'कोरोना वॉयरस' से बचाव में 'आयुष मंत्रालय' से निर्देशित होम्योपैथी दवाई कारगर | Corona virus se bachao main ayush mantralaya se nirdeshit homeopathy davai kargar

'कोरोना वॉयरस' से बचाव में 'आयुष मंत्रालय' से निर्देशित होम्योपैथी दवाई कारगर

'कोरोना वॉयरस' से बचाव में 'आयुष मंत्रालय' से निर्देशित होम्योपैथी दवाई कारगर

भोपाल (संतोष जैन) - देश ही नहीं पूरी दुनिया इस समय 'कोरोना वायरस' जैसी महामारी से जूझ रही है, होम्योपैथी के डॉक्टरों द्वारा 'कोरोना वायरस' से बचाव के लिए दवाईयों के सुझाव दिये जा रहे हैं। ऐसे में होम्योपैथी के जाने-माने मशहूर डॉक्टर दीपक राज डंगवाल (एमडी, पीएचडी इन होम्यौपैथी) के द्वारा 'आयुष मंत्रालय' और दिल्ली बोर्ड आॅफ होम्योपैथी के द्वारा निर्देशित 'कोरोना वायरस' के बचाव की दवाई (Arsenicum Album 30) का नि:शुल्क वितरण कई दिनों से पूर्वी दिल्ली ही नहीं दिल्ली में नि:शुल्क वितरण किया जा रहा। नि:शुल्क दवाई वितरण की शुरूआत पहले छोटे-छोटे कैम्पों में लगायी गयी जिसमें करीब 10,000 लोगों को अब तक यह दवाई दी जा चुकी है, इसके बाद लोगों की मांग के अनुसार लोगों के घर-घर तक इस दवाई का वितरण किया जा रहा है। 

डॉक्टर दीपक राज डंगवाल ने अपने किसी निजी स्वार्थ के बिना इस दवाई के वितरण में अपने निजी खर्चे से लोगों की सेवा में लगे हैं ताकि 'कोरोना' वायरस से लोगों को बचाया जा सके। काफी लोगों का कहना है कि यदि कारगर है तो सरकार इसे मान्य कर लोगों को निर्देशित क्यों नहीं करती। हाल ही में (21 मार्च, 2020) महाराष्टÑ सरकार के 'न्यूक्लियर पॉवर कॉपोरेशन आॅफ इंडिया लिमिटेड' ने इसे कोरोना वायरस संक्रमण के विरूद्ध निरोधी दवाई (Arsenicum Album 30) के रूप में वितरण कराया। 

डॉक्टर दीपक राज डंगवाल ने यह भी बताया कि जब भी महामारी फैलती है तो ऐसे में हमेशा ही होम्योपैथी कारगर रही है। इतिहास पर प्रकाश डालते हुए दीपक जी ने कुछ बातें बतायीं -
- 1918 की इन्फ्लुएंजा महामारी के बाद 'जर्नल आॅफ द अमेरिकन इंस्टीटयूट फॉर होम्योपैथी' टी.ए.मैककैन ने मई 1921 में होम्योपैथी के उपयोग के बारे में एक लंबा लेख लिखा जिसमें उन्होंने बताया कि फ्लू के 24000 मामलों में एलोपैथिक इलाज किया गया जिसमें मृत्यु दर 28.2% थी, जबकि 26000 मामलों में यही आंकडा  होम्योपैथिक में 1.05% था।
- 1854 में हैजा महामारी ने लंदन को दहला दिया था तब उस समय भी होम्योपैथी प्रभारी साबित रही थी।
- 1813 में टायफस फीवर (जूं द्वारा फैलाना)  जो एक महामारी बनी जोकि जर्मनी के माध्यम से नेपोलियन की सेना की तबाही के बाद उनके साथ आयी थी उसमें होम्योपैथी काफी कारगर बनी।
......और न जाने कितने ही इतिहास की कहानियां जोकि महामारी में होम्यौपैथी की सफलता की कहानी बयां करती हैं ।

डॉ.दीपक डंगवाल ने आगे बताया कि जिस दवाई का हम वितरण रहे हैं इस दवाई को 'आयुष मंत्रालय' और दिल्ली बोर्ड आॅफ होम्योपैथी के द्वारा 'कोरोना वायरस' से बचाव में सक्षम बताया गया है। ऐसे में यदि हम लोगों की सेवा में आगे नहीं आयेंगे तो कौन आयेगा? हम सभी को मिलकर इस महामारी को रोकना ही नहीं बल्कि इसे जड़ से मिटाना होगा। हम सभी को संकल्प लेना होगा कि इस बीमारी को हम आगे नहीं बढ़ने देंगे। अपने मुंह पर मास्क और हाथों को बार-बार क्लीन करेंगे साथ ही हम भारत सरकार और दिल्ली सरकार द्वारा दिये गये आदेशों का भी पालन सख्ती के साथ करेंगे। भविष्य में भी हम निरंतर इस प्रकार के नि:शुल्क दवाई के वितरण के कैम्प लगाते रहेंगे और साथ ही सतर्क भी रहेंगे ताकि किसी भी प्रकार की लापरवाही ना बरती जाये। 

डॉक्टर दीपक राज डंगवाल ने सरकारी एवं गैरसरकारी संगठनों से यह भी अपील की है कि ऐसे आड़े समय में वे हमारे साथ जुडेÞ और इस दवाई के वितरण में हमारे सहयोगी बन  कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप से अपने भारतवासियों की जान की रक्षा करें। 

यदि आप भी मुझसे सम्पर्क करना चाहते हैं तो मेरा सम्पर्क सूत्र है - दीपक राज डंगवाल (मो. 9873318744)।

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