सकल जैन श्वेतांबर श्री संघ के तपस्वियों ने बिना चप्पल नंगे पैर चलकर चैत्य परिपाटी का किया निर्वहन, बावन जिनालय में 132 तपस्वियों का हुआ बहुमान
झाबुआ का सकल जैन श्री संघ पूरे मप्र में एकता का दे रहा संदेश - प्रन्यास प्रवर जिनेन्द्र विजयजी मसा
झाबुआ (अली असगर बोहरा) - शहर में प्रथम अवसर था, जब भक्तामर महातप, मेरू तप, वर्षी तप, वर्धमान तप, बीस स्थानक तप, कल्याणक जैसे कठोर तप के अलावा अनेक प्रकार की तपस्या करने वालों तपस्वियों के चरण झाबुआ की धरा पर पड़े, जिससे झाबुआ की माटी धन्य हो गई। सकल जैन श्वेतांबर श्री संघ के करीब 100 से अधिक तपस्वियों ने भव्य रथ यात्रा में बिना चप्पल के नंगे पैर चलकर चैत्य परिपाटी का निर्वहन किया। रथ यात्रा मंे तपस्वियों के साथ समाजजनों ने भी इसका अनुसरण किया और नंगे पैर ही चले। इस सराहनीय कार्य की अष्ट प्रभावक नरेन्द्र सूरीष्वरजी मसा एवं प्रन्यास प्रवर जिनेन्द्र विजयजी मसा ने भी खूब अनुमोदना (प्रसंषा) कर समाजजनों को प्रेरणा देते हुए कहा कि अब जब भी शोभयात्रा या रथयात्रा निकाली जाएगी, तो समाजजन और तपस्या करने वाले उसमें बिना चप्पल के पैदल ही चले, जिससें झाबुआ जैन समाज से एक अच्छा संदेष पूरे देष में जाएगा।
4 सितंबर, बुधवार को अवसर था, जब प्राचीन जैन तीर्थ श्री ऋषभदेव बावन जिनालय में चातुर्मास हेतु विराजमान अष्ट प्रभावक नरेन्द्र सूरीजी एवं प्रन्यास प्रवर जिनेन्द्र विजयजी मसा की निश्रा में चातुर्मास एवं पर्यूषण महापर्व के दौरान श्वेतांबर जैन समाज सहित स्थानकवासी श्री संघ एवं तेरापंथ महासभा के सदस्यों द्वारा की गई विभिन्न कठोर तपस्याओं के निमित्त ऐतिहासिक भव्य रथ यात्रा का। सर्वप्रथम बावन जिनालय में बुधवार को सुबह 7.30 से 9 बजे तक नवकारसी का आयोजन श्री नवल स्वर्ण जयंती चातुर्मास समिति के अध्यक्ष कमलेष कोठारी एवं समाजरत्न सुभाषचन्द्र कोठारी की ओर से किया गया। जिसका लाभ सकल जैन श्वेतांबर श्री संघ ने लिया। बाद मंदिर से सुबह 9.30 बजे से बैंड-बाजों के साथ भव्य रथ यात्रा आरंभ हुई।
विशेष रथ को खींचकर चले युवाजन
जिसमें बैंड-बाजों पर धार्मिक गीतों की प्रस्तुति दी गई। इसके पीछे चांदी के सुसज्जित रथ पर प्रभु श्री आदिनाथ भगवान की प्रतिमा को लेकर चलने का लाभ टीना एवं क्रिष रूनवाल ने लिया। भगवान के सारथी के रूप में रथ पर सपना संघवी एवं भावी संघवी विराजमान हुई। प्रतिमा के दोनो ओर बच्चों द्वारा चंवर ढ़ुलाया गया। रथ को खींचकर युवाजन चले। सभी तपस्वियों को मुकुट एवं माला चातुर्मास समिति के वरिष्ठ संतोष रूनवाल परिवार ने पहनाई। जगह-जगह समाजजनों ने भगवान के चित्र के सम्मुख गहूली भी की।
सभी तपस्वी चले नंगे पैर
रथ के पीछे पहले श्रावक तपस्वी और इसके पीछे श्राविका तपस्वी सिर पर मुकुट और गले में माला पहनकर बिना चप्पल नंगे पैर चले। तपस्वियों के तप अनुमोदनार्थ पैदल चलने से झाबुआ की धरा भी पवित्र हो गई। इसके पीछे सकल श्वेतांबर श्री संघ के महिला-पुरूष बड़ी संख्या में शामिल हुए। यह रथ यात्रा शहर के रूनवाल बाजार, थांदला गेट, बाबेेल चैराहा से इस बार सुभाष मार्ग से शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर पहुंची। जहां अष्ट प्रभवक नरेन्द्र सूरीजी एवं प्रन्यास प्रवर जिनेन्द्र विजयजी मसा ने रथ यात्रा के बीच दिगंबर मंदिर में प्रवेश कर शांतिनाथ भगवान के दर्शन किए एवं चैत्यवंदन किया। इस दौरान आचार्य एवं प्रन्यास प्रवर की मंदिर में आगवानी दिगंबर जैन समाज की ओर से वरिष्ठ विरेन्द्र मोदी, भानुलाल शाह आदि ने की तथा उन्हौने भगवान आदिनाथजी के चित्र के सम्मुख अक्षत, श्रीफल से गहूली भी की। बाद यहां से रथ यात्रा आगे बढ़ते हुए नेहरू मार्ग, राजवाड़ा, लक्ष्मीबाई मार्ग होते हुए पुनः मंदिर पर पहुंची।
श्वेतांबर एवं दिगंबर देवो का मिलन हुआ
यहां धर्मसभा का आयोजन हुआ। जिसमें सर्वप्रथम गुरूवंदन श्रावक रत्न धर्मचन्द मेहता ने किया। बाद आचार्य श्रीजी ने मंगलाचरण फरमाई। तत्पष्चात् सर्वप्रथम प्रन्यास प्रवर जिनेन्द्र विजयजी मसा ने अपने प्रवचनों में कहा कि आज रथ यात्रा में वह शुभ अवसर रहा, जब रथ यात्रा अपने मार्ग से दिगंबर जैन मंदिर पहुंची तो एक तरफ रथ पर विराजमान आदिनाथ भगवान एवं दिगंबर जैन मंदिर में विराजमान शांतिनाथ भगवान का मिलन हुआ। रथ यात्रा में समाजजनों ने काफी अनुशासन का परिचय दिया। वाकई में अनुषासन और एकता के मामले में पूरे मप्र में झाबुआ का सकल श्री संघ एकता का परिचय दे रहा है, इसके लिए मैं झाबुआ श्री संघ को धन्यवाद देता हूॅ। साथ ही प्रन्यास प्रवर ने समाजजनो से कहा कि आप नियमित प्रवचन में आए और धर्म लाभ ले। प्रन्यास प्रवर ने समाजजनांें से यह भी कहा कि आप बावन जिनालय में रात्रि में भोजन ना करे, जिस पर श्वेतांबर श्री संघ अघ्यक्ष संजय मेहता ने इस संबंध में संघ की मीटींग कर इसका पालन करने की बात कहीं।
तपस्वी इंद्र-इंद्राणी बने शोभायमान हो रहे
तत्पष्चात् अष्ट प्रभावक नरेन्द्र सूरीष्वरजी मसा ने कहा कि हमे जीवन में उत्तम मार्ग और उत्तम जीवन को अपनाना चाहिए। आज मुकुट और माला से सजे तपस्वी इंद्र-इंद्राणी बने हुए शोभायमान हो रहे है। आचार्य ने कहा कि समाजजन आहार में कंदमूल का भी हमेषा के लिए त्याग करे। साथ ही आहार में संयम और जीवन में नियम रखने से जीवन सफलता की ओर अग्रसर होता है। जैन समाज सदैव धर्म और त्याग में विष्वास रखता है। आचार्य श्रीजी नेे हमेषा बधाई कार्ड से नहीं हार्ड से देने हेतु कहा। धर्मसभा का संचालन श्वेतांबर श्री संघ अध्यक्ष संजय मेहता ने किया।
132 तपस्वियों का हुआ बहुमान
बाद बहुमान के क्रम में श्वेतांबर श्री संघ एवं चार्तुमास समिति की ओर से नवकारसी के लाभार्थी चातुर्मास समिति अध्यक्ष कमलेष कोठारी एवं समाज रत्न सुभाष कोठारी का बहुमान संजय मेहता, तेजप्रकाष कोठारी एवं आरके लालन आदि द्वारा शाल ओढ़ाकर एवं श्रीफल भेंटकर किया। बाद तपस्वियों का सम्मान में श्रावक रत्न धर्मचन्द मेहता सहित सभी 132 तपस्वियों का बहुमान तिलक लगाकर एवं माला पहनाकर हुआ। सभी तपस्वियों के बहुमान का लाभ श्रीमती चंद्रकांता बेन, संजयकुमार कांठी परिवार ने लिया। इस दौरान समाजजनों ने तपस्या करने वालो की खूब-खूब अनुमोदना करते हुए उन्हें धन्यवाद भी दिया तथा जयघोष भी लगाए। अंत में साधर्मी वात्सल्य का आयोजन हुआ। दोपहर में बावन जिनालय एवं बीफाॅर सेनिमा पर चैवीसी का आयोजन रखा गया।
प्रष्नोत्तरी रख 50 विजेताओं को दिए जाएंगे पुरस्कार
श्वेतांबर श्री संघ अध्यक्ष श्री मेहता ने समाजजनों को जानकारी देते हुए बताया कि 5 सितंबर को आचार्य श्रीजी के जीवन पर आधारित प्रष्नोत्तरी का आयोजन होगा। जिसमें 50 पुरस्कार प्रदान किए जाएंगे, जिसके लाभार्थी सतीषकुमार सोहनलाल कोठारी परिवा रहेंगे। साथ ही 6, 7 एवं 8 सितंबर को आचार्य नरेन्द्र सूरीष्वरजी की त्रि-दिवसीय संयम के उपलक्ष में विभिन्न कार्यक्रमांे का आयोजन किया जाएगा।
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