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भारत की नई जलविद्युत रणनीति: जम्मू-कश्मीर में बड़े जल भंडारण पर जोर, पाकिस्तान से सिंधु जल संधि पर सख्त रुख rukh Aajtak24 News |
नई दिल्ली - केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल ने हाल ही में घोषणा की है कि भारत सरकार जम्मू-कश्मीर में अपनी जलविद्युत परियोजनाओं के लिए एक महत्वपूर्ण बदलाव ला रही है। अब फोकस केवल बिजली उत्पादन पर नहीं, बल्कि जल भंडारण क्षमता को अधिकतम करने पर भी होगा, खासकर उन परियोजनाओं में जो अभी शुरुआती चरण में हैं। यह निर्णय जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए हालिया आतंकी हमले के बाद भारत के सख्त रुख का एक हिस्सा है, जिसने भारत को पाकिस्तान के साथ 1960 की सिंधु जल संधि को निलंबित करने के लिए प्रेरित किया। यह कदम न केवल भारत की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करेगा, बल्कि पाकिस्तान पर सीमा पार आतंकवाद को रोकने के लिए भी दबाव बनाएगा।
भारत का यह कदम स्पष्ट संकेत है कि वह अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा और जल संसाधनों के उपयोग को लेकर किसी भी समझौते को स्वीकार नहीं करेगा। चिनाब और झेलम जैसी महत्वपूर्ण नदियों पर कई बड़ी और छोटी परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं या योजना के विभिन्न चरणों में हैं। इन परियोजनाओं में अब अधिक जल भंडारण क्षमता को शामिल करने की योजना बनाई जा रही है, जो भविष्य में जल प्रबंधन और बिजली उत्पादन दोनों में भारत को रणनीतिक लाभ देगा। यह नई रणनीति न केवल भारत के भीतर ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है, बल्कि यह क्षेत्र में भू-राजनीतिक समीकरणों को भी प्रभावित कर सकती है।
नई परियोजनाओं में बढ़ेगा जल भंडारण
मंत्री ने स्पष्ट किया कि जो परियोजनाएं पहले से पाइपलाइन में हैं, उनके तकनीकी विवरणों में कोई बदलाव नहीं होगा। हालांकि, जो परियोजनाएं अभी शुरुआती चरण में हैं, उनमें जल भंडारण और बिजली उत्पादन बढ़ाने की योजना बनाई जा सकती है। यह निर्णय सिंधु नदी प्रणाली में भारत की जलविद्युत क्षमता का अधिकतम उपयोग करने की रणनीति का हिस्सा है।
प्रमुख परियोजनाएं और उनका महत्व
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में चार प्रमुख जलविद्युत परियोजनाएं हैं जिन्हें केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (CEA) की मंजूरी मिल चुकी है, लेकिन अभी इनका निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ है:
- न्यू गांदरबल (93 मेगावाट) - सिंध नाले पर
- किर्थाई-II (930 मेगावाट) - चिनाब नदी पर
- सवालकोट (1,856 मेगावाट) - चिनाब नदी पर
- उरी-I स्टेज-II (240 मेगावाट) - झेलम नदी पर
इनमें से अधिकांश परियोजनाएं 'रन-ऑफ-द-रिवर' (नदी के बहाव पर आधारित) योजना के तहत विकसित की गई हैं, जिनमें सीमित जल भंडारण की सुविधा है। CEA चिनाब की सहायक नदी मरुसुदार पर प्रस्तावित 800 मेगावाट की बर्सर स्टोरेज बेस्ड हाइड्रो प्रोजेक्ट का भी सर्वेक्षण कर रहा है। इसके अतिरिक्त, डुलहस्ती स्टेज-II (260 मेगावाट) और किर्धाई-I (390 मेगावाट) जैसी अन्य परियोजनाओं की भी समीक्षा चल रही है। CEA के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में अभी भी 1,088 मेगावाट क्षमता की नौ हाइड्रो परियोजनाओं की संभावनाएं शेष हैं, जिनमें से दो (गंगबल और वार्डवन बर्सर) स्टोरेज आधारित होंगी। केंद्र सरकार चिनाब नदी पर चार प्रमुख परियोजनाओं - पाकल दुल (1,000 मेगावाट), रैतल (850 मेगावाट), किरू (624 मेगावाट) और क्वार (540 मेगावाट) - को तेजी से पूरा करना चाहती है। इनमें पाकल दुल जम्मू-कश्मीर में पहली स्टोरेज बेस्ड हाइड्रो परियोजना है, जिसकी 109 मिलियन क्यूबिक मीटर जल भंडारण क्षमता होगी और इसके सितंबर 2026 तक पूरा होने की उम्मीद है।
सिंधु जल संधि पर भारत का कड़ा रुख
पहलगाम हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को औपचारिक रूप से सिंधु जल संधि को निलंबित करने की जानकारी दी थी। इसके जवाब में, पाकिस्तान ने संधि को बहाल करने की अपील की है, लेकिन भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक पाकिस्तान "सीमा पार आतंकवाद को विश्वसनीय और अपरिवर्तनीय रूप से समाप्त" नहीं करता, तब तक संधि निलंबित रहेगी।
पाकिस्तान के लिए सिंधु नदी प्रणाली उसकी अर्थव्यवस्था का आधार है, जिस पर उसकी 25% जीडीपी निर्भर करती है। संधि के निलंबन से पाकिस्तान में जल संकट गहरा सकता है, जिससे उसकी अर्थव्यवस्था और सामाजिक स्थिरता पर गंभीर प्रभाव पड़ने की आशंका है। पाकिस्तानी नेताओं ने इसे "युद्ध का कार्य" तक करार दिया है, लेकिन भारत ने अपनी स्थिति दोहराई है कि 1960 की परिस्थितियों में बदलाव के कारण संधि की समीक्षा और संशोधन आवश्यक है।
साइबर हमलों से निपटने और भविष्य की योजनाएं
ऊर्जा मंत्री ने प्रेस वार्ता में यह भी बताया कि हाल ही में चले 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान देश के ऊर्जा क्षेत्र पर बड़ी संख्या में साइबर हमले हुए। हालांकि, पहले से लगे फायरवॉल की मदद से इन सभी हमलों को निष्क्रिय कर दिया गया और कोई नुकसान नहीं हुआ। ऊर्जा सचिव पंकज अग्रवाल ने भी बताया कि भारी मात्रा में दुर्भावनापूर्ण साइबर ट्रैफिक को फायरवॉल के जरिए रोका गया।
मंत्री ने कहा कि देश की साइबर सुरक्षा को उत्पादन, ट्रांसमिशन और वितरण प्रणाली सहित हर स्तर पर मजबूत किया जा रहा है। विदेशों से आयात किए जाने वाले उपकरणों की भी बारीकी से जांच की जा रही है ताकि किसी भी माध्यम से साइबर हमले को रोका जा सके।
भारत सरकार ने सिंधु नदी बेसिन में जल के अधिकतम उपयोग के लिए कई योजनाएं तैयार की हैं, जिनमें न केवल जलविद्युत परियोजनाएं, बल्कि सिंचाई और जल भंडारण योजनाएं भी शामिल हैं। इनमें ब्यास नदी से श्रीगंगानगर (राजस्थान) तक 130 किलोमीटर लंबी नहर के निर्माण की योजना भी शामिल है।