भक्तों का प्रयत्न तथा भगवान की कृपा से ही परमात्मा की प्राप्ति होती है - निर्विकल्प स्वरूप
सिवनी (संतोष जैन) - धन की शुद्धि दान से होती है। महापुरुषों का क्रोध भी कल्याणकारी ही होता है किंतु नीच पुरुषों का स्नेह विनाशकारी होता है । संसार के समस्त सुख का मूल आत्मा है । जो अपने चित्त को परमात्मा में लगा लेता है उन्हें कामवासना नहीं सताती। अहंकार प्रभाव और पद की गरिमा को निम्र कर देता है इसलिये व्यक्ति को हमेशा उदार रहना चाहिये ।
उक्त आशय के उद्गार गीता मनीषी ब्रह्मचारी निर्विकल्प स्वरूप जी ने मोती महल लॉन सिवनी में 28 फरवरी से 7 मार्च तक आयोजित श्रीमद् भागवत कथा महोत्सव में छठवें दिन की कथा प्रसंग में व्यासपीठ से प्रकाशित किये। जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज के कृपा पात्र शिष्य ब्रह्मचारी जी ने कथा प्रसंग को आगे बढ़ाते हुए विगत दिवस कथा प्रसंग के श्री कृष्ण जन्म एवं गोकुल में आनंद उत्सव कथा प्रसंग को आगे बढ़ाते हुए कंस द्वारा शिशु कृष्ण को मारने अनेक प्रयासों का उल्लेख किया । गोकुल में आनंद और कृष्ण की बाल लीलाओं का सुंदर सजीव चित्रण कर उपस्थित कथा रसिक श्रोताओं को आत्मानंद रस का पान कराया । ब्रह्मचारी जी ने दुराचारी कंस द्वारा नवजात शिशु की हत्या, ब्राह्मणों, गौमाता, वेद और यज्ञ को नष्ट करने के क्रूर घटनाओं का विस्तार से वर्णन करते हुए कहा कि ,जिस देश में गोवंश सुखी नहीं रहता वहां शांति नहीं रह सकती । यज्ञ दान और तप सनातन धर्म के मूल है । आत्मा की शुद्धि ज्ञान से और धन की शुद्धि दान से ही होती है । पूज्य ब्रह्मचारी जी ने कृष्ण लीला के दिव्य चरित्र का चित्ताकर्षक वर्णन करते हुए, इन लौकिक बाल लीलाओं की सहज सरल आध्यात्मिक विवेचना भी किया। पूतना उद्धार की कथा सुनाते हुए आपश्री ने कहा कि परमात्मा ने दुष्ट पूतना का दुग्ध पान करके उसे अपनी धात्री माता की गति प्रदान कर उसका उद्धार किया। कृष्ण की बाल लीला में उत्कट उद्धार ,तृणवत उद्धार ,धनकासुर वध, कालिया दमन ,आदि वृतांत का विस्तार से वर्णन करते हुये कहा कि इन सभी को किसी ना किसी देव का के क्रोध का सामना करना और कालांतर में इनका उद्धार भगवान श्रीकृष्ण के द्वारा किया गया । कृष्ण कन्हैया का बांसुरी वादन और यमुना में स्नान करती गोपियों के वस्त्र हरण प्रसंग की आध्यात्मिक विवेचना करते हुए ब्रह्मचारी जी ने कहा कि जो अपने चित्त को परमात्मा में लगा देता है उन्हें कामवासना नहीं व्याप्ती। आगे कथा प्रसंग में वृंदावन में गोवर्धन पूजा स ेअहंकारी देवराज इंद्र के घमंड का नाश करने का वर्णन करते हुये कहा कि देवराज के अंहकार के कारण उनके पद की गरिमा और प्रभाव पर असर पड़ा। आज के कथा प्रसंग विराम के पूर्व गोवर्धन पूजा कर गोविंद को छप्पन भोग अर्पित किया गया। सिवनी नगर के नंदीकेश्वर धाम क्षेत्र में उपाध्याय परिवार के संयोजकतव चल भागवत कथा प्रसंग केआज आनंद कंद श्री कृष्ण चंद्र की बाल लीलाओं का श्रवण करने सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु नर-नारी उपस्थित रहे। आयोजक मंडल ने आगामी 7 मार्च तक चलने वाले इस भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में समस्त श्रद्धालुओं से उपस्थित होकर पुण्य लाभ अर्जित करने का विनम्र आग्रह किया है।
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