![]() |
खरीफ धान की फसल में रोगों से निपटने के लिए कृषि विशेषज्ञों की महत्वपूर्ण सलाह Important advice from agricultural experts to deal with diseases in Kharif paddy crop |
सारंगढ़-बिलाईगढ़ - खरीफ की धान की फसल में मौसम में आर्द्रता बढ़ने के कारण विभिन्न कीट और बीमारियों का प्रकोप बढ़ रहा है। प्रमुख कीट और रोगों में तनाछेदक कीट, पेनीकल माइट, शीथरॉट और शीथ ब्लाइट शामिल हैं।
कृषि विज्ञान केंद्र बलौदा बाजार के वरिष्ठ वैज्ञानिक और उप संचालक कृषि सारंगढ़-बिलाईगढ़, आशुतोष श्रीवास्तव ने कीट और बीमारी नियंत्रण के लिए कृषकों को सलाह दी है।
तनाछेदक कीट: यह कीट तने में घुसकर उसे खाता है। इसके नियंत्रण के लिए:
- कर्टाप हाइड्राक्लोराइड 4 जी: 8 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर
- ट्राइजोफ़ास 40 ई.सी.: 2.5 मि.ली. प्रति लीटर पानी
- बुफ़रोफेजीन 10 ई.सी.: 1.5 मि.ली. प्रति लीटर पानी का छिड़काव करें।
पेनीकल माइट: यह पत्तियों पर भूरे धब्बे बनाता है। इसके नियंत्रण के लिए:
- डाइकोफाल 18.5 ई.सी.: 2.5 मि.ली. प्रति लीटर पानी
- इसपिरोमेफिसेन 22.9 एस.सी.: 2.0 मि.ली. प्रति लीटर पानी का छिड़काव करें।
शीथरॉट: गबोट के निचले हिस्से पर हल्के भूरे धब्बे बनते हैं। इसके नियंत्रण के लिए:
- कार्बेण्डाजिम + मेंकोजेब: 1 ग्राम प्रति लीटर पानी का छिड़काव करें।
शीथ ब्लाइट: यह रोग पौधों को प्रभावित करता है। इसके नियंत्रण के लिए:
- हेक्साकोनाजोल: 1 मि.ली. प्रति लीटर पानी
- थायोक्लुजामाइड: 1 मि.ली. प्रति लीटर पानी का छिड़काव करें।
किसानों को सलाह दी गई है कि यदि रोग या कीट पूरी तरह से नियंत्रित नहीं होते हैं, तो 10 दिन के अंतराल पर पुनः कीटनाशक और फफूंदनाशक का छिड़काव या भुरकाव करें ताकि रोगों का पूर्ण नियंत्रण हो सके।