SCO शिखर सम्मेलन में PM मोदी ने पाकिस्तान को घेरा: 'आतंकवाद पर कोई दोहरा मापदंड नहीं Aajtak24 News

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नई दिल्ली - चीन के तियानजिन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद के मुद्दे पर भारत के सख्त और अडिग रुख को स्पष्ट किया। यह मौका खास इसलिए भी था क्योंकि इस बैठक में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ भी मौजूद थे। पीएम मोदी ने पाकिस्तान का नाम लिए बिना ही, उसके सहयोगी चीन के सामने, आतंकवाद के मुद्दे पर जमकर लताड़ लगाई। उन्होंने अपने संबोधन में करीब नौ बार 'आतंकवाद' शब्द का इस्तेमाल किया, जो इस बात का स्पष्ट संकेत था कि भारत के लिए यह मुद्दा कितना महत्वपूर्ण है।

पहलगाम हमला: मानवता पर सीधा वार

प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले का उल्लेख किया, जिसे उन्होंने 'आतंकवाद का सबसे घिनौना रूप' बताया। उन्होंने कहा, "पहलगाम का हमला सिर्फ भारत की अंतरात्मा पर हमला नहीं था, बल्कि उन सभी देशों के लिए एक खुली चुनौती थी, जिन्हें मानवता में विश्वास है।" पीएम मोदी ने इस हमले को लेकर एक तीखा सवाल उठाया, "क्या कुछ देशों द्वारा आतंकवाद के लिए दिया जा रहा खुला समर्थन कभी हमारे लिए स्वीकार्य हो सकता है?" यह सीधा सवाल उन देशों के लिए था जो आतंकवाद को राजनीतिक लाभ के लिए एक हथियार के रूप में इस्तेमाल करते हैं, जिसमें पाकिस्तान सबसे आगे है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आतंकवाद और उग्रवाद मानवता के लिए एक संयुक्त चुनौती है और जब तक ये खतरे मौजूद हैं, कोई भी देश या समाज सुरक्षित नहीं रह सकता।

दोहरे मापदंड पर सीधा हमला

प्रधानमंत्री मोदी का सबसे कड़ा संदेश आतंकवाद के प्रति 'दोहरे मापदंड' (Double Standards) को लेकर था। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में कोई दोहरा मापदंड बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यह बयान चीन और अमेरिका दोनों के लिए एक संदेश था। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान चीन ने पर्दे के पीछे से पाकिस्तान का समर्थन किया था, जबकि टैरिफ जैसे मुद्दों पर अमेरिका अक्सर पाकिस्तान के प्रति नरम रवैया अपनाता रहा है। पीएम मोदी ने एक ही तीर से दो निशाने लगाते हुए इन दोनों देशों को यह समझा दिया कि आतंकवाद के मुद्दे पर अब भारत किसी भी तरह का समझौता नहीं करेगा। उन्होंने SCO समूह से आतंकवाद के खिलाफ 'जीरो टॉलरेंस' की नीति अपनाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, "आतंकवाद पर कोई समझौता नहीं हो सकता। हमें हर रूप में इसकी निंदा करनी चाहिए। सीमा पार आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस हमारी मानवता के प्रति जिम्मेदारी है।

SCO की नई परिभाषा और भारत का विजन

अपने संबोधन में, प्रधानमंत्री मोदी ने एससीओ की एक नई और विस्तारित परिभाषा पेश की। उन्होंने कहा कि एससीओ में 'S' का मतलब सिक्योरिटी (सुरक्षा), 'C' का मतलब कनेक्टिविटी और 'O' का मतलब अपॉर्चुनिटी (अवसर) है। इस नई परिभाषा के माध्यम से, उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया कि यह संगठन केवल चीन के प्रभुत्व वाला मंच नहीं है, बल्कि एक ऐसा मंच है जहां सभी सदस्य देश मिलकर चुनौतियों का सामना कर सकते हैं और सहयोग को बढ़ावा दे सकते हैं। यह बात चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के उस बयान के जवाब में थी जिसमें उन्होंने एससीओ को दुनिया का सबसे बड़ा क्षेत्रीय संगठन बताया था। पीएम मोदी ने दिखाया कि आकार से ज्यादा संगठन की प्राथमिकताएं महत्वपूर्ण हैं।

अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की दृढ़ता

SCO शिखर सम्मेलन से पहले ही भारत ने यह साफ कर दिया था कि अगर संयुक्त बयान में पहलगाम हमले का जिक्र नहीं किया जाएगा तो भारत उस पर हस्ताक्षर नहीं करेगा। यह भारत की आतंकवाद के प्रति सख्त नीति का प्रमाण है। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की उपस्थिति में पीएम मोदी ने जिस तरह से आक्रामक तरीके से आतंकवाद पर बात की, वह अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की बढ़ती कूटनीतिक ताकत को दर्शाता है। यह दुनिया को एक बड़ा संदेश है कि भारत अब आतंकवाद के मुद्दे पर केवल रक्षात्मक नहीं, बल्कि आक्रामक रुख अपनाएगा।

पीएम मोदी ने कहा कि भारत पिछले चार दशकों से आतंकवाद का दंश झेल रहा है, और कितने ही बच्चे अनाथ हो गए हैं। उन्होंने अल-कायदा और उसके सहयोगियों जैसे आतंकवादी संगठनों के खिलाफ लड़ाई में भारत के नेतृत्व की भी बात की और आतंकी फंडिंग का विरोध करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। कुल मिलाकर, एससीओ में प्रधानमंत्री मोदी का संबोधन भारत की विदेश नीति में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ। यह दिखाता है कि भारत अब अपनी सुरक्षा चिंताओं को वैश्विक मंचों पर खुलकर और प्रभावी ढंग से उठा रहा है, और आतंकवाद के मुद्दे पर किसी भी तरह का समझौता करने को तैयार नहीं है।

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