ई-अटेंडेंस के लिए ना और तबादले के लिए हां
छिंदवाड़ा/अमरवाड़ा (गयाप्रसाद सोनी) - स्कूल शिक्षा विभाग ने अपनी जांच में पाया था कि करीब 55 फीसदी शिक्षक नियमित रूप से स्कूल नहीं जाते। इस व्यवस्था को सुधारने के लिए ई-अटेंडेंस सिस्टम लागू किया गया। शिक्षकों के लिए एम-शिक्षा मित्र मोबाइल एप से उपस्थिति दर्ज करना अनिवार्य किया, लेकिन शिक्षकों ने इसका पुरजोर विरोध किया और साढ़े तीन लाख में से महज सवा लाख शिक्षक ही इसे उपयोग में लाए। अब जब तबादला आदेश इसी मोबाइल एप से हासिल करना अनिवार्य कर दिया तो कुछ ही दिनों में तीन लाख शिक्षकों ने इसे डाउनलोड कर लिया।
यह बानगी है प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था के ढर्रे की
शिक्षकों ने अपने काम के लिए नई व्यवस्था का उपयोग किया, लेकिन बच्चों को पढ़ाने और नियमित उपस्थिति की व्यवस्था बनाने में ज्यादातर शिक्षकों ने असहयोग किया। स्कूल शिक्षा विभाग ने जब 2016 में ई-अटेंडेंस को लागू करने का मन बनाया था, तब शिक्षकों ने इसका भारी विरोध किया था। इसके बाद अक्टूबर 2017 में ई-अटेंडेंस के खिलाफ शिक्षकों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसे हाईकोर्ट ने यह कहते हुए खारिज किया था कि यह राज्य शासन स्तर का मामला है। इसके बाद जून2018 में इसे अनिवार्य किया गया। विरोध के बाद अनिवार्यता खत्म कर दी।
जून व जुलाई में बढ़ गए यूजर्स
शिक्षकों के स्थानांतरण के लिए जून से ऑनलाइन आवेदन शुरू हुए। जब विभाग ने स्थानांतरण आदेश एप पर ही शिक्षकों को भेजना शुरू किए तो सभी ने तेजी से एप डाउनलोड कर लिया। जून व जुलाई में एप के यूजर्स की संख्या दोगुनी बढ़ गई।
भोपाल में 5 फीसदी शिक्षक ही लगाते हैं ई-अटेंडेंस
सीहोर, कटनी, होशंगाबाद, बैतूल, हरदा व मुरैना जिले के 99%से अधिक शिक्षकों ने एप डाउनलोड किया और ई-अटेंडेंस भी लगा रहे हैं। वहीं भोपाल जिले में 6051 शिक्षकों में से 4988 शिक्षकों ने एप डाउनलोड किया, लेकिन इनमें से 5% से भी कम शिक्षक ई-अटेंडेंस लगा रहे हैं।
संख्या तेजी से बढ़ी है
एम-शिक्षा मित्र एप के जरिए शिक्षकों को कई सुविधाएं दी गई हैं, इसके बावजूद भी यूजर्स की संख्या कम थी, लेकिन स्थानांतरण प्रक्रिया को पारदर्शी करने के लिए एप के जरिए आदेश भेजे गए। इससे संख्या तेजी से बढ़ी है - जयश्री कियावत, आयुक्त, डीपीआई
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