पेट की आग ने मजदूरों को पलायन के लिए फिर किया मजबूर
डिंडौरी (पप्पू पड़वार) - आदिवासी जिला डिंडौरी के समनापुर जनपद क्षेत्र से हर साल काम की तलाश में गुजरात,महाराष्ट्र,छत्तीसगढ़ और अन्य प्रदेशों में जाने वाले सैकडों श्रमिकों ने लाॅकडाऊन में छूट मिलते ही काम पर लौटना शुरू कर दिया है। उन्हें लगातार बुलावा भी आ रहा है और ले जाने के लिए वाहन सुविधा भी उपलब्ध करवाई जा रही है।
बसें शुरू होने पर लौटने वाले श्रमिकों की संख्या तेजी से बढ़ने की संभावना व्यक्त की जा रही है। वैसे प्रशासन दावा कर रहा है कि मजदूरों के लिए कई काम खोले हैं। मजदूरों के लौटने की वजह उन्हें मिलने वाली मजदूरी में फर्क है। जनपद क्षेत्र में सरकारी योजनाओं में उतनी मजदूरी नहीं मिलती जो उन्हें अन्य राज्यों में काम करने पर मिलती है।
लॉकडाउन में महाराष्ट्र,छत्तीसगढ़ सहित अन्य राज्यों में कामकाज बंद होने से समनापुर जनपद के मजदूरों ने 25 मार्च से ही वहां से लौटना शुरू कर दिया था। यहां काम नहीं मिला और महाराष्ट्र से लगातार बुलावा आने लगा तो उन्होंने लौटना शुरू कर दिया है।
बसें बंद होने से ठेकेदार वाहन मुहैया करा रहे हैं । जनपद से सैकड़ों लोग हर साल काम करने महाराष्ट्र और अन्य राज्यों में जाते हैं। लॉकडाउन में समनापुर जनपद क्षेत्र के सैकड़ों श्रमिक परिवार सहित आए थे। ताजा स्थिति के अनुसार इनमें से 25 से 30 प्रतिशत वापस जा चुके हैं। प्रेमपुर निवासी श्रमिक सुखलाल ने कहा कि जनपद के मुकाबले अन्य राज्यों में मजदूरी ज्यादा है। समनापुर जनपद के जाताडोंगरी,खुड़िया, प्रेमपुर,झांखी,पडरिया,मारगांव,
मझगांव, बम्हनी,कुटेला,आदि क्षेत्रों से हर साल काम के लिए सैकडों लोग गुजरात, महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश जाते हैं। इनमें से अधिकांश लॉकडाउन में लौट आए थे, अब वापस काम पर जा रहे हैं।
जनपद पंचायत का दावा है कि मजदूरों को काम दिया जा रहा है, लेकिन अधिक मजदूरी के लिए मजदूर बाहर जा रहे हैं। लॉकडाउन में समनापुर जनपद के 2811 मजदूर घर लौटे थे। इन्हें मनरेगा में काम देने का दावा किया गया, लेकिन मात्र 200 एवं 150 रुपये मजदूरी मिलने से इन्होंने वापस जाना शुरू कर दिया। ऐसा इसलिए भी हो रहा है कि महाराष्ट्र और अन्य राज्यों में मजदूरी 300 से 500 रुपये रोज मिलती है। कहने को तो जनपद में रोजगार के पर्याप्त अवसर हैं, काम की कमी नहीं है मगर जनपद से जब जानकारी मांगी गई कि मार्च से लेकर अभी तक कितने प्रवासी मजदूरों को काम दिया गया तो जवाबदारों ने कहा अभी रिपोर्ट तैयार किया जा रहा है । समनापुर जनपद में मनरेगा के तहत फिलहाल 7252 मजदूर कार्य कर रहे हैं।
इनका कहना है
हमें मनरेगा के तहत काम नहीं मिला है, सरकारी योजनाओं में 150 से 200 रुपये प्रतिदिन मिलता है, जबकि अन्य प्रदेशों में 350 से 500 रुपये प्रतिदिन मजदूरी मिल जाती है इस कारण पलायन करने को मजबूर हैं।
श्रमिक, राजेश कुमार यादव
ग्राम जाताडोंगरी
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