महिलाओं को अपने अधिकारों एवं सुरक्षा के प्रति होना होगा जागरूक - डीपीए अध्यक्ष यशवंत भंडारी | Mahilao ko apne adhikaro evam suraksha ke prati hona hoga jagruk

महिलाओं को अपने अधिकारों एवं सुरक्षा के प्रति होना होगा जागरूक - डीपीए अध्यक्ष यशवंत भंडारी

महिलाओं को अपने अधिकारों एवं सुरक्षा के प्रति होना होगा जागरूक - डीपीए अध्यक्ष यशवंत भंडारी

आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की प्रशिक्षण कार्यशाला का हुआ आयोजन

झाबुआ (हैदर भाई कल्यानपुरावाला) - 26 जनवरी 1950 को हमारे देश का संविधान लागू हुआ था, उसमें देश के प्रत्येक नागरिक को समानता का अधिकार एवं संविधान के मूलभूत अधिकारो में शामिल किया गया। जिसके अनुसार भारत के प्रत्येक नागरिक को, चाहे वह स्त्री हो या पुरूष, उसे जीने का, रहने का, शिक्षा का एवं रोजगार का समान अधिकार प्रदान किया है। आजादी के पूर्व मुगलकाल एवं अंग्रेजों के राज में देश की महिलाओं की स्थिति अत्यंत दयनीय एवं चिंताजनक थी। जिसके कारण किसी बालिका का जन्म होना भी एक अभिशाप माना जाता था, परन्तु आज हमारे देश में महिलाओं को बहुत ही विशेष अधिकार एवं वैधानिक संरक्षण प्रदान किए गए है


उक्त विचार शहर के समीपस्थ ग्राम बिलिडोज में स्थित जिला आंगनवाड़ी कार्यकर्ता-सहायिका प्रशिक्षण केंद्र में जिले के विभिन्न स्थानों से आई प्रशिक्षणार्थी कार्यकर्ताओं को प्रमुख वक्ता के रूप में संबोधित करते हुए जिला दहेज सलाहकार बोर्ड (डीपीए) के अध्यक्ष तथा महिला एवं बाल विकास विभाग की जिला स्तरीय समिति के सदस्य यशवंत भंडारी ने व्यक्त किए। आपने आगे कहा कि आजादी के आंदोलन के साथ इस देश के महापुरूषों ने महिलाओं के अधिकारों एवं सुरक्षा के लिए कई आंदोलन किए तथा महिलाओं को पूर्ण सम्मान के साथ जीने के अधिकार की बात उठने लगी। राजा राम मोहन राय जैसे महापुरूष ने बाल विवाह एवं सती प्रथा बंद करवाने के लिए बड़े आंदोलन किए। आजादी के पश्चात् हमारे संविधान में पुरूष एवं महिलाओं को जीने के एक समान अधिकार, आर्टिकल-19 में दिया गया, परन्तु हमारे देश का सामाजिक ताना-बाना पुरूष प्रधान व्यवस्था होने के कारण महिलाओं को पर्याप्त समान अधिकार एवं सुरक्षा से वंचित होना पड़ता था। इस व्यवस्था में सुधार लाने एवं महिला नेतृत्व के सशक्तिकरण के लिए देश के जनप्रतिनिधित्व कानून में संशोधन कर महिलाओं के लिए ग्राम पंचायत, नगरपालिका एवं जिला स्तरीय जनप्रतिनिधियों के निर्वाचन में 50 प्रतिशत का आरक्षण देकर उनकी शासन एवं प्रशासन में भागीदारी सुनिश्चित की। 

शिक्षा, स्वास्थ्य एवं रोजगार में बराबरी की भागीदारी सुनिश्चित की 

इसी तरह सर्वोच्च न्यायालय द्वारा महिलाओं को अपने मायके की पैतृक संपत्ति में भी बराबर का अधिकार प्रदान करने का निर्णय दिया। आज शिक्षा, स्वास्थ्य एवं रोजगार में भी महिलाओं के लिए बराबर की हिस्सदारी सुनिश्चित की गई है। महिलाओं की सुरक्षा के लिए पूर्ववती वैधानिक कार्रवाई के साथ घरेलु हिंसा रोकथाम 2005-06 एवं पाक्सो एक्ट 2012 बनाया गया। जिसमें महिलाओं को पूर्णतः सरंक्षित एवं सुरक्षित करने की व्यवस्था दी गई है।

भ्रूण हत्या एवं कुपोषण रोकने सामूहिक प्रयास करना होंगे

इसके अलावा वन स्टाॅप सेंटर के माध्यम से पीड़ित महिलाओं को एक ही स्थान पर सभी सुविधाएं उपलब्ध करवाकर उनके हक एवं अधिकरों के लिए शासन द्वारा पूरी सुविधाएं प्राथमिकता के आधार पर प्रदान करवाई जा रहंी है। अध्यक्ष श्री भंडारी ने अंत में समस्त आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं से आग्रह किया कि इस देश में बेटी को बचाने के लिए भू्रण हत्या जैसे जघन्य अपराध रोकने के सामूहिक प्रयास करे तथा कुपोषित बच्चों पर विशेष ध्यान देकर उन्हंे स्वस्थ एवं निरोगी बनाएं। आंगनवाड़ी कंेद्र प्रभारी श्रीमती कल्पना यादव ने बताया कि वर्तमान में झाबुआ जिले के पांच ब्लाॅकांे की आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं का एक माह का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। जिसका समापन आगामी दिनों में होगा। कार्यशाला अवसर पर प्रशिक्षण प्राप्त कर रहीं सभी आंगनवाड़ी महिला कार्यकर्ता उपस्थित थी। 

Post a Comment

Previous Post Next Post