातार शिक्षकों के निर्देशन में सत प्रतिशत परिणाम ला रहे हैं। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या इन विद्यार्थियों को विभाग द्वारा बेहतर सुविधाएं उपलब्ध करनी चाहिए या नहीं।

विद्यालय में नहीं है शौचालय

हमारी टीम ने विद्यालय का निरीक्षण तक पाया कि विद्यालय में शौचालय नहीं बना हुआ है। जिससे विद्यार्थियों को निस्तार हेतु खेत की ओर जाना पड़ता है। जिससे स्वच्छ भारत जैसे शासन की महत्वपूर्ण पहल पर कहीं ना कहीं पानी फिरता नजर आ रहा है,जिले के ट्राईबल विभाग के अधीनस्थ आने वाला यह विद्यालय जहां लाखों करोड़ों रुपए साल में मरम्मत के नाम पर खर्च कर दिए जाते हैं वहां पर इन विद्यालयों पर काम क्यों नहीं होता जिन्हें वास्तव में मरम्मत व बजट की आवश्यकता है।

कई बार विभागीय पत्राचार के माध्यम से अधिकारियों को कराया गया अवगत

जब इस संबंध में हमने विद्यालय के प्राचार्य से पूछा तो उनका कहना था कि हमने कई बार भवन निर्माण व शौचालय समेत ड्यूल डैक्स व स्मार्ट क्लास के लिए विभागीय पत्राचार किया जिसमें कई बार हमने जिले के आदिवासी विभाग के सहायक आयुक्त से लेकर विकासखंड शिक्षा अधिकारी एवं सर्व शिक्षा अभियान अंतर्गत जिला समन्वयक एवं खंड समन्वयक को तक पत्राचार किया गया लेकिन किसी ने विद्यालय की ओर व विद्यालय में अध्यनरत विद्यार्थियों की इन बुनियादी सुविधाओं को लेकर कोई कार्य नहीं किया।

तो क्या विभाग की उदासीनता का शिकार बन रहे प्रतिभा शाली विद्यार्थी,इस पूरे प्रकरण में बड़ा सवाल यह है कि एकीकृत शासकीय हाई स्कूल कर्री में जहां इस विद्यालय के बच्चे लगातार अपने गुरुजनों के मार्गदर्शन में सत प्रतिशत परीक्षा परिणाम लाकर शासकीय विद्यालय का नाम रोशन कर रहे हैं तो ऐसे में क्या बजट के अभाव में इन विद्यालयों में पढ़ रहे बच्चों का भविष्य विभाग के आल्ह अधिकारियों के उदासीनता के चलते गरत में जा रहा है। यह सवाल अभी भी बना हुआ है 

इनकी प्रतिक्रिया

हां अभी हाल ही में मैं वहां नहीं गया हूं लेकिन जो भी समस्या है। उसको मैं दिखवाता हूं। समस्या का जल्द से जल्द समाधान किया जाएगा। आनंद सिंन्हा सहायक आयुक्त जनजाति कार्य विभाग जिला शहडोल।

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