पंचमुखी गणेश जी का भादौमास की चतुर्थी पर हुआ महाश्रंगार, यज्ञ तथा भण्डारा
सहस्त्र मोदक से स्वाहाकार यज्ञ हुआ सम्पन्न
ओंकारेश्वर (ललित दुबे) - ओंकारेश्वर मे प्रथम पूज्य भगवान गणेश हर कार्य में शुभ एवं समृद्धिदायक माने गए हैं। जब एकदंत गजानन का स्वरूप पंचमुखी हो, तब शुभता में कई गुना वृद्धि हो जाती है।ओंकारेश्वर में भादौमास की गणेश चतुर्थी पर पुजारी परिवार द्वारा पिढि़यों से इस दिन श्री पंचमुखी गणेश प्रतिमा का महाश्रंगार कर विद्वान आचार्यों द्वारा एक हजार एक सौ सहस्त्र मोदक आहुती देकर गणेश यज्ञ होता चला आ रहा हैं उसी के चलते सोमवार को गणेशचतुर्थी पर्व पर पंचमुखी गणेश जी का श्रंगार कर भोजन भण्डारे प्रसाद के सांथ वैदिकआचार्य पंडित दुर्गेश पचोरी के आचार्यतत्व में सहस्त्र मोदक यज्ञ का आयोजन सम्पन्न हुआ।
पुजारी पंडित सुरेशचन्द्र त्रिवेदी ने पंचमुखी गणेश और उनके पंच कोशों के महत्व के बारे में बताया की पांच मुख वाले गजानन को पंचमुखी गणेश कहा जाता है। पंच का अर्थ है पांच। मुखी का मतलब है मुंह, ये पांच पांच कोश के भी प्रतीक हैं। वेद में सृष्टि की उत्पत्ति, विकास, विध्वंस और आत्मा की गति को पंचकोश के माध्यम से समझाया गया है। इन पंचकोश को पांच तरह का शरीर कहा गया है।
पंचमुखी गणेश चार दिशा और एक ब्रह्मांड के प्रतीक भी माने गए हैं अत: वे चारों दिशा से रक्षा करते हैं। वे पांच तत्वों की रक्षा करते हैं। घर में इनको उत्तर या पूर्व दिशा में रखना मंगलकारी होता है।
श्री त्रिवेदी ने आगे बताया की ओंकारेश्वर में मुख्य मंदिर के पहले पंचमुखी गणेश मंदिर स्थित है. यह उसी पाषाण में है जिसमे श्री ओंकारेश्वर प्रकट हुए है,प्रतिमा के २ मुख दायें-बाएं,दो मुख सामने एवं १ मुख पिछे की ओर स्थित है। भक्त श्री ओंकारेश्वर से पहले यहाँ दर्शन लाभ लेते हैं। भादों मॉस की चतुर्थी को यहाँ यज्ञ का आयोजन कर भोजनभण्डारा प्रतिवर्ष किया जाता है।